ट्रैक्टर की बेजोड़ खूबियाँ: हाइड्रोलिक और पावर स्टेयरिंग
बढ़िया ट्रैक्टरों में हाइड्रोलिक्स फ़ीचर को ख़ासा अपग्रेड किया गया है तो पावर स्टेयरिंग की वजह से ट्रैक्टर के टायर भी असमान घिसाव से बचते हैं और उनकी उम्र बढ़ जाती है।
बढ़िया ट्रैक्टरों में हाइड्रोलिक्स फ़ीचर को ख़ासा अपग्रेड किया गया है तो पावर स्टेयरिंग की वजह से ट्रैक्टर के टायर भी असमान घिसाव से बचते हैं और उनकी उम्र बढ़ जाती है।
मिट्टी परीक्षण के लिहाज़ से इसका नमूना लेना बेहद महत्वपूर्ण होता है। यदि नमूना सही ढंग से लिया जाए तभी जाँच का नतीज़ा सही मिलेगा और मिट्टी के उपचार का सही तरीका भी तय हो पाएगा। मिट्टी का परीक्षण बुआई के एक महीना पहले कराना चाहिए।
संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) ने इनऑर्गेनिक या ऑर्गेनिक या एनालिटिकल केमिस्ट्री के साथ केमिस्ट्री में मास्टर डिग्री या MSc (कृषि) मृदा विज्ञान या कृषि रसायन विज्ञान में विशेषज्ञता रखने वाले उम्मीदवारों के लिए कृषि और रसायन एवं उर्वरक मंत्रालयों में रिक्तियाँ निकाली हैं। ये पद सहायक निदेशक (03 पद) और सहायक निदेशक (वीड साइंस – 01 पद) स्तर के हैं।
केन्द्र सरकार ने मसूर की दाल के दाम में आ रहे उछाल को थामने और घरेलू बाज़ार में इसकी आपूर्ति बढ़ाने के लिए मसूर की दाल पर आयात शुल्क (Custom duty) को घटाकर शून्य करने और इस पर लागू एग्रीकल्चर इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट सेस (AIDC) को भी घटाकर आधा किया गया है।
देश में धान का कटोरा कहे जाने वाले छत्तीसगढ़ के किसानों को अन्य फसलें पैदा करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए इनपुट सब्सिडी योजना को अपनाया गया था। इसे पिछले साल से शुरू हुई राजीव गाँधी किसान न्याय योजना का हिस्सा बनाया गया है। इसके साथ ही बघेल सरकार ने अब कोदो का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) भी 3,000 प्रति क्विंटल निर्धारित कर दिया है।
किसानों को सूदखोरों के शोषणकारी चंगुल से निकालने के लिए 1998 में किसान क्रेडिट कार्ड की योजना बनायी गयी थी। लेकिन अभी तक बमुश्किल 1.5 करोड़ किसानों को ही बेहद रियायती और अति लाभकारी किसान क्रेडिट कार्ड से जोड़ा जा सका। लिहाज़ा, यदि आप किसान हैं और आपने अभी तक किसान क्रेडिट कार्ड नहीं बनवाया है तो आपको जल्द से जल्द इसे बनवा लेना चाहिए। इस योजना के तहत किसानों को बैंक से आसानी से तीन लाख रुपये तक का कर्ज़ बेहद रियायती शर्तों पर मिल सकता है।
शहद को खेती-किसानी एक बाय प्रॉडक्ट की तरह देखा जा सकता है, क्योंकि मधुमक्खी पालन का असली फ़ायदा तो फसलों को होता है, जहाँ मधुमक्खियों के कारण पॉलिनेशन ज़्यादा होता है और उत्पादन बढ़ जाता है। शहद की माँग हमेशा रहने से मधुमक्खी पालकों की नियमित आय होती रहती है। इसीलिए सरकार भी इसे खूब प्रोत्साहित करती है।
जो पशुपालक किसी भी वजह से अब तक बायोगैस प्लांट से दूर हैं और जानबूझकर अपनी मेहनत का कम फ़ायदा उठा रहे हैं। ऐसे पशुपालकों को चाहिए कि वो जल्दी से जल्दी बायोगैस संयंत्र लगवाकर अपनी कमाई बढ़ाने का उपाय करें। बायोगैस के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए सरकार की ओर से भी सब्सिडी मिलती है। किसानों को इसका लाभ ज़रूर उठाना चाहिए।
टिशू कल्चर तकनीक के पौधे प्रयोगशालाओं में तैयार होते हैं। लैब में पौधों के मज़बूत होने के बाद उसे किसानों को उपलब्ध कराया जाता है। इससे खेती-बाग़वानी करने वाले किसान पाते हैं ज़्यादा पैदावार और मुनाफ़ा। टिशू कल्चर तकनीक है क्या? कैसे काम करती है? क्या हैं इसकी विशेषताएँ? क्या है इससे लाभ?
हाइड्रोपोनिक खेती की तकनीक खाद्य सुरक्षा, रोज़गार और आमदनी के स्थायी ज़रिया बनने में मददगार साबित होगी। ब्रह्मपुत्र के मांझली द्वीप से पैदा हुई ये तकनीक बंगाल और बांग्लादेश से होते हुए अब बिहार में कोसी नदी के बाढ़ प्रभावितों ज़िलों सहरसा और सुपौल में पहुँची है।
आम तौर पर रबी खरीद सीज़न की खरीदारी 15 जून तक की जाती है, लेकिन इस साल कोरोना प्रतिबन्धों को देखते हुए मंडियों में खरीदारी की अवधि को बढ़ाया जाता रहा। हालाँकि, ज़्यादातर राज्यों में ख़रीदारी का काम पूरा हो चुका है। फिर भी उम्मीद है कि खरीद सीज़न के ख़त्म होने तक मौजूदा रिकॉर्ड भी कुछ बदल जाए।
आवेदन की अन्तिम तिथि 23 अगस्त 2021 है। नियुक्ति पर सातवें वेतन आयोग के लेवल-10 का वेतन-भत्ता मिलेगा। चयन प्रकिया के तीन स्तरीय होगी।
इंटिग्रेटेड फ़ार्मिंग का सबसे बड़ा लाभ है कि ये पूरे साल किसानों को रोज़गार में बनाये रखता है। इसकी बदौलत किसान के पास आमदनी के कई स्रोत या विकल्प होते हैं। इसे अपनाकर सीमान्त और लघु किसान अधिक पैदावार वाली फसलों के अलावा फल, सब्ज़ी, डेयरी उत्पाद, शहद आदि से कमाई कर लेते हैं। इस तरह, एक ओर किसानों की उत्पादकता बढ़ती है तो दूसरी ओर अपने संसाधनों के सही उपयोग से खेती से जुड़े कामकाज़ की लागत में कमी आती है।
उत्तर प्रदेश में अब पंचायत भवन को ग्राम सचिवालय कहा जाएगा और सभी 58,189 पंचायतों में एक-एक पंचायत और एकाउंट सहायक तैनात किया जाएगा। उसे 6 हज़ार रुपये महीना बतौर मानदेय दिया जाएगा। हरेक ग्राम सचिवालय को संवारने के लिए करीब 1.75 लाख रुपये भी दिये जाएँगे। हरेक ग्राम सचिवालय में एक जनसेवा केन्द्र भी स्थापित होगा और वहीं बैंकिंग कॉरेस्पोंडेंस यानी ‘बीसी सखी’ के पद पर तैनात महिलाओं के लिए भी जगह उपलब्ध करायी जाएगी।
लघु सिंचाई (माइक्रोइरिगेशन) को आधुनिक बनाने के उद्देश्य वाली केन्द्र सरकार की योजना PMKSY का नारा है Per drop more crop. इसके ज़रिये किसानों को सिंचाई के लिए ड्रिप, मिनी माइक्रो स्प्रिंक्लर, और पोर्टेबल स्प्रिंकलर जैसे कृषि यंत्रों की खरीदारी पर 55 से 65 प्रतिशत तक अनुदान दिया जाता है। लघु सिंचाई की इन तकनीकों की बदौलत खेती में सिंचाई की लागत घटती है, पानी का किफ़ायत से और सही इस्तेमाल होता है, जल संकट की मार घटती है और भूजल का समुचित संरक्षण और दोहन होता है। लिहाज़ा, ज़्यादा से ज़्यादा किसानों को इस सहूलियत का फ़ायदा उठाने के लिए आगे आना चाहिए।
‘किसान सारथी’ एप ऐसा डिज़िटल प्लेटफॉर्म है जो किसानों को फसल और खेती से जुड़ी तमाम जानकारियाँ देने में सहायक होगा। इसकी मदद से किसानों को अपनी फसल और फल-सब्ज़ियों को बेचने में भी सहूलियत होगी। ‘किसान सारथी’ की बदौलत किसानों को खेती-किसानी से जुड़ी आधुनिक तकनीक सीखने और दुनिया भर में खेती के क्षेत्र में हो रहे नवीनतम प्रयोगों के बारे में जानने में भी मदद मिलेगी।
छत्तीसगढ़ के इन्दिरा गाँधी कृषि विश्वविद्यालय (IGAU), रायपुर और भाभा परमाणु अनुसन्धान केन्द्र (BARC), ट्राम्बे के वैज्ञानिकों ने ख़ुशबूदार विष्णुभोग चावल की ऐसी उन्नत किस्म विकसित की है जिसके पौधों की ऊँचाई 110-115 सेंटीमीटर और पैदावार 45 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। इसे ‘ट्राम्बे छत्तीसगढ़ विष्णुभोग म्यूटेंट’ का नाम दिया गया है। आमतौर पर धान की नयी किस्म को विकसित करने में करीब 12 साल लगते हैं, लेकिन IGAU के धान अनुसन्धान केन्द्र ने इसे 5 साल में विकसित करके दिखाया है।
दिल्ली पुलिस और किसान नेताओं के बीच सहमति बनी है कि रोज़ाना पहचान पत्र धारी 200 किसान जन्तर-मन्तर पर शान्तिपूर्वक विरोध-प्रदर्शन करेंगे और कोई भी संसद की ओर नहीं जाएगा। समानान्तर संसद के बारे में एक किसान नेता ने बताया कि इसके लिए रोज़ाना एक स्पीकर और एक डिप्टी स्पीकर चुना जाएगा। समानान्तर संसद में विवादित क़ानूनों के प्रावधानों पर चर्चा होगी और इन्हें वापस लेने की माँग को बुलन्द किया जाएगा।
केन्द्र सरकार ने महज 17 दिनों में ही दालों के स्टॉक सीमा पर लगायी उस रोक को वापस ले लिया, जिसकी मियाद 31 अक्टूबर तक थी। माना जा रहा है कि सरकार के इस फ़ैसले से दलहन के किसानों को फ़ायदा होगा। हालाँकि, स्टॉक लिमिट हटने की वजह से आम उपभोक्ताओं के लिए दालों के दाम बढ़ने का ख़तरा पैदा हो गया है। वैसे नये सरकारी आदेश के बावजूद दाल मिल मालिकों, दालों के थोक विक्रेताओं और दालों के आयातकों को केन्द्र सरकार के उपभोक्ता मामलों के विभाग की निर्धारित वेबसाइट पर अपने स्टॉक की जानकारियाँ पहले की तरह ही देनी पड़ेगी।
पराली की चुनौती से निपटने के लिए सरकार ने अभी धान की रोपाई शुरू होने के वक़्त ही किसानों को सरकारी योजनाओं के बारे में जागरूक करने का अभियान शुरू किया है। इस अभियान के तहत किसानों को बताया जा रहा है कि यदि धान की कटाई के बाद किसान वैज्ञानिक तरीके से पराली से निपटने के लिए आगे आएँगे तो उन्हें पराली की कीमत के अलावा सरकार की ओर से 1,000 रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से प्रोत्साहन राशि भी दी जाएगी।