सब्जियों को लेकर ज्यादातर लोगों की ये आम शिकायत होती है कि इनका स्वाद पहले जैसा नहीं होता। शहरी इलाकों के लोगों का ये कहना है कि केमिकल की ज्यादा मात्रा हरी सब्जियों को भी नुकसानदेह बना रही है। इसे देखते हुए हाल के वर्षों में ऑर्गेनिक सब्जियों को लेकर जागरुकता बढ़ी है, दूसरी ओर केंद्र और राज्य सरकारें भी नई योजनाएं ला रही हैं।
सब्जियों की खेती को बढ़ावा देने और ज्यादा किसानों को जैविक खेती के लिए जागरुक करने के लिए तमिलनाडु सरकार ने मुख्यमंत्री पोषक सब्जी उद्यान योजना (Nutritive Vegetable Garden Scheme) को लागू करने की घोषण की है। इस योजना का लक्ष्य महिलाओं को उनके घर ही ताज़ी और रसायन मुक्त सब्जियां उगाने में सक्षम बनाना है। साथ ही बच्चों को पौधों के बारे में ज़्यादा से ज़्यादा जानकारी देकर उन्हें खेती-किसानी के प्रति जागरूक करना भी है।
सब्सिडी पर दिए जाएंगे बीज
राज्य के कृषि मंत्री एमआरके पन्नीरसेल्वम ने जानकारी दी कि राज्य सरकार के फंड से 95 करोड़ रुपये की लागत से इस योजना को लागू किया जाएगा। केंद्र सरकार के योगदान से 2 लाख बीज के पैक 12 सब्जियों के बीज सहित ग्रामीण क्षेत्रों में सब्सिडी पर बांटे जाएंगे। वहीं शहरी क्षेत्रों में एक लाख टैरेस गार्डनिंग किट छह सब्जियों के बीज सहित रियायती दरों पर वितरित किए जाएंगे। इस कदम से सब्जी रोपण क्षेत्र बढ़ने की उम्मीद है। साथ ही 50 करोड़ सब्जी के पौधे और 400 मीट्रिक टन सब्जी के बीज राज्य के बागवानी खेतों में पैदा और वितरित किए जाएंगे।
उधर प्रदेश के 2000 गांवों में 1250 हेक्टेयर क्षेत्र में मिट्टी की उर्वरता बढ़ाकर उसे सब्जी की खेती के लायक बनाया जाएगा। सभी जिलों में एक हज़ार हेक्टेयर क्षेत्र में लौकी और साग की खेती के लिए 638 हेक्टेयर क्षेत्र में पंडाल संरचना को बढ़ावा दिया जाएगा। पंडाल पर सब्जी की खेती फसलों को बेहतर बनाने की एक तकनीक है। पहले पंडाल तकनीक सिर्फ़ अंगूर की खेती तक ही सीमित थी, लेकिन अब इस पंडाल तकनीक का इस्तेमाल अर्ध-शहरी क्षेत्रों में कद्दू उगाने के लिए भी किया जाता है।
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देश में आत्मनिर्भर कृषि को मिल रहा बढ़ावा
ऐसे ही कई राज्यों ने आत्मनिर्भर कृषि को बढ़ावा देने के लिए इस तरह की योजनाएँ अपने-अपने प्रदेश में लागू की हैं। अरुणाचल प्रदेश भी उन राज्यों में से एक है, जिन्होंने सब्जियों और मवेशियों के लिए अन्य राज्यों पर निर्भरता को कम करने के लिए पोषण संबंधी किचन गार्डन योजनाएं शुरू की हैं। पिछले साल ही कैबिनेट ने आत्मनिर्भरता और पोषण संबंधी आवश्यकताओं के लिए चौदहवें वित्त आयोग के अनुदान के तहत प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र के लिए 2,000 किचन गार्डन के विकास को मंजूरी दी थी।