Bhulekh: किसानों की ज़मीन का डिजिटल साथी, किसान ऑफ़ इंडिया की विशेष सीरीज़
पहले ज़मीन के रिकॉर्ड जैसे कि खतौनी, जमाबंदी आदि से जुड़े सभी काम कागजात पर मैन्युअल तरीके से किए जाते थे। अब Bhulekh पोर्टल से ये प्रक्रिया आसान हो गई है।
पहले ज़मीन के रिकॉर्ड जैसे कि खतौनी, जमाबंदी आदि से जुड़े सभी काम कागजात पर मैन्युअल तरीके से किए जाते थे। अब Bhulekh पोर्टल से ये प्रक्रिया आसान हो गई है।
इथियोपिया के इस किसान को ‘फ़ूड हीरोज’ की उपाधि से भी सम्मानित किया गया है।
Story Courtesy: UN News
देश के 100 में से 80 किसान छोटे किसान हैं। उनके पास दो हेक्टेयर से भी कम ज़मीन है। इन छोटे किसानों की संख्या 10 करोड़ से भी ज़्यादा है। इनके लिए अच्छी किस्म की उर्वरक (फ़र्टिलाइज़र), पैदावार बढ़ाने के लिए दूसरे केमिकल, खाद ओर महंगे बीज खरीदना मुश्किल होता है। ऐसे में ज़ीरो बजट खेती (Zero Budget Natural Farming) ऐसे किसानों के लिए फ़ायदेमंद साबित हो सकती है।
प्रधानमंत्री मोदी ने आज गुरुपरब के दिन राष्ट्र को संबोधन देते हुए तीनों कृषि कानून वापस लेने की घोषणा की।
छोटी उम्र में माता-पिता को खोया, हालात के आगे हिम्मत न हारते हुए घर की बागडोर संभाली और आज पप्पामल अम्मा ‘लेजेंड्री वुमन’ के नाम से जानी जाती हैं।
अगर बड़े पैमाने पर एरोपोनिक्स तकनीक (Aeroponics Technique) को अपनाया जाए, तो ये किसानों को कम समय में अच्छी आमदनी देने का ज़रिया बन सकती है। इस तकनीक की मदद से किसान सालभर में तीन फसल ले सकते हैं।
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मछली पालन की शुरुआत के लिए बाटा कृष्ण साहू ने पट्टे पर तालाब लिया था। कृषि विज्ञान केंद्र और आईसीएआर ने उनकी पूरी मदद की।
इस एक चॉकलेट का वजन 2.5 और 3 किलोग्राम है। मवेशी इसे चाट कर खा सकेंगे और एक कैंडी करीब तीन से चार दिन में खत्म होगी।
कामधेनु दीपावली अभियान के ज़रिए देश के गौपालकों के जीवन में सुधार लाना है। अर्थव्यवस्था में अकेले डेयरी क्षेत्र की 4 फ़ीसदी की हिस्सेदारी है।
ईरान, भारत, स्पेन और ग्रीस प्रमुख केसर उत्पादक देश हैं। भारत में केसर की खेती का क्षेत्रफल दुनिया में दूसरे नम्बर पर आता है।
यहां किसान खुद अपनी उपज का भाव तय कर सकते हैं। किसानों ने इस पोर्टल पर अब तक एक लाख 20 हज़ार से ज़्यादा की जैविक उपज रजिस्टर्ड करा ली है।
इस कदम से अब भूमिहीन किसानों को सरकार की अन्य योजनाओं का लाभ भी मिल सकेगा।
प्रेम सिंह बताते हैं कि आज आवर्तनशील खेती करके खेती में जो मुकाम उन्होंने हासिल किया है वो एक दिन का नतीजा नहीं है, साल दर साल कुछ नया सीखने और करने की उनकी कोशिश है।
कभी आर्थिक तंगी के कारण खेती की राह चुनने वाले उत्तर प्रदेश के किसान ने मधुमक्खी पालन की शुरुआत की। आज वो संस्था बनाकर कई किसानों और बेरोजगार युवाओं को इसके लिए प्रेरित कर रहे हैं।
हिसार स्थित चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविध्यालय (CCSHAU) ने टिश्यू कल्चर विधि के ज़रिए कई पौधे तैयार किए हैं। इस तकनीक से तैयार किए गए लाखों पौधे अब तक किसानों को बांटे भी जा चुके हैं।
पीएम किसान सम्मान निधि योजना (PM Kisan Samman Nidhi Yojana) के तहत देशभर के करोड़ों किसानों को 6 हज़ार रुपये की सालाना आर्थिक मदद दी जाती है।
पपीते को इसकी औषधीय खूबियों की वजह से सुनहरे पेड़ का सुनहरा फल भी कहा जाता है।
Telehandler मशीन को आसानी से ऑपरेट कर सकते हैं किसान
3 से 6 महीनों में बाज़ार में उपलब्ध हो जाएगा ई-ट्रैक्टर
स्टैंकिंग तकनीक से फसलों की पैदावार ज़्यादा होती है, जिससे किसानों की आमदनी में इज़ाफ़ा होता है। ऐसे में स्टैंकिंग तकनीक पर सरकार ज़ोर दे रही है।