Author name: Mukesh Kumar Singh

Mukesh Kumar Singh
Poplar Tree Farming: पोपलर के पेड़
न्यूज़, अन्य खेती, फसल न्यूज़, विविध

Poplar Tree Farming: पोपलर के पेड़ लगाकर पाएँ शानदार और अतिरिक्त आमदनी

पोपलर, सीधा तथा तेज़ी से बढ़ने वाला वृक्ष है। सर्दियों में इसकी पत्तियों के झड़ जाने से रबी की फ़सलों को मिलने वाली धूप की मात्रा में कोई ख़ास कमी नहीं होती। इसी तरह, पोपलर की छाया से ख़रीफ़ फ़सलों को भी कोई ख़ास नुकसान नहीं पहुँचता है।

जौ की उन्नत और व्यावसायिक खेती
एग्री बिजनेस, न्यूज़

Barley Farming: अनाज, चारा और बढ़िया कमाई एक साथ पाने के लिए करें जौ की उन्नत और व्यावसायिक खेती

जौ की ज़्यादा पैदावार लेने के लिए जौ की नयी और उन्नत किस्में अपनायी जाएँ। इसका चयन क्षेत्रीय उपयोग और संसाधनों की उपलब्धता के आधार पर करना चाहिए। नयी किस्मों, उत्पादन तकनीकों में विकास और गुणवत्ता में सुधार की वजह से जौ की पैदावार में ख़ासा सुधार हुआ है। इसीलिए ये जानना बेहद ज़रूरी है कि जौ की उन्नत और व्यावसायिक खेती के लिए क्या करें, कब करें, कैसे करें, क्यों करें और क्या नहीं करें?

मिट्टी की सेहत soil health
कृषि उपज, न्यूज़, मिट्टी की सेहत

Soil properties: अच्छी होगी मिट्टी की सेहत तो फसल उत्पादन बेहतर, कैसे पोषक तत्वों का खज़ाना बनती है मिट्टी?

प्रकाश संश्लेषण के तहत धूप, हवा, पानी और मिट्टी से प्राप्त पोषक तत्वों के बीच रासायनिक क्रियाएँ करके पौधे अपना भोजन पकाते या निर्मित करते हैं। मिट्टी से पौधों को 16 पोषक तत्वों की सप्लाई होती है। किसी भी फ़सल का अच्छा विकास और खेती से होने वाले लाभ का दारोमदार इन्हीं पोषक तत्वों पर होता है।

जैविक कीटनाशक
टेक्नोलॉजी, उर्वरक, कृषि उपज, फसल प्रबंधन

Bio-pesticides: खेती को बर्बादी से बचाना है तो जैविक कीटनाशकों का कोई विकल्प नहीं

जैविक कीटनाशकों में ‘एक साधे सब सधे’ वाली ख़ूबियाँ होती हैं। इसका मनुष्य, मिट्टी, पैदावार और पर्यावरण पर कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता और फ़सल के दुश्मन कीटों तथा बीमारियों से भी क़ारगर रोकथाम हो जाती है। इसीलिए, जब भी कीटनाशकों की ज़रूरत हो तो सबसे पहले जैविक कीटनाशकों को ही इस्तेमाल करना चाहिए।

हाइड्रोपोनिक hydroponic farming
न्यूज़, टेक्नोलॉजी, फसल प्रबंधन

Hydroponic Farming: जानिए हाइड्रोपोनिक उपज से कैसे होती है ‘जैविक खेती’ जैसी कमाई?

बड़े शहरों में मौजूद सुपर मार्केट्स के अलावा ऑनलाइन मार्केटिंग के मामले में भी हाइड्रोपोनिक विधि से तैयार कृषि उत्पादों की बिक्री तेज़ी बढ़ रही है। अब नामी-गिरमी होटलों, रेस्त्राँ, क्लाउड किचन, कॉरपोरेट कैंटीन आदि में रोज़ाना बड़ी मात्रा में हाइड्रोपोनिक खेती के उत्पाद खरीदे जा रहे हैं।

जंगली गेंदे की खेती
फल-फूल और सब्जी, न्यूज़, फूलों की खेती

जंगली गेंदे की खेती है बेजोड़, प्रति हेक्टेयर 35 हज़ार लागत और 75 हज़ार रुपये मुनाफ़ा

दक्षिण अफ्रीका के बाद भारत, जंगली गेंदे के तेल का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। देश में फ़िलहाल, जंगली गेंदे के तेल का कुल सालाना उत्पादन क़रीब 5 टन है। बीते दशकों में उत्तर भारत के पहाड़ी और मैदानी इलाकों जैसे हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर तथा उत्तर प्रदेश के तराई के इलाकों में जंगली गेंदे की व्यावसायिक खेती की लोकप्रियता बढ़ी है।

बकरी पालन से कमाई (goat farming profit)
पशुपालन और मछली पालन, न्यूज़, पशुपालन, बकरी पालन

Goat Farming Business Plan In Hindi: वैज्ञानिक तरीके से करें बकरी पालन, लागत से 3 से 4 गुना होगी कमाई

वैज्ञानिक तरीके से बकरी पालन करके पशुपालक किसान अपनी कमाई को दोगुनी से तिगुनी तक बढ़ा सकते हैं। इसके लिए बकरी की उन्नत नस्ल का चयन करना, उन्हें सही समय पर गर्भित कराना और स्टॉल फीडिंग विधि को अपनाकर चारे-पानी का इन्तज़ाम करना बेहद फ़ायदेमन्द साबित होता है।

जलवायु परिवर्तन
जलवायु परिवर्तन, जैविक खेती, जैविक/प्राकृतिक खेती, टेक्नोलॉजी, फसल प्रबंधन, विविध

Climate change: जलवायु परिवर्तन क्यों है खेती की सबसे विकट समस्या और क्या है इससे उबरने के उपाय?

जलवायु परिवर्तन (Climate change) की वजह से जैविक और अजैविक तत्वों के बीच प्राकृतिक आदान-प्रदान से जुड़ा ‘इकोलॉजिकल सिस्टम’ भी प्रभावित हुआ है। इससे मिट्टी के उपजाऊपन में ख़ासी कमी आयी है। सिंचाई की चुनौतियाँ बढ़ी हैं। इसीलिए किसानों को जल्दी से जल्दी पर्यावरण अनुकूल खेती को अपनाना चाहिए।

गैनोडर्मा मशरूम ganoderma mushroom
फल-फूल और सब्जी, मशरूम, सब्जियों की खेती

Ganoderma Cultivation Part 3: गैनोडर्मा मशरूम की एक बीजाई से कैसे मिलता है तीन बार फ़सल कटाई का मौका?

गैनोडर्मा मशरूम का उत्पादन निजर्मीकृत (sterilized) माध्यम पर कार्बनिक या जैविक विधि से किया जाता है। इससे फ़सल को बीमारियाँ और कीड़े-मकोड़े से सुरक्षित रखना आसान होता है।

चने की उन्नत खेती chickpea farming
कृषि उपज, दाल, न्यूज़

Chickpea Farming: करोड़ों किसान क्यों पाते हैं चने की क्षमता से आधी उपज? जानिए, कैसे करें चने की उन्नत खेती और बढ़ाएँ कमाई?

भारत में मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान और कर्नाटक, प्रमुख चना-उत्पादक राज्य हैं। लेकिन पैदावार में 14.56 क्विंटल/ हेक्टेयर के साथ तेलंगाना सबसे ऊपर है तो 6 क्विंटल/हेक्टेयर के साथ कर्नाटक सबसे नीचे। जबकि राष्ट्रीय औसत 10.55 क्विंटल/ हेक्टेयर है। हालाँकि, देश में 20 से 30 क्विंटल/ हेक्टेयर पैदावार देने वाली चने की अनेक उन्नत और रोग प्रतिरोधी नस्लें मौजूद हैं। लिहाज़ा, किसानों को जल्द से जल्द चने की उन्नत खेती के नुस्खे अपनाने चाहिए।

चिया की खेती (Chia farming)
कृषि उपज, लाईफस्टाइल

चिया की खेती (Chia farming): लागत से दोगुनी कमाई चाहिए तो उपजाएँ चिया

चिया के किसानों को खेती में नुकसान होने की कोई चिन्ता नहीं सताती। चिया को मध्यम दर्ज़े वाली उपजाऊ और अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी में आसानी से उगाया जा सकता है। चिया में अम्लीय मिट्टी को काफ़ी हद तक सहन करने की क्षमता होती है। अच्छे पौष्टिक उत्पादन के लिए चिया की जैविक खेती करना बेहतर रहता है।

गैनोडर्मा मशरूम की खेती part2 1
फल-फूल और सब्जी, मशरूम, सब्जियों की खेती

Ganoderma Cultivation Part 2: क्या है अद्भुत गैनोडर्मा मशरूम की खेती का वैज्ञानिक तरीका?

गैनोडर्मा मशरूम के पनपने के लिए देवदार और चीड़ जैसे उन पेड़ों की लट्ठे या बुरादा उपयुक्त नहीं होते जिनमें तैलीय तत्व पाये जाते हैं। इसके लिए चौड़ी पत्तियों वाले पेड़ जैसे आम, जामुन, पीपल, पापलर शीशम आदि की लकड़ी और इसका बुरादा बेहतरीन होता है। चीन-जापान में इसके लिए ओक, चेस्टनट और एप्रीकाट जैसे पेड़ों के लट्ठे और बुरादा का इस्तेमाल होता है।

गैनोडर्मा मशरूम की खेती Ganoderma mushroom
फल-फूल और सब्जी, मशरूम, सब्जियों की खेती

Ganoderma: गैनोडर्मा मशरूम की खेती से करें ज़बरदस्त कमाई, सेहत का भी है अनमोल ख़ज़ाना, Experts से बातचीत

औषधीय गुणों वाले मशरूमों में से गैनोडर्मा की विश्व व्यापार में हिस्सेदारी क़रीब 70 फ़ीसदी की है और ये राशि क़रीब 3 अरब डॉलर की है। लेकिन भारत में गैनोडर्मा की पैदावार ख़ासी कम है और माँग बहुत ज़्यादा। तभी तो देश में इसका 200 करोड़ रुपये से ज़्यादा का आयात होता है। कृषि वैज्ञानिक और संस्थान अब गैनोडर्मा मशरूम की खेती को बढ़ावा देने पर काम कर रहे हैं। 

मुंजा घास munja grass
कृषि उपज

अनुपजाऊ ज़मीन पर करें मुंजा घास या सरकंडे की व्यावसायिक खेती और पाएँ शानदार कमाई

बारानी या सूखाग्रस्त इलाकों के लिए मुंजा घास की खेती काफ़ी उपयोगी साबित हो सकती है। इसकी वैज्ञानिक और व्यावसायिक खेती से एक बार की पौधे लगाने के बाद 30-35 साल तक कमाई होती है। इससे सालाना प्रति हेक्टेयर 350 से 400 क्विंटल उपज प्राप्त की जा सकती है और इससे ढाई से तीन लाख रुपये की आमदनी हो सकती है।

रागी की खेती
न्यूज़

Ragi Cultivation (मंडुआ): रागी की latest उन्नत किस्मों से लेकर बुवाई का सही तरीका

प्रतिकूल परिस्थितियों में और कम देखभाल होने पर भी अच्छी पैदावार देने वाली फसलों में रागी की ख़ास पहचान है। धान की फसल नहीं लगा पाने की अवस्था में रागी की खेती को आकस्मिक फसल की तरह कर सकते हैं। सेहत के लिए शानदार है पौष्टिक तथा सुपाच्य अनाज रागी का सेवन।

Sweet Potato Farming: शकरकन्द की उन्नत खेती
फल-फूल और सब्जी, न्यूज़, सब्जियों की खेती

Sweet Potato Farming: शकरकन्द की उन्नत खेती करके बढ़ाएँ पैदावार और कमाई

शकरकन्द उत्पादक देशों की सूची में भारत का छठा स्थान है। लेकिन भारत में शकरकन्द की उत्पादकता दर ख़ासी कम है। इसीलिए भारत में शकरकन्द की उन्नत खेती में उन्नत कृषि तकनीकों को अपनाना बेहद ज़रूरी है।

थनैला
पशुपालन और मछली पालन, डेयरी फ़ार्मिंग, देसी गाय, पशुपालन

थनैला (Mastitis): दुधारू पशुओं का ख़तरनाक रोग, इलाज़ में नहीं करें ज़रा भी देरी

थनैला किसी भी उम्र में हो सकता है, लेकिन प्रसव के बाद इसके लक्षण उग्र हो जाते हैं। थनैला से संक्रमित गाय का दूध इस्तेमाल के लायक नहीं रहता। दूध उत्पादन गिर जाता है और पशु के इलाज़ का बोझ भी पड़ता है। लिहाज़ा, थनैला का शक़ भी हो तो फ़ौरन पशु चिकित्सक को दिखाना चाहिए।

कलौंजी की खेती
एग्री बिजनेस

कलौंजी की खेती का मार्केट क्या है? जानिए Black Cumin की खूबियां

किसानों को बाज़ार में कलौंजी (Nigella Sativa) का सामान्य दाम करीब 20 हज़ार रुपये प्रति क्विंटल तक मिल जाता है। कलौंजी की माँग इतनी उम्दा है कि मसालों के कई ब्रान्ड किसानों से इसकी पैदावार ठेके (कॉन्ट्रैक्ट खेती) पर भी करवाते हैं।

ड्रैगन फ्रूट की खेती
न्यूज़, अन्य फल, एग्री बिजनेस, फल-फूल और सब्जी, फलों की खेती, फसल न्यूज़

Dragon Fruit Farming: ड्रैगन फ्रूट की खेती से कैसे कमायें सालाना प्रति एकड़ 6 से 7 लाख रुपये?

ड्रैगन फ्रूट की खेती में बढ़िया मुनाफ़ा होता है। फिर भी बहुत कम किसान ही ड्रैगन फ्रूट की पैदावार करते हैं। ड्रैगन फ्रूट को कम सिंचाई की ज़रूरत पड़ती है। पशुओं द्वारा चरे जाने और फसल में कीड़े लगने का जोख़िम भी ड्रैगन फ्रूट की खेती में नहीं है।

मोटे अनाज millets farming
कृषि उपज, न्यूज़

Millets Farming: ‘पौष्टिक अनाज वर्ष 2023’ के ज़रिये मिलेट्स या मोटे अनाज के सेवन पर ज़ोर

हरित क्रान्ति से पहले देश के ग्रामीण परिवारों के दैनिक आहार में मोटे अनाजों से तैयार पारम्परिक व्यंजन ख़ूब प्रचलित थे। गेहूँ, चावल और मक्का वग़ैरह के मुक़ाबले परम्परागत मोटे अनाजों यानी मिटेल्स की खेती आसान और कम लागत में होती है। लेकिन जैसे-जैसे गेहूँ-चावल की उपलब्धता बढ़ती गयी वैसे-वैसे इसे आर्थिक रूप से सम्पन्न लोगों के अनाज के रूप में देखा जाने लगा। इसकी वजह से इससे साल दर साल मोटे अनाज की माँग और पैदावार गिरती चली गयी।

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