Author name: kisanofindia

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राजस्थानी किसानों को बिजली बिल में 1,000 रुपये की छूट देने की योजना लागू - Kisan Of India
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राजस्थानी किसानों को बिजली बिल में 1,000 रुपये की छूट देने की योजना लागू

MKMUY के तहत नियमित रूप से बिजली का बिल भरने वाले कृषि कनेक्शन के बिल पर 60 प्रतिशत या अधिकतम 1,000 रुपये का अनुदान सीधे लाभार्थी किसानों के बैंक खातों में ट्रांसफर किया जाएगा। इसका मतलब ये है कि यदि कृषि कनेक्शन का मासिक बिल 1,667 रुपये या इससे अधिक है तो उसे 1,000 रुपये का अनुदान मिलेगा और यदि बिजली बिल 1,667 रुपये से कम हो तो उसमें 60% की सब्सिडी दी जाएगी। लेकिन पुराने बकाया बिलों को चुकता किये जाने तक उस पर सब्सिडी नहीं मिली।

किसान आन्दोलन में अब विपक्ष की मदद लेने की रणनीति, 22 जुलाई से संसद पर प्रदर्शन
न्यूज़

किसान आन्दोलन में अब विपक्ष की मदद लेने की रणनीति, 22 जुलाई से संसद पर प्रदर्शन

कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने 1 जुलाई को भी कहा था कि ‘तीनों कृषि क़ानून किसानों के जीवन में क्रान्तिकारी बदलाव लाएँगे। इसीलिए सरकार इन क़ानूनों को निरस्त करने की माँग को छोड़कर विरोध करने वाले किसानों के साथ बातचीत करने के लिए तैयार है।’ दूसरी ओर संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) का कहना है कि किसान जानते हैं कि क़ानूनों को जीवित रखने से विभिन्न तरीकों से किसानों की कीमत पर कॉरपोरेट्स का समर्थन करने के लिए सरकारी अपनी कार्यकारी शक्ति का दुरुपयोग करेगी। क्योंकि जब क़ानून का उद्देश्य ही किसानों के ख़िलाफ़ है तो उसमें इधर-उधर की छेड़छाड़ करने से बात नहीं बनेगी।

तस्वीर से आलू के झुलसा रोग का पता लगाने की तकनीक विकसित - Kisan Of India
अन्य सब्जी, न्यूज़, सब्जियों की खेती

तस्वीर से आलू के झुलसा रोग का पता लगाने की तकनीक विकसित

आमतौर पर आलू के झुलसा रोग की जाँच और पहचान करने के लिए कृषि विशेषज्ञों को खेतों में जाकर बारीक़ी से जाँच करनी पड़ती है। दूरदराज के इलाकों के लिए ये काम कठिन और वक़्त खपाने वाला होता है, क्योंकि इसमें बाग़वानी विशेषज्ञ की ज़रूरत होती है। लेकिन नयी तकनीक के ज़रिये सिर्फ़ पत्तों की तस्वीरों के विश्लेषण से पता लगाया जा सकता है कि फसल रोगग्रस्त है या नहीं? ताकि ज़रूरत पड़ने पर किसान कीटनाशक का इस्तेमाल करके फसल बचा सकते हैं।

एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग - Kisan Of India
कृषि रोजगार एवं शिक्षा

विज्ञान में 12वीं पास छात्रों के लिए शानदार विकल्प है एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग

कृषि विज्ञान से जुड़ी सैकड़ों शैक्षिक और शोध संस्थानों में प्रतिभाशाली युवाओं के लिए शानदार सम्भावनाएँ हैं। एग्रीकल्चर इंजीनियर्स भी इनमें से ही एक है। रोज़गार की दुनिया में इसकी बहुत डिमांड भी है, क्योंकि यही समुदाय किसानों को खेती के लिए बेहतरीन किस्म के बीज, उपकरण और अन्य संसाधन न सिर्फ़ उपलब्ध करवाते हैं बल्कि इस्तेमाल के लिए प्रशिक्षित भी करते हैं। ताकि किसानों की पैदावार और आमदनी में लगातार इज़ाफ़ा होता रहे।

कोरी अफ़वाह है कि दालों की स्टॉक सीमा हटा ली गयी है: केन्द्र सरकार - Kisan Of India
कृषि उपज, दाल, न्यूज़

कोरी अफ़वाह है कि दालों की स्टॉक सीमा हटा ली गयी है: केन्द्र सरकार

नये ‘आवश्यक वस्तु क़ानून, 2020’ के प्रावधानों के अनुसार जब तक दालों का खुदरा बाज़ार भाव से साल भर पहले की तुलना में 50 प्रतिशत से ज़्यादा ऊपर नहीं चला जाता, तब तक सरकार ‘असाधारण मूल्य वृद्धि’ के नाम पर व्यापारियों पर स्टॉक सीमा नहीं थोप सकती है। सरकारी आँकड़ों के मुताबिक, एक साल पहले के मुकाबले दालों के दाम में अभी तक जो बढ़ोत्तरी हुई है वो 22-23 प्रतिशत की है। इसका मतलब ये हुआ कि नया क़ानून व्यापारियों के प्रति बहुत ज़्यादा उदार है। इसीलिए किसान नेता इसे जन-विरोधी करार देते हैं और इसे वापस लेने की माँग कर रहे हैं।

पंजाब में 2.8 लाख खेतीहर मज़दूरों और भूमिहीन किसानों का 590 करोड़ रुपये का कर्ज़ा माफ़ - Kisan Of India
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पंजाब में 2.8 लाख खेतीहर मज़दूरों और भूमिहीन किसानों का 590 करोड़ रुपये का कर्ज़ा माफ़

विधानसभा चुनाव से पहले पंजाब सरकार ने राज्य के 2 लाख 80 हज़ार खेतीहर मज़दूरों और भूमिहीन किसानों का कर्ज़ा माफ़ करने का फ़ैसला किया। इससे सरकारी ख़ज़ाने पर 590 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा और कर्ज़ माफ़ी के लिए योग्य हरेक किसान को 20 हज़ार रुपये की राहत मिलेगी।

गन्ने की खोई से कैसे बनेगी बायो-क्रॉकरी?
एग्री बिजनेस, न्यूज़

गन्ने की खोई से कैसे बनेगी बायो-क्रॉकरी?

बायो-क्रॉकरी पूरी तरह से बॉयोडिग्रेडेबल हैं। कचरे में फेंके जाने पर ये तीन महीने में पूरी तरह गल जाते हैं। इसे यदि कोई जानवर खा भी ले तो उसकी सेहत खराब नहीं होती। यानी, इसका कोई प्रतिकूल प्रभाव या साइड इफ़ेक्ट नहीं है। खोई से बनी बायो-क्रॉकरी को माइक्रोवेव, ओवन और फ्रिज़ में भी रखा जा सकता है। इसका पैकेज़िंग में भी इस्तेमाल हो सकता है।

मुज़फ़्फ़रनगर में 5 सितम्बर को महापंचायत, किसान आन्दोलन की रणनीति तय होगी - Kisan of India
राज्य

मुज़फ़्फ़रनगर में 5 सितम्बर को महापंचायत, किसान आन्दोलन की रणनीति तय होगी

भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा कि किसान आन्दोलन के सिलसिले में 5 सितम्बर को उत्तर प्रदेश के मुज़फ़्फ़रनगर ज़िले में एक महापंचायत आयोजित होगी। इसमें पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसान नेता संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) के बैनर तले आन्दोलन की आगे की रणनीति तय करेंगे।

बाड़मेर की सीमावर्ती ज़मीन पर 29 साल बाद किसानों का हक़ हुआ बहाल - Kisan of India
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बाड़मेर की सीमावर्ती ज़मीन पर 29 साल बाद किसानों का हक़ हुआ बहाल

विभाजन के बाद भारतीय किसान जहाँ तक अपनी ज़मीन का इस्तेमाल करते थे, वो 1992 की बाड़बन्दी के बाद घट गयी। बदले में सरकार ने किसानों को कोई मुआवज़ा भी नहीं दिया। किसानों की ओर से सालों-साल अपने नुकसान की भरपाई के लिए जब सरकारों से कोई राहत नहीं मिली तो किसान ने राजस्थान हाईकोर्ट में गुहार लगायी। 2013 में हाईकोर्ट ने किसानों के हक़ में उन्हें ज़मीन या मुआवज़ा देने का आदेश दिया। लेकिन सरकारी तंत्र तो अपनी कछुआ चाल से ही चलता रहा।

साल में तीन फसलें दे सकती है शिमला मिर्च, होती है बढ़िया कमाई
एग्री बिजनेस

साल में तीन फसलें दे सकती है शिमला मिर्च, होती है बढ़िया कमाई

शिमला मिर्च की उपज की मात्रा इसकी किस्म और देखभाल पर निर्भर करती है। इसीलिए इसके उत्पादन का दायरा प्रति हेक्टेयर 150 से 500 क्विंटल तक हो सकता है। लागत निकालकर शिमला मिर्च के किसान एक फसल से प्रति हेक्टेयर 5 से 7 लाख रुपये तक कमा लेते हैं। इसीलिए बढ़िया कमाई की खेती है शिमला मिर्च। हालाँकि, देश में इसकी खेती ज़्यादा नहीं होती।

मछली पालकों के लिए आमदनी बढ़ाने का नुस्ख़ा
न्यूज़, पशुपालन, पशुपालन और मछली पालन

मछली पालकों के लिए आमदनी बढ़ाने का नुस्ख़ा

केज कल्चर में रखी जाने वाली मछलियाँ का वजन जहाँ 120 दिनों में 400 ग्राम तक हो जाता है। वहीं इसी अवधि में खुले तालाबों की मछलियों का वजन 200 से 300 ग्राम तक ही हो पाता है। ज़्यादा वजन वाली मछलियों के उत्पादन से इसके किसानों की आमदनी बढ़ जाती है।

पशु पालन में कैसे बढ़ेगी आमदनी?
पशुपालन, पशुपालन और मछली पालन

पशु पालन में कैसे बढ़ेगी आमदनी?

पशु पालन से जुड़ी ज़्यादातर कर्ज़ योजनाओं के तहत बैंकों की ओर से कोई गारंटी नहीं ली जाती, बल्कि कर्ज़ से ख़रीदे गये पशु का बीमा करवाकर किसान को किसी भी आशंकित ख़तरे से सुरक्षित करने की कोशिश की जाती है।

भोपाल की रीना नागर ने आपदा को अवसर में बदला, बनायी मिसाल
ट्रैक्टर, वीडियो, सक्सेस स्टोरीज

भोपाल की रीना नागर ने आपदा को अवसर में बदला, बनायी मिसाल

भोपाल के बकनिया गाँव की रीना नागर ने ट्रैक्टर और हार्वेस्टर जैसी खेती की मशीनें चलाने का हुनर सीखकर और अपनाकर उस क्षेत्र में अपनी ख़ास पहचान बनायी जिसमें आम तौर पर मर्दों का दबदबा है। पिता की असमय मौत के बाद परिवार की खेती-किसानी और कारोबार को ऐसे सम्भाला कि मिसाल बन गयी।

मछली पालक किसानों के प्रशिक्षण के लिए मत्स्य सेतु (Matsya Setu) ऐप लॉन्च
पशुपालन, पशुपालन और मछली पालन, मछली पालन

मछली पालक किसानों के प्रशिक्षण के लिए मत्स्य सेतु (Matsya Setu) ऐप लॉन्च

मत्स्य सेतु (Matsya Setu) ऐप से प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना के तहत 20,050 करोड़ रुपये के निवेश के ज़रिये अगले पाँच साल में मछली उत्पादन में 70 लाख टन का इज़ाफ़ा करने, मछली निर्यात को 1 लाख करोड़ रुपये सालाना के स्तर तक पहुँचाने और 55 लाख लोगों के लिए रोज़गार के अवसर विकसित करने में मदद मिलेगी।

पेट्रोल-डीज़ल के बढ़ते दाम के ख़िलाफ़ 8 जुलाई को किसान का प्रदर्शन
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पेट्रोल-डीज़ल के बढ़ते दाम के ख़िलाफ़ 8 जुलाई को किसान का प्रदर्शन

पेट्रोलियम उत्पादों की दिनों-दिन बढ़ रही क़ीमतों को लेकर देशव्यापी विरोध के तहत आन्दोलनकारी स्कूटर, मोटरसाइकिल, ट्रैक्टर और रसोई गैस के सिलेंडरों के साथ सड़कों के किनारे प्रदर्शन करेंगे। प्रदर्शन के दौरान यातायात को बाधित नहीं किया जाएगा।

फसल बीमा का जागरूकता सप्ताह शुरू, 75 जनजातीय ज़िलों पर ख़ास ज़ोर
एग्री बिजनेस, फसल बीमा, फसल बीमा योजना, सरकारी योजनाएं

फसल बीमा का जागरूकता सप्ताह शुरू, 75 जनजातीय ज़िलों पर ख़ास ज़ोर

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) का मौजूदा प्रारूप साल 2016 से प्रभावी है। इस उन्नत प्रारूप के तहत 5 साल में 8.3 करोड़ से अधिक किसानों ने फसल बीमा का लाभ उठाया है। 5 साल में किसानों ने 20 हज़ार करोड़ रुपये के किस्त चुकायी और बदले में उन्हें 95 हज़ार करोड़ रुपये के मुआवज़ा मिला।

कैसे उठाएँ फसल बीमा योजना का लाभ?
एग्री बिजनेस, फसल बीमा, फसल बीमा योजना, सरकारी योजनाएं

कैसे उठाएँ फसल बीमा योजना का लाभ?

अब PMFBY के तहत होने वाले फसल बीमा के प्रीमियम का बड़ा हिस्सा केन्द्र और राज्य सरकारें भरती हैं। लिहाज़ा, किसानों को इसका अधिक से अधिक फ़ायदा उठाने के लिए आगे आना चाहिए। किसी भी बीमा की तरह फसल बीमा मकसद भी किसानों को मुश्किल दौर में वित्तीय सुरक्षा देना ही है। PMFBY के तहत फसल की बुआई के पहले से लेकर कटाई के बाद तक की बीमा सुरक्षा मिलती है।

भेड़ पालन के लिए कैसे और कितनी मिलती है सरकारी मदद?
न्यूज़, पशुपालन, बकरी पालन

भेड़ पालन के लिए कैसे और कितनी मिलती है सरकारी मदद?

भेड़ पालन के लिए सरकार कर्ज़ या मदद पाने की दो मुख्य योजनाएँ हैं। इसमें बैंक से मिले कर्ज़ की आधी रकम पर कोई ब्याज़ नहीं चुकाना पड़ता। पहली योजना के तहत एक लाख रुपये तक का कर्ज़ लिया जा सकता है। दूसरी योजना के तहत भेड़ पालक एक लाख रुपये से ज़्यादा का कर्ज़ भी ले सकते हैं। लेकिन इसमें ब्याज़ रहित राशि की सीमा 50 हज़ार रुपये तक ही होती है।

जिरेनियम पैदा करें तो डेढ़ से दो गुना ज़्यादा कमाई होगी- Kisan of India
एग्री बिजनेस

दोमट और बलुई दोमट ज़मीन के लिए वरदान है जिरेनियम, तेल बनाकर करें बेजोड़ कमाई

जिरेनियम तेल के उत्पादक इसे स्वतंत्र रूप से हर्बल और फॉर्मा कम्पनियों को बेच सकते हैं। मेंथाल या मिंट या पिपरमिंट की खेती करने वालों को तो फ़ौरन जिरेनियम की खेती में भी अपना हाथ आज़माना चाहिए, क्योंकि दोनों की खेती में काफ़ी समानता है। इत्तेफ़ाकन, मेंथाल का भारत अग्रणी उत्पादक है, तो जिरेनियम के तेल के लिहाज़ से हम ख़ासे फिस्सडी पीछे हैं।

PMFBY ke Liye 31 April tak apply karein - Kisan of India
एग्री बिजनेस, न्यूज़, फसल बीमा, फसल बीमा योजना, सरकारी योजनाएं

किसानों के लिए बीज, खाद, सिंचाई से कम नहीं है फसल बीमा

बाढ़, सूखा, ओला वृष्टि जैसी प्राकृतिक आपदाएँ, जो किसानों को पूरी तरह से तबाह कर देती हैं। बम्पर फसल की मार से किसानों को सिर्फ़ मार्केटिंग का बेहतर नेटवर्क ही उबार सकता है, जो किसानों की पहुँच से ख़ासा दूर होता है लेकिन प्राकृतिक आपदाओं के मार से बचाव के लिए किसान को ख़ुद कमर कसकर आगे आना चाहिए और फसल बीमा से ज़रूर जुड़ना चाहिए। फसल बीमा का पालिसी ज़रूर खरीदनी चाहिए।

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