Author name: Mukesh Kumar Singh

Mukesh Kumar Singh
जैविक पशुपालन organic animal husbandry
जैविक/प्राकृतिक खेती, जैविक खेती, न्यूज़

Organic Animal Husbandry: जैविक पशुपालन बना किसानों के लिए कमाई का तगड़ा ज़रिया

खेती को टिकाऊ और लाभदायक बनाने के लिहाज़ से जितनी अहमियत जैविक खेती की है, उतना ही लाभकारी है इसे जैविक पशुपालन से जोड़ना। इसीलिए जिस तरह से जैविक खेती में पारम्परिक कृषि प्रणाली में सीमित इनपुट पर आधारित कम उत्पादन को विशिष्ट स्थान के साथ ही साथ ज़्यादा दाम भी मिलता है, उसी तरह से जैविक पशुपालन से पैदा होने वाले उत्पादों को भी खाद्य पदार्थों के बाज़ार में विशिष्ट दर्ज़ा हासिल होता है।

मटकों में मशरूम की खेती growing mushroom in pots
न्यूज़, मशरूम, सब्जियों की खेती

मटकों में ढींगरी मशरूम की खेती: जानिए उन्नत तकनीक के ज़रिये कैसे बढ़ाएँ आमदनी?

यदि मौसम के अनुसार ढींगरी की प्रजातियाँ चुनी जाएँ तो पूरे साल इसकी उपज मिल सकती है। ढींगरी की विभिन्न प्रजातियाँ जहाँ देखने में अलग-अलग हैं, वहीं इनका स्वाद भी भिन्न होता है और इन्हें उगाने के लिए तापमान भी अलग-अलग रखना पड़ता है।

Sticky trap स्टिकी ट्रैप
टेक्नोलॉजी, न्यूज़, फसल प्रबंधन

Sticky trap: जानिए फ़सलों के लिए कैसे सबसे सुरक्षित कीटनाशक हैं स्टिकी ट्रैप?

‘स्टिकी ट्रैप’ ऐसा घरेलू कीटनाशक है जो ये किसी ज़हरीले रसायन के बग़ैर ही हानिकारक कीटों के दुष्प्रभाव से फ़सलों की सुरक्षा करता है। ये रासायनिक कीटनाशकों की तुलना में बेहद सस्ता होता है। स्टिकी ट्रैप के इस्तेमाल से फ़सलों को कीटों से होने वाले नुकसान में 40 से 50 प्रतिशत तक कमी आ जाती है और इससे फ़सल, खेत की मिट्टी, पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य को कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है।

Sunflower farming सूरजमुखी की खेती
फूलों की खेती, न्यूज़

Sunflower Farming: किसी भी ज़मीन और मौसम में करें सूरजमुखी की खेती और पाएँ शानदार कमाई

सूरजमुखी की खेती में अच्छी पैदावार पाने के लिए सही वक़्त पर परपरागण होने का विशेष महत्व है। आमतौर पर परपरागण का काम भौरों और मधुमक्खियों के माध्यम से होता है। लेकिन जिस इलाके में प्रकृति के इन परपरागणकर्मियों की कमी हो, वहाँ किसानों के हाथ से परपरागण की क्रिया पूरी करनी चाहिए।

बांस की खेती से कैसे कर सकते हैं ज़्यादा कमाई ?
न्यूज़

बांस की खेती (Bamboo Cultivation): जानिए क्यों अद्भुत और सदाबहार हैं बांस, किसान की कैसे होती है पीढ़ी दर पीढ़ी कमाई?

बांस को ‘हरा सोना’ भी कहते हैं। अन्य फसलों की तरह बांस के खेत को बार-बार तैयार करने की नौबत नहीं आती। इसे किसी ख़ास देखरेख की भी ज़रूरत नहीं पड़ती। ये बहुत कम लागत में शानदार कमाई देता है। बांस की खेती को महज 15 हज़ार रुपये प्रति एकड़ की लागत से शुरू कर सकते हैं जिससे सालाना डेढ़ से दो लाख रुपये की कमाई हो सकती है।

Soil Health Card
न्यूज़, फसल न्यूज़, मिट्टी की सेहत

Soil Health Card Scheme: मिट्टी की जाँच (Soil Testing) करवाकर खेती करने से 5-6 फ़ीसदी बढ़ी पैदावार

सरकारी लैब में मिट्टी की जाँच मुफ़्त होती है और Soil Health Card दिया जाता है। इसे फ़सल बुआई के वक़्त ही करवाना ज़रूरी नहीं है, बल्कि किसी भी वक़्त करवा सकते हैं। आमतौर पर तीन-चार साल के अन्तराल पर मिट्टी की जाँच करवाकर विशेषज्ञों की राय के मुताबिक़ मिट्टी का उपचार ज़रूर करना चाहिए।

लवणीय मिट्टी
न्यूज़, मिट्टी की सेहत

World Soil Day: लवणीय मिट्टी या रेह मिट्टी के सुधार और प्रबन्धन की best practices?

लवणीय मिट्टी में सोडियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम या उनके क्लोराइड और सल्फ़ेट ज़्यादा मात्रा में होते हैं। ये सभी तत्व पानी में घुलनशील होते हैं। इन्हीं घुलनशील लवणीय तत्वों की सफ़ेद पपड़ी खेत की मिट्टी की ऊपरी सतह पर बन जाती है। लवणीय मिट्टी का प्रकोप अक्सर ऐसी ज़मीन पर नज़र आता है जहाँ जलभराव की समस्या होती है।

बीज फ़सल seed production बीज उत्पादन
टेक्नोलॉजी, न्यूज़, बीज उत्पादन

Certified Seed Farming (बीज उत्पादन): जानिए बीज-फ़सल की खेती कैसे करें और कमाएँ शानदार मुनाफ़ा?

उन्नत खेती से जुड़े प्रगतिशील किसानों से ये अपेक्षा होती है कि वो ख़ुद को बीज-फ़सल की खेती से अवश्य जोड़ें, क्योंकि ऐसा करके वो ना सिर्फ़ अपने लिए उत्तम किस्म के बीजों की उपलब्धता सुनिश्चित कर सकते हैं, बल्कि अपने आसपास के किसानों और प्रमाणिक बीज उत्पादक संस्थाओं को बीज-फ़सल की उपज बेचकर बढ़िया कमाई कर सकते हैं।

Drip irrigation: टपक सिंचाई सिस्टम
टेक्नोलॉजी, न्यूज़, फसल प्रबंधन

टपक सिंचाई सिस्टम: खेती में लागत घटाने और कमाई बढ़ाने के लिए अपनाएँ Drip irrigation System

टपक सिंचाई विधि में पानी को पतले पाइप्स के नेटवर्क के ज़रिये सतत बूँदों के रूप में धीमी गति से पौधों के जड़-क्षेत्र में पहुँचाया जाता है। इसमें पानी का वाष्पन और उसकी ख़पत भी न्यूनतम होती है। इसी विधि से खाद के पोषक तत्व भी पानी में घुलकर सटीक जगह तक पहुँचते हैं। इसे अपनाने के लिए प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY) के तहत किसानों को सब्सिडी भी मिलती है।

mahogany farming in india (महोगनी की खेती)
न्यूज़, अन्य खेती, एग्री बिजनेस, फल-फूल और सब्जी, विविध, सब्जी/फल-फूल/औषधि

महोगनी की खेती Part 3: बेहद कीमती हैं महोगनी के उत्पाद, जानिए क्यों है इतनी मांग

महोगनी की खेती (Mahogany Farming) लंबे समय के लिए किए गए निवेश की तरह है। इसके साथ अन्य फसलों की खेती कर किसान अपनी आमदनी में इज़ाफ़ा कर सकते हैं।

मल्टीलेयर फ़ार्मिंग (Multilayer Farming)
एग्री बिजनेस, कृषि रोजगार एवं शिक्षा, टेक्नोलॉजी, फसल प्रबंधन

मल्टीलेयर फ़ार्मिंग: खेती में चमकानी है किस्मत तो अपनाएं Multilayer Farming, जानिए इसके बारे में

सारी जानकारियाँ जुटाकर ही किसानों को मल्टीलेयर फ़ार्मिंग को अपनाना चाहिए और फिर पूरी निष्ठा से अपने काम को करना चाहिए। आधे-अधूरे मन से या लापरवाही से या औरों के भरोसे खेती करने वालों के लिए मल्टीलेयर फ़ार्मिंग ज़्यादा फ़ायदेमन्द नहीं हो सकता। इस तकनीक की सफलता इसके उम्दा तरीके से लागू होने पर ही निर्भर करती है। मल्टीलेयर फ़ार्मिंग, कोई जादू-टोना या मंत्र-ओझा का काम नहीं है।

mahogany farming in india (महोगनी की खेती)
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Mahogany Farming Part 1: जानिए कैसे करें महोगनी की खेती, किन बातों का ध्यान रखें?

महोगनी के पेड़ बेहद क़ीमती माने जाते हैं, क्योंकि इसके हरेक भाग मसलन, पत्ती, फूल, बीज, खाल और लकड़ी, सभी की माँग होती है और सबका अच्छा दाम मिलता है। महोगनी की खेती किसानों को लंबे समय के लिए मुनाफ़ा देती है।

Saunf ki kheti: अच्छी कमाई के लिए करें सौंफ की खेती
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Saunf ki kheti: अच्छी कमाई के लिए करें सौंफ की खेती, जानिए Fennel Cultivation की उन्नत तकनीक

सौंफ़ की खेती को रबी और ख़रीफ़ दोनों मौसम में किया जा सकता है। सौंफ की खेती की ये भी विशेषता है कि रेतीली या बलुआ ज़मीन के अलावा अन्य सभी किस्म की भूमि में इसकी खेती की जा सकती है। मसाले के रूप में इस्तेमाल होने वाली सौंफ के मुकाबले लखनवी सौंफ महँगी होती है। क्योंकि चबाकर खाने वाली उत्तम किस्म की सौंफ के दानों का आकार और वजन इसकी पूर्ण विकसित अवस्था की तुलना में क़रीब आधा होता है।

काले चावल (Black Rice)
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धान की फ़सल में चाहिए ज़्यादा कमाई तो करें ‘सुपर फूड’ काले चावल (Black Rice) की खेती

काला चावल भी सामान्य चावल की ही एक प्रजाति है। इसकी खेती मुख्य रूप से चीन, थाईलैंड, भारत, श्रीलंका, भारत, इंडोनेशिया और फिलीपींस जैसे देशों में की जाती है। परम्परागत धान से बेहतर माने गये काले चावल की पैदावार ख़ासतौर पर मणिपुर, मिज़ोरम, मेघालय और असम जैसे पूर्वोत्तर राज्यों के अलावा ओड़ीशा में भी होती है।

गाजर घास carrot grass gajar ghaas
टेक्नोलॉजी, न्यूज़, फसल प्रबंधन

गाजर घास: मिट्टी और किसान के इस सबसे बड़े दुश्मन को फ़ौरन नष्ट करें

मिट्टी के सबसे बड़े दुश्मन ‘गाजर घास’ को वैज्ञानिकों ने धरती के लिए विनाशकारी पाया है। जीव-जन्तु हों या वनस्पति, गाजर घास पूरे प्राणिजगत, जैवविविधता और पर्यावरण के लिए घातक है। लिहाज़ा, गाँव हो या शहर, जहाँ भी आपको गाजर घास नज़र आये, फ़ौरन पूरी ताक़त से इसके ज़हरीले पौधों का समूल नाश करने का बीड़ा उठाएँ, क्योंकि ये आक्रामक ढंग से फैलती है और ऐसे ज़हरीले रसायनों का स्राव करती है जिससे ज़मीन बंजर हो जाती है।

सिट्रोनेला की खेती citronella oil citron grass farmingella
फसल न्यूज़, एग्री बिजनेस, न्यूज़

सिट्रोनेला की खेती: सस्ती लागत में महँगा सुगन्धित तेल पाने के लिए उगाएं Citronella, पाएँ ज़ोरदार कमाई

सिट्रोनेला ऑयल की माँग बहुत तेज़ी से बढ़ रही है। भारत समेत कई देशों में सिट्रोनेला की व्यावसायिक खेती में तेज़ी से इज़ाफ़ा हो रहा है। इसीलिए परपरागत खेती से हटकर व्यावसायिक फसलों का रुख़ करने के इच्छुक किसानों के लिए सिट्रोनेला की खेती एक शानदार विकल्प बनकर फैल रहा है। ज़ाहिर है, किसानों की आमदनी बढ़ाने में सिट्रोनेला का तेल बेहद उपयोगी है।

रसभरी की खेती
एग्री बिजनेस, फल-फूल और सब्जी, फलों की खेती

गुणकारी रसभरी (Goldenberry): परम्परागत और सह-फसली खेती का शानदार विकल्प

व्यावसायिक खेती में प्रति एकड़ 25-30 क्विंटल रसभरी की पैदावार मिलती है। सामान्य तापमान पर 3-4 दिनों ये खराब नहीं होता। खाद्य प्रसंस्करण उद्योग जैसे ड्राई और फ़्रोजन फ़्रूट्स तथा सॉस, प्यूरी, जेम, जूस, हर्बल चाय बनाने वालों के बीच रसभरी की माँग हमेशा रहती है। इसीलिए रसभरी का दाम भी अच्छा मिलता है। रसभरी से छोटे स्तर पर भी जैम और सॉस बनाकर अच्छी कमाई हो सकती है।

मेहंदी की खेती (Heena farming): अनुपजाऊ और बारानी खेतों की शानदार व्यावसायिक फसल, कम खर्च में सालों-साल ज़ोरदार कमाई
न्यूज़

मेहंदी की खेती (Henna farming): अनुपजाऊ और बारानी खेतों की शानदार व्यावसायिक फसल, कम खर्च में सालों-साल ज़ोरदार कमाई

कंकरीली, पथरीली, हल्की, भारी, लवणीय, क्षारीय, परती, बंजर, अनुपजाऊ और बारानी ज़मीन के लिए मेहंदी से शानदार शायद ही कोई और फसल हो। जिनके पास सिंचाई के साधन नहीं हैं और जो बार-बार नयी फसलें लगाने के झंझट से बचना चाहते हैं, उनके लिए मेहंदी का रंग बेजोड़ रहता है। कम लागत में ज़्यादा कमाई देने वाली मेहंदी की खेती को गर्म तथा शुष्क जलवायु वाले इलाकों में बेहद आसानी से उगाया जा सकता है।

डीज़ल कैसे बचायें?
ट्रैक्टर

डीज़ल कैसे बचायें? (How to save diesel?): अगर घटानी है खेती की लागत और बढ़ाना है मुनाफ़ा तो ज़रूर सीखें डीज़ल बचाने के 20 नुस्खें

कृषि विशेषज्ञों ने डीज़ल को बचाने के ऐसे नुस्ख़े बताएँ हैं जिन्हें अमल में लाना किसानों के लिए बेहद उपयोगी और फ़ायदेमन्द साबित होता है। ईंधन के लगातार बढ़ रहे दामों को देखते हुए ऐसे नुस्ख़ों को फ़ौरन प्राथमिकता देनी चाहिए।

जानिए, असली और नकली खाद की पहचान तथा जाँच कैसे करें?
उर्वरक, न्यूज़

Fertilizers: जानिए, असली और नकली खाद की पहचान और जाँच कैसे करें?

रासायनिक खाद की माँग हमेशा बनी रहती है। इसी पहलू का फ़ायदा मिलावटख़ोर उठाते हैं और नकली या घटिया खाद बेचकर किसानों को मोटी चपत लगाते हैं। ऐसी धोखाधड़ी और जालसाज़ी के बचने के लिए किसानों के पास दो प्रमुख रास्ते हैं।

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