2,400 रुपये वाली DAP अब पिछले साल के भाव 1,200 रुपये में ही मिलेगी
50 किलो की DAP की बोरी अब 2,400 रुपये की जगह अब 8 अप्रैल से पहले वाली अपनी पुरानी कीमत यानी 1,200 रुपये में ही मिलेगी।
50 किलो की DAP की बोरी अब 2,400 रुपये की जगह अब 8 अप्रैल से पहले वाली अपनी पुरानी कीमत यानी 1,200 रुपये में ही मिलेगी।
22 मई के आसपास पूर्व-मध्य बंगाल की खाड़ी पर एक कम दबाव का क्षेत्र बनने की बहुत सम्भावना है। अगले 72 घंटों के दौरान धीरे-धीरे इसी वायुमंडलीय चक्र (सिस्टम) के एक चक्रवाती तूफ़ान का रूप धारण करने की सम्भावना है। इसके बाद ये उत्तर-पश्चिम की ओर बढ़ने लगेगा और 26 मई की शाम के आसपास इस चक्रवाती तूफ़ान के ओडिशा-पश्चिम बंगाल के तटों तक पहुँचने की सम्भावना है।
PMGKAY-III के तहत लक्षद्वीप प्रशासन इकलौता है जिसने मई और जून 2021 के लिए आबंटित अपने पूरे कोटा को उठा लिया है। लक्षद्वीप के बाद 15 राज्य और केन्द्र शासित प्रदेश अब तक मई के लिए आबंटित अपने पूरे कोटा को FCI के डिपो से उठा चुके हैं। ये हैं – आन्ध्र प्रदेश, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, अरुणाचल प्रदेश, गोवा, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, केरल, लद्दाख, मेघालय, मिज़ोरम, नागालैंड, पुडुचेरी, तमिलनाडु, तेलंगाना और त्रिपुरा।
PMKSNY अब पूरे देश के हरेक राज्य और केन्द्र शासित प्रदेशों के किसानों के लिए समान रूप से लागू हो गयी है। इसके तहत उन छोटे और सीमान्त किसानों को 2-2 हज़ार रुपये की तीन किस्तों के रूप में 6,000 रुपये सालाना दिये जाते हैं जिनके पास 2 हेक्टेयर या 5 एकड़ से कम ज़मीन है।
कोरोना की भयावहता की मार झेल रहे पश्चिमी तट पर बसे सभी राज्यों के लिए ‘ताउते’ दोहरी आफ़त बनकर आ रहा है। इसीलिए केरल सरकार ने अस्पतालों में ऑक्सीजन भंडार बढ़ाने के लिए अन्य राज्यों से कम से कम 300 मीट्रिक ट्रन ऑक्सीजन तत्काल भेजने की अपील की है। केन्द्रीय जल आयोग (CWC) ने मणिमाला और अचनकोविल नदियों के दोनों किनारों पर बसे लोगों से बाढ़ की दशा के प्रति सतर्क रहने को कहा है।
दलहन की अनेक फसलों को खेत का टॉनिक माना जाता है। जैसे खरीफ की फसलों से पहले मूँग, उड़द, ढेंचा, लोबिया और रबी की फसलों से पहले मसूर, अरहर और चना की खेती करने पर इसलिए बहुत ज़ोर होता था क्योंकि इन फसलों की जड़ों में ऐसे बैक्टीरिया होते हैं जो वातावरण से नाइट्रोजन को खींचकर ज़मीन में मिलाते हैं। इसीलिए इन फसलों के अवशेष को भी 45-50 दिनों बाद खेतों में ही जोतकर सिंचाई कर दी जाती है ताकि वो जल्दी से सड़-गलकर खाद में तब्दील हो जाएँ। इसे ही ‘हरी खाद की खेती’ कहते हैं।
खेत-तालाब योजना बुन्देलखंड समेत कम वर्षा और अत्यधिक भूजल दोहन करके नाज़ुक (क्रिटिकल) श्रेणी में पहुँच गये 44 ज़िलों के 167 ब्लॉक के किसानों से जुड़ी है। 27.88 करोड़ रुपये की इस योजना में 3,384 तालाब के निर्माण का लक्ष्य है। वैसे बुन्देलखंड में साल 2018 और 2019 में केन्द्र सरकार के विशेष पैकेज़ की बदौलत 166 चेक डैम का भी निर्माण हुआ है। इससे सूखा पीड़ित क्षेत्र के किसानों को ख़ासी राहत भी मिली है।
परम्परगत खेती के तहत गेहूँ-चावल-दलहन-तिलहन जैसी फसलों के सिवाय बाक़ी पूरा का पूरा ग्रामीण समाज बुरी तरह से टूटा हुआ है। ऐसे करोड़ों लोगों की मदद के लिए आगे आने वाले सरकारी तंत्र का कहीं दूर-दूर तक कोई नामोनिशान नहीं हैं। सभी ने किसानों को उनके नसीब पर ही छोड़ दिया है।
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PMKSNY) योजना के तहत की ताज़ा किस्त के रूप में 19 हज़ार करोड़ रुपये किसानों के खातों में पहुँचेंगे। इससे पहले PMKSNY के तहत किसानों को 1.15 लाख करोड़ रुपये भेजे जा चुके हैं।
भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने बताया है कि दक्षिण-पूर्व अरब सागर के ऊपर एक कम वायुमंडलीय दबाव का क्षेत्र बन गया है जो धीरे-धीरे शक्तिशाली होकर लक्षद्वीप की ओर बढ़ रहा है। इसी वजह से रविवार तक लक्षद्वीप, केरल, कर्नाटक, गोवा, महाराष्ट्र और गुजरात के तटवर्ती इलाकों में तूफ़ान ‘ताउते’ का कहर बरपा हो सकता है। इसकी वजह से 14 से 16 मई के दौरान पश्चिमी तट के राज्यों के कई इलाकों में भारी बारिश हो सकती है।
राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार लगातार किसानों और प्रदर्शनकारियों का बदनाम करने के रवैये से बाज नहीं आ रही। इसीलिए बार-बार आम जनता के बीच दुष्प्रचार करवाया जा रहा है कि प्रदर्शनकारी किसान कोरोना से जुड़े नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं। जबकि सच्चाई इससे बिल्कुल परे है।
अगले 24 घंटों के दौरान पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के कुछ हिस्सों में हल्की से मध्यम बारिश के साथ धूल भरी आँधी, बादल गरजने और एकाध जगह पर ओले गिरने के आसार हैं। उत्तर और पूर्वी मध्य प्रदेश, तेलंगाना, तटीय आन्ध्र प्रदेश और अंडमान और निकोबार द्वीप के कुछ हिस्सों में हल्की से मध्यम बारिश हो सकती है।
उम्मीद है कि प्रधानमंत्री खुलासा करेंगे कि 33 लाख अयोग्य किसानों में से कितनों का अब तक सत्यापन हो चुका है और कितनों से नाजायज़ रकम की वसूली हो चुकी है? क्योंकि ऐसा माना जा रहा था कि अयोग्य लोगों से खातों से वसूली करने और योग्य लाभार्थियों के सत्यापन में ज़्यादा वक़्त लगने की वजह 20 अप्रैल के आसपास किसानों को आठवीं किस्त का भुगतान नहीं हो पाया। PMKSNY को अप्रैल-जुलाई, अगस्त-नवम्बर और दिसम्बर-मार्च की किस्तों में बाँटा गया है। इसके तहत योग्य किसानों को 500 रुपये मासिक के हिसाब से सालाना 6000 रुपये दिये जाते हैं।
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) की ओर से 15, 16, 17 और 18 मई के लिए मौसम के पूर्वानुमान का बुलेटिन जारी किया गया है
मुज़फ़्फ़रपुर के मीनापुर ब्लॉक के कई गाँवों में सब्ज़ी की खेती बड़े स्तर पर होती है। इलाके में सब्ज़ियों की हिफ़ाज़त के लिए कोई कोल्ड स्टोरेज नहीं है। यही वजह है कि खेतों में औलाद की तरह फसल की परवरिश करने वाले किसान बाज़ार में दाम नहीं मिलने की वजह से सब्ज़ियों को सड़क पर फेंकने के लिए मज़बूर हो रहे हैं।
मध्य प्रदेश सरकार राज्य के किसानों को खरीफ तथा रबी फसल के लिए सहकारी बैंक से ब्याज़-रहित कर्ज़ लेने की सुविधा देती है, बशर्ते कि कर्ज़ को तय वक़्त तक चुकता कर दिया जाए। वर्ना, उन्हें आख़िरी तारीख़ के बाद की अवधि के लिए मूलधन और उस पर लागू 13 प्रतिशत की उच्च दर पर ब्याज़ भरना पड़ता है।
एगमॉर्क निशान वाले उत्पादों को बेचना आसान होता है, जबकि एगमॉर्क-विहीन उत्पादों की गुणवत्ता संदिग्ध मानी जाती है। इस तरह खेती-किसानी से जुड़े व्यवसाय में एगमॉर्क हासिल करने से कमाई बढ़ाने में मदद मिलती है। लेकिन किसी भी उत्पादक के लिए एगमॉर्क निशान हासिल करना अनिवार्य नहीं है। ये पूरी तरह से स्वैच्छिक ही है।
6 मई 2021 तक 323.67 लाख मीट्रिक टन गेहूँ खरीदा गया है जबकि पिछले साल इसकी मात्रा 216.01 लाख मीट्रिक टन थी। धान की सरकारी खरीद भी अब तक 727.41 लाख मीट्रिक टन से ज़्यादा रही है, जो गेहूँ से ढाई गुना यानी 125% अधिक है।
जिन उन्नत किस्मों के बीज 10-10 किलो के पैकेट में उपलब्ध हैं, उनके नाम हैं – पूसा बासमती 1121, पूसा बासमती 1509, पूसा बासमती 1, पूसा बासमती 1637, पूसा बासमती 1728 और पूसा बासमती 1718. इन्हें उपरोक्त संस्थानों के काउन्टर से भी खरीदा जा सकता है, लेकिन इसके लिए किसानों को कार्ड से ही भुगतान करना होगा। कोरोना के प्रकोप को देखते हुए रुपयों का नकद लेन-देन नहीं किया जाएगा।
हिमाचल प्रदेश के कृषि निदेशालय ने 11 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट को केन्द्र सरकार के पास वित्तीय मदद और मंज़ूरी के लिए भेजा है। इसमें केन्द्र और राज्य की भागीदारी 90 अनुपात 10 फ़ीसदी के हिसाब से रहेगी।