ग्राफ्टिंग तकनीक जिसे कलम बांधना भी कहते हैं, का इस्तेमाल बरसों से हो रहा है । पहले किसान इसका इस्तेमाल कुछ गिने-चुने पौधों को उगाने के लिए ही करते थे, लेकिन अब बड़े पैमाने पर इसे अपनाकर फल व सब्ज़ियों की उन्नत किस्में विकसित की जा रही हैं। VNR नर्सरी प्रा. लि. किसानों को उन्नत फल और सब्ज़ियों की पौध पहुंचाने के लिए ग्राफ्टिंग तकनीक का इस्तेमाल कर रही है। क्या है ये तकनीक और किसानों के लिए किस तरह से फायदेमंद है, ये ये जानने के लिए किसान ऑफ इंडिया की संवाददाता दीपिका जोशी ने बात की VNR नर्सरी प्रा. लि. की कृति से।
किसानों तक पहुंचा रहे पौधे
किसानों को फल और सब्ज़ियों की विभिन्न उन्नत किस्मों के पौधे मुहैया कराने वाली VNR नर्सरी प्रा. लि. की शुरुआत 2012 में हुई थी। ये कंपनी रायपुर, छत्तीसगढ़ में स्थित है। इस कंपनी से जुड़ी कृति बताती हैं कि VNR नर्सरी भारत की 10 ऐसी नर्सरियों में शामिल है जिसे राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड से 3 स्टार रेटिंग मिली हुई है। उनका कहना है कि कंपनी बहुत से फलों और सब्ज़ियों की उन्नत किस्म विकसित करने के लिए रिसर्च करती है। इतना ही नहीं, पौधों की उन्नत किस्म के साथ ही इनको होने वालीं नई-नई बीमारियों और नई तकनीक पर भी कंपनी काम कर रही है। कंपनी का दावा है कि वह इस जानकारी और रिसर्च को किसानों तक पहुंचाने की कोशिश करती है ताकि उन्हें इसका फ़ायदा हो। इसके लिए VNR नर्सरी अलग-अलग राज्यों के कृषि विश्वविद्यालयों और कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों से संपर्क करके उन तक सारी जानकारी पहुंचाती है।
किसानों को ग्राफ्टिंग तकनीक की ट्रेनिंग
ग्राफ्टिंग एक बहुत ही खास तकनीक है जिसे कलम बांधना भी कहते हैं। इसमें दो तरह के पौधे लिए जाते हैं। एक पौधा जड़ सहित और दूसरा तना वाला भाग। फिर इन दोनों को इस तरह से आपस में जोड़ा जाता है कि इससे नया पौधा विकसित हो जाता है। VNR नर्सरी किसानों को ग्राफ्टिंग तकनीक की ट्रेनिंग देती है। कृति बताती हैं कि कंपनी किसानों के लिए 7 दिन के वर्कशॉप का आयोजन करती है। इसके लिए किसानों को पहले से ही रजिस्ट्रेशन कराना होता है। इसके साथ ही मिट्टी का सही चुनाव कैसे करना है, ग्राफ्टिगं के बाद पौधों की हार्डनिंग कैसे करनी है, पूरी नर्सरी का ढांचा तैयार करने में कितना खर्च आएगा जैसी बेहद ज़रूरी बातें बताई जाती हैं । इस वर्कशॉप के जरिए कोशिश यही सिखाने की रहती है कि किसान कम लागत में अधिक उत्पादन ले सकें। कृति का कहना है कि उनकी कंपनी द्वारा विकसित फल की एक किस्म, VNR BIHI बहुत लोकप्रिय हुई है।
पौधे देने के साथ ही देते हैं जानकारी भी
कृति का कहना है कि उनकी कंपनी का काम किसानों को पौधे देने के बाद ही खत्म नहीं हो जाता, बल्कि वो हैंड होल्डिंग प्रोग्राम चलाते हैं। यानी किसानों को खेती के दौरान भी पूरी मदद की जाती है। किसान जब पौधा लगा लेते हैं, तो कंपनी के एक्सपर्ट्स उनके खेतों में जाकर आगे की जनाकारी देते हैं, जैसे कि खेती के इलाके और जलवायु के मुताबिक पौधों की किस तरह से देखभाल करनी है। इतना ही नहीं, अगर कंपनी के विशेषज्ञ किसी जगह तक नहीं पहुंच पाते हैं, तो किसान सीधे कंपनी को फोन करके किसी भी बागवानी एक्सपर्ट से बात कर सकते हैं।
ग्राफ्टिंग क्यों फ़ायदेमंद है
किसान सब्ज़ियों से अधिक उत्पादन प्राप्त करना चाहते हैं, लेकिन वो मिट्टी से होने वाले रोग से परेशान रहते हैं, क्योंकि इससे फ़सल पर असर पड़ता है। इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए ग्राफ्टिंग तकनीक बहुत ही फ़ायदेमंद है। इसमें एक जड़ वाले पौधे का हिस्सा और दूसरे पौधे का तना लेकर जोड़ा जाता है और इससे नया पौधा विकसित होता है। इसमें नाज़ुक जड़ों की हार्डिनिंग की जाती है जिससे कीट व बीमारियों का खतरा कम हो जाता है और इससे उत्पादन अधिक मिलता है।
लागत में कमी
VNR नर्सरी की ग्राफ्टिंग तकनीक से तैयार पौधों को लगाने के बाद किसानों को अलग से कीटनाशक डालने की ज़रूरत नहीं पड़ती है । उपज भी अधिक प्राप्त होती है जिससे मुनाफ़ा बढ़ता है। यही नहीं टमाटर और खीरे जैसी फ़सलों को ऑफ सीज़न में भी पॉली हाउस में उगाया जा सकता है जिससे दाम अच्छा मिलता है और किसानों की आमदनी बढ़ती है।
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