Author name: Mukesh Kumar Singh

Mukesh Kumar Singh
सेवण घास
न्यूज़, डेयरी फ़ार्मिंग, पशुपालन

सेवण घास (Sewan Grass) दुधारू पशुओं के लिए वरदान, 10-15 साल तक हरा चारा मुहैया

पश्चिमी राजस्थान के जोधपुर, बाड़मेर, जैसलमेर, बीकानेर, श्रीगंगानगर और हनुमानगढ़ ज़िलों में सेवण घास ख़ूब पायी जाती है। वहाँ सालाना 250 मिलीमीटर से कम बारिश होती है। सेवण घास में जड़ तंत्र का बढ़िया विकास होता है। इसीलिए इसमें सूखा को सहन करने की क्षमता होती है। इसे रेगिस्तानी घासों का राजा माना गया है।

जीवाणु खाद (bio-fertilizer)
न्यूज़

जीवाणु खाद (bio-fertilizer) अपनाकर बदलें फ़सलों और खेतों की किस्मत

जीवाणु खाद के सूक्ष्मजीवी मिट्टी में पहले से मौजूद अघुलनशील फॉस्फोरस और अन्य पोषक तत्वों को घुलनशील अवस्था में बदल देते हैं ताकि पौधे या फ़सल उन्हें आसानी से हासिल कर सकें। इसके प्रभाव से बीजों का अंकुरण जल्दी होता है। पौधों की टहनियों की संख्या में बढ़ोतरी होती है। फूल और फल जल्दी निकलते हैं और पोषक तत्वों से भरपूर बनते हैं। इस तरह उपज बढ़िया मिलती है और किसान की कमाई बढ़ती है।

स्पीड ब्रीडिंग तकनीक
कृषि उपज, गेहूं, टेक्नोलॉजी, तकनीकी न्यूज़, न्यूज़, फसल न्यूज़, फसल प्रबंधन

स्पीड ब्रीडिंग तकनीक (Speed Breeding Technique) : जानिए गेहूं, जौ और चना जैसी फसलों की साल में 6 बार पैदावार कैसे लें?

पौधों को तेज़ी से उगाने की ‘स्पीड ब्रीडिंग’ तकनीक इतनी ज़बरदस्त पायी गयी कि किसान एक साल में गेहूँ, जौ, चना जैसी फसलों की 6 बार पैदावार ले सकते हैं। ये उपलब्धि गेहूँ, जौ जैसे अनाज और चना जैसे दलहन तक ही सीमित नहीं है बल्कि इसने कैनोला यानी Rape Seed जैसी तिलहनी फसल में भी उत्साहजनक नतीज़े दिये हैं। तभी तो इसकी साल में 4 फसलें ली जा सकती हैं।

Intercropping Farming: अरहर के साथ हल्दी की खेती
न्यूज़

Intercropping Farming: अरहर के साथ हल्दी की खेती करके पाएँ दोहरी कमाई

अन्तर-वर्ती या सहफसली खेती या Intercropping Farming, एक ऐसी वैज्ञानिक तकनीक है, जिसे किसानों की आमदनी बढ़ाने में बेहद कारगर पाया गया है। इस सिलसिले में कृषि विशेषज्ञों की ओर से अरहर के साथ हल्दी या अरहर के साथ अदरक या सहजन के साथ हल्दी या पपीते के साथ अदरक और हल्दी की अन्तर-वर्ती खेती करने की सिफ़ारिश की गयी है।

कमरख की खेती (Carambola farming) star fruit
न्यूज़

स्टार फ्रूट (Star Fruit) की खेती (Carambola farming): चाहिए पूरे साल income तो उगाएं ये फल

कमरख का पेड़ बहुवर्षीय होता है। इसकी ऊँचाई 5 से 10 मीटर तक होती है। भारत में कमरख की खेती उड़ीसा, गुजरात, तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश आदि राज्यों में की जाती है।

पशु आहार animal feed हर्बल फीड एडिटिव्स (herbal feed additives)
पशुपालन और मछली पालन, न्यूज़, पशुपालन

हर्बल फीड एडिटिव्स (Herbal Feed Additives) से बढ़ाएँ पशु आहार की गुणवत्ता, पाएँ ज़्यादा कमाई

प्राकृतिक हर्बल उत्पादों का उपयोग अक्सर एंटी-बैक्टीरियल (बैक्टीरिया रोधी), एंटी-मायकोटिक्स (कवकता रोधी), एंटी-पैरासिटिक्स (परजीविता रोधी), कीटाणुनाशक (disinfectant) और प्रतिरक्षा उत्तेजक (immunity stimulus)  के रूप में किया जाता है। हर्बल आहार एडिटिव्स के इस्तेमाल से पशुओं का आहार स्वादिष्ट और स्वास्थ्यवर्धक बनता है। इससे दूध उत्पादन और उसकी गुणवत्ता बढ़ती है।

पद्मश्री किसान कंवल सिंह चौहान ने बेबीकॉर्न की खेती में हजारों किसानों को अपने साथ जोड़ा, जानिए लागत से तीन गुना ज़्यादा कमाई का
सक्सेस स्टोरीज

Baby corn farming: पद्मश्री किसान कंवल सिंह चौहान ने बेबीकॉर्न की खेती में हजारों किसानों को अपने साथ जोड़ा, जानिए कम समय में ज़्यादा कमाई और उपज का फॉर्मूला

बेबीकॉर्न की खेती को रबी और खरीफ़ दोनों मौसम में कर सकते हैं। इसकी देखभाल की लागत भी ज़्यादा नहीं है। अन्तः फ़सल (intercropping) से जो उपज प्राप्त होती है उससे बेबीकॉर्न की खेती में चार चाँद लग जाते हैं क्योंकि किसानों के लिए ये अतिरिक्त लाभ होता है। शहरी आबादी में सेहतमन्द और पौष्टिक खाद्य सामग्रियों की ख़ूब माँग रहने की वजह से बेबीकॉर्न का अच्छा दाम मिलने में दिक्कत नहीं होती।

जैविक रोग-कीट नियंत्रण organic pesticides
न्यूज़

Organic Pesticides: ज़हरीले रसायनों से बचाव के लिए जैविक खेती के अलावा जैविक रोग-कीट नियंत्रण भी अपनाएँ

जैविक रोग-कीट नियंत्रण एक ऐसी तकनीक है जिसका लक्ष्य रोगकारकों के उन बुनियादी तत्व को निष्क्रिय बनाना है जिससे उनकी वंशवृद्धि होती है। इस काम को जैविक रोग नाशक की भूमिका निभाने वाले सूक्ष्मजीव करते हैं।

धान की खेती paddy cultivation
कृषि उपज, धान, न्यूज़

धान की खेती: कम पानी में और सीधी बुआई से होने वाली धान की उन्नत किस्म है स्वर्ण शक्ति

‘स्वर्ण शक्ति’ धान की ऐसी उन्नत और अर्धबौनी किस्म है जो न सिर्फ़ सूखा सहिष्णु है बल्कि अन्य प्रचलित किस्मों की तुलना में पैदावार भी ज़्यादा देती है। इसकी रोपाई के लिए कीचड़-कादो और जल-जमाव की ज़रूरत नहीं पड़ती, इसलिए इसकी खेती सीधी बुआई के ज़रिये सूखाग्रस्त और उथली ज़मीन पर भी हो सकती है। धान की खेती के लिए ये किस्म क्यों अच्छी है? जानिए इस लेख में।

पान की खेती (Betel Leaf Farming)
न्यूज़

पान की खेती (Betel Leaf Farming) को सुरक्षित और किफ़ायती बनाने के लिए ‘शेड-नेट हाउस’ की तकनीक अपनाएँ और बढ़ाएँ कमाई

बरेजा के तुलना में ‘शेड-नेट हाउस’ ज़्यादा टिकाऊ होता है, ये पान के पत्तों को शीतलहर, लू और जल भराव की चपेट में आने से बचाता है। ‘शेड-नेट हाउस’ में पान की खेती करने से फसल पर रोगों और कीटों का प्रकोप भी कम होता है। ‘शेड-नेट हाउस’ में तापमान के नियंत्रण के लिए फॉगर और सिंचाई के लिए ड्रिप इरीगेशन की सुविधाएँ जुटाना आसान होता है।

सेब का गूदा apple pomace
न्यूज़, फलों की खेती, लाईफस्टाइल, सेब

सेब का गूदा यानी Apple Pomace से बनेगें केक और ब्रेड, कृषि उद्योगों को मिला कमाई का नया ज़रिया

हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और उत्तराखंड जैसे मुख्य सेब उत्पादकों राज्यों के लिए Apple Pomace (सेब का गूदा) से केक और ब्रेड बनाने की नयी तकनीक एक सौग़ात साबित हो सकती है, क्योंकि वहाँ हर साल हज़ारों टन सेब से जूस निकालने के बाद एपल पोमेस को या तो फैक्ट्रियों में ही या उसके आसपास डम्प करना पड़ता है। इससे जल और वायु प्रदूषण की समस्या पैदा होती है।

Sea Buckthorn Berry: हिमालयन बेरी सी बकथॉर्न
न्यूज़, औषधि, फसल न्यूज़, विविध

Sea Buckthorn Berry: हिमालयन बेरी की व्यावसायिक खेती लद्दाख में जल्द होगी शुरू, कहलाता है वंडर प्लांट

वैज्ञानिकों को क़रीब दो दशक पहले हिमालयन बेरी ‘सी बकथॉर्न’ की अद्भुत ख़ूबियों का पता चला। इसने हिमाचल के स्पिति ज़िले के किसानों की ज़िन्दगी बदल दी, क्योंकि इसका पेड़ ऐसी जलवायु में ही पनपता है जहाँ तापमान शून्य से नीचे रहता हो। ‘सी बकथॉर्न’ को दुनिया का सबसे फ़ायदेमन्द फल माना गया है।

Lumpy Skin Disease: लम्पी त्वचा रोग
पशुपालन और मछली पालन, पशुपालन

Lumpy skin disease: कैसे बढ़ रहा है दुधारु पशुओं में LSD महामारी का ख़तरा? पशुपालकों को सतर्क रहने की सलाह

भारत के अलावा बाँग्लादेश, चीन, नेपाल, भूटान और म्यांमार जैसे पड़ोसी देशों से पहली बार 2019 में LSD के प्रकोप की ख़बरें आयीं। इसके अगले साल यानी 2020 में भी देश के कई राज्यों ने LSD को एक बड़ी महामारी के रुप में रिपोर्ट किया। इसे देखते हुए ही ICAR- NIVEDI ने देश भर के पशुपालक किसानों को बेहद सतर्क रहने की सलाह दी है।

rice bran oil
लाईफस्टाइल, एग्री बिजनेस, न्यूज़, फ़ूड प्रोसेसिंग

बेहद गुणकारी है ‘राइस ब्रान ऑयल’, उत्पादन बढ़े तो खाद्य तेलों का आयात भी घटेगा

भारत में अभी सालाना क़रीब 250 लाख टन खाद्य तेलों की खपत है। इसमें से हमारा घरेलू उत्पादन क़रीब 80 लाख टन का ही है। बाक़ी दो-तिहाई खपत की भरपाई आयात से होती है। इस साल खाद्य तेलों का आयात 140 लाख टन तक पहुँचने का अनुमान है। देश में पारम्परिक खाद्य तेलों की तुलना में ‘राइस ब्रान ऑयल’ की हिस्सेदारी क़रीब 14 फ़ीसदी ही है।

फालसा की खेती (Falsa Farming) fa
न्यूज़

Falsa Farming: फालसा की खेती इस तरह से दे सकती है किसानों को लाभ, जानिए क्यों मिल रहा प्रोत्साहन

फालसा की फसल पर प्रतिकूल मौसम का बहुत कम असर पड़ता है। ये 44-45 डिग्री सेल्सियस का तापमान भी आसानी से बर्दाश्त कर लेते हैं। फालसा की खेती कर रहे किसान इससे बनने वाले कई उत्पादों से लाभ कमा सकते हैं।

फालसा की खेती (Falsa Farming)
कृषि उपज, न्यूज़

फालसा की खेती (Falsa Farming): कैसे आपदा में आसरा की फसल है फालसा?

फालसा की जड़ें मिट्टी के कटाव को भी रोकने में मददगार साबित होती हैं। यदि सही तरीक़े से फालसा की व्यावसायिक खेती की जाए तो इसकी लागत कम और कमाई बहुत बढ़िया है। इस लेख में हम आपको फालसा की खेती से जुड़ी ख़ास बातें बता रहे हैं।

अरहर की खेती arhar ki kheti pigeon pea farming
कृषि उपज, दाल

Arhar Ki Kheti में ‘आशा मालवीय 406’: अरहर की इस उन्नत बौनी किस्म के बारे में जानते हैं आप?

अरहर की परम्परागत किस्में जहाँ 9 महीने में परिपक्व होती हैं, वहीं उच्च रोग प्रतिरोधक क्षमता वाली बोनसाई अरहर ‘आशा मालवीय 406’ की फसल साढ़े सात महीने में ही तैयार हो जाती है। जानिए अरहर की खेती के लिए ये किस्म कितनी अनुकूल है।

कंटोला की खेती , कंकोड़ा की खेती
न्यूज़

Kakoda Ki Kheti: कंकोड़ा की खेती किसानों को क्यों अपनानी चाहिए?

बाज़ार में कंकोड़ा का बढ़िया दाम मिलता है। ये अन्य सब्ज़ियों के मुक़ाबले ख़ासी महँगी यानी 100 से 150 रुपये प्रति किलोग्राम के भाव से बिकती है। व्यावसायिक खेती करने पर कंकोड़ा की हरेक बेल से क़रीब 650 ग्राम या क़रीब 50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की पैदावार मिल सकती है।

बीजों का संरक्षण save seeds seed bank
टेक्नोलॉजी, बीज उत्पादन

क्यों ज़रूरी है आधार और प्रमाणिक बीजों का संरक्षण? क्या हैं रजिस्टर्ड बीज उत्पादक बनने के फ़ायदे

प्रमाणिक बीज उत्पादक बनने के लिए केन्द्र और राज्य के सरकारी बीज निगमों के अलावा भारतीय, कृषि अनुसन्धान परिषद से जुड़े सैकड़ों कृषि विश्वविधालयों, नज़दीकी कृषि विज्ञान केन्द्र, ज़िला कृषि अधिकारी, उप कृषि निदेशक और बीज प्रमाणीकरण संस्थान से भी सम्पर्क किया जा सकता है। इन्हीं संस्थाओं की ओर से किसानों को ज़रूरी प्रशिक्षण, बीज, तकनीक और उपकरण वग़ैरह मुहैया करवाये जाते हैं।

Per drop more crop योजना
सरकारी योजनाएं, न्यूज़

खेती की लागत घटाने के लिए ‘Per drop more crop’ योजना का फ़ायदा उठाएँ, जानिए कैसे?

‘Per drop more crop’ योजना के तहत 2 हेक्टेयर या 5 एकड़ तक की जोत वाले छोटे और सीमान्त किसानों को लघु सिंचाई की ड्रिप और स्प्रिंक्लर्स सिस्टम को खरीदने के लिए कुल लागत की 55% तक रक़म जितनी सब्सिडी मिलती है तो 5 हेक्टेयर तक की जोत वाले मझोले और बड़े किसानों के लिए अधिकतम सब्सिडी 45% रखी गयी है।

Scroll to Top