ग्रामीण क्षेत्रों में पशुपालन किसानों की आमदनी का एक मुख्य ज़रिया है, लेकिन उनके लिए अच्छी नस्ल के पशु प्राप्त करना किसी चुनौती से कम नहीं है। ऐसे में आर्टिफ़िशियल इनसेमिनेशन (Artificial Insemination) यानी कृत्रिम गर्भाधान तकनीक उनके लिए बहुत फ़ायदेमंद हो सकती है। हालांकि, कुछ किसान इसे अपनाने से हिचकिचाते हैं, लेकिन सरकार की ओर से भी इस तकनीक को बढ़ावा देने का प्रयास किया जा रहा है। इस तकनीक को अपनाने वाले कई किसान डेयरी उद्योग में सफलता हासिल कर चुके हैं, उन्हीं में से एक हैं तेलंगाना की इरकु सरोजना।
आर्टिफ़िशियल इनसेमिनेशन तकनीक से 2 स 50 पहुंची पशुओं की संख्या
तेलंगाना के खानापुर मंडल के अशोकनगर गाँव की रहने वाली इरकु सरोजना ने जब डेयरी उद्यम की शुरुआत की थी तो उनके पास सिर्फ़ 2 पशु ही थे। आज उनके पास 50 पशु हो चुके हैं और यह संभव हुआ आर्टिफ़िशियल इनसेमिनेशन यानी कृत्रिम गर्भाधान तकनीक की बदौलत।
सरोजना के पास इतने भी पैसे नहीं थे कि वो एक गाय भी खरीद सकें। उन्हें सरकार द्वारा प्रायोजित कल्याण गतिविधि के तहत दो पशु उपलब्ध कराए गए। इसके बाद पशुओं के प्रजनन के लिए उन्होंने आर्टिफ़िशियल इनसेमिनेशन विधि का सहारा लिया। इसके लिए बैंक से लोन लिया। इस विधि से जन्में मादा बछड़ों की अत्यधिक देखभाल के कारण ही उनके पशु पूरी तरह से स्वस्थ हैं।
पशुपालन विभाग से मिली सलाह
उन्हें पशुपालन विभाग द्वारा पशुओं के विभिन्न रोगों के बारे में सलाह दी जाती है। मुंह और पैर के रोग प्रमुख हैं और इनके खिलाफ टीकाकरण भी दिया जाता है। सरोजना खुश हैं कि उनके पशुओं में किसी तरह का संक्रामक रोग नहीं है और किसी की मृत्यु भी नहीं हुई। यही वजह है कि उन्हें अधिक दूध प्राप्त होता है, जिससे उनकी आमदनी बढ़ रही है।
प्रतिदिन 50 लीटर दूध का उत्पादन
उन्हें हर दिन 50 लीटर तक दूध प्राप्त होता है, जिसमें से 30-40 लीटर वह विजया डेयरी को सप्लाई करती हैं। बाकी स्थानीय स्तर पर बेचकर अपना खर्च चलाती हैं।
क्या है कृत्रिम गर्भाधान तकनीक?
जानवरों का प्राकृतिक तरीके से गर्भाधान न कराकर, आर्टिफ़िशियल तरीके का सहारा लिया जाता है। इस तकनीक में नर पशु के सीमन को ख़ास तकनीक से मादा पशु के गर्भ में डालकर गर्भधारण कराया जाता है। सीमन को ख़ास तकनीक की मदद से स्टोर किया जाता है और एक नर पशु के सीमन से कई मादा पशुओं को गर्भाधान कराया जा सकता है। इस तकनीक का इस्तेमाल ख़ासतौर पर अच्छी नस्ल के पशु प्राप्त करने के लिए किया जाता है। उच्च नस्ल के पशु प्राप्त करने के लिए सरकार भी इस तकनीक को बढ़ावा दे रही है। सरकार की ओर से राष्ट्रीय गोकुल मिशन योजना के तहत इस तकनीक के बारे में पशुपालकों को जागरूक किया जा रहा है। ख़ास बात यह है कि आर्टिफ़िशियल इनसेमिनेशन की मदद से एक सांड के इस्तेमाल से एक साल में 20,000 गायों का प्रजनन कराया जा सकता है।
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