Author name: Mukesh Kumar Singh

Mukesh Kumar Singh
Pusa Krishi Vigyan Mela 2022 पूसा कृषि विज्ञान मेला
इवेंट, एग्री बिजनेस, न्यूज़

Pusa Krishi Vigyan Mela 2022: ‘तकनीकी ज्ञान से आत्मनिर्भर किसान’ है इस साल पूसा कृषि विज्ञान मेला की थीम

केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर, पूसा कृषि मेले (Pusa Krishi Vigyan Mela 2022) के मुख्य अतिथि होंगे और वो 9 मार्च को दोपहर 2:30 बजे इसका उद्घाटन करेंगे। मेले में इस साल 5 ऐसे किसानों को ‘अध्येता’ (Fellow Farmer Award) और 36 किसानों को ‘नवोन्मेषी’ पुरस्कार यानी (Innovative Farmer Award) से सम्मानित किया जाएगा। ये ऐसे प्रगतिशील किसान होंगे जिन्होंने खेती-किसानी की दुनिया में उल्लेखनीय योगदान देकर नाम कमाया है।

कपास की सुंडियों cotton cultivation insects and pest pheromone trap
न्यूज़

फेरोमोन ट्रैप (Pheromone Trap): कपास की सुंडियों से छुटकारा पाने का शानदार उपाय

फेरोमोन ऐसा रासायनिक पदार्थ या स्राव है जिसे नर सुंडियों को प्रजनन के लिए रिझाने के लिए मादा सुंडियाँ छोड़ती हैं। लेकिन इसकी गन्ध पाकर जब नर सुंडियाँ वहाँ पहुँचती हैं तो ट्रैप (जाल) में फँस जाती हैं। इससे सुंडियों का प्रजनन चक्र बाधित हो जाता है और उनसे छुटकारा मिल जाता है। जानिए फेरोमोन ट्रैप के बारे में।

धान की किस्म कतरनी धान
न्यूज़

Paddy Variety: कतरनी धान से कतराएँ नहीं बिहार के किसान बल्कि वैज्ञानिक सलाह से करें शानदार कमाई

कतरनी धान की खेती महज 920 एकड़ में हो रही है और इसका पैदावार सिर्फ़ 11 हज़ार क्विंटल है। इसीलिए माना जाता है कि कतरनी धान की किस्म विलुप्त होने के कगार पर है। हालाँकि, साधारण धान की खेती की लागत जहाँ प्रति हेक्टेयर 50 से 55 हज़ार रुपये है और मुनाफ़ा 25 से 35 हज़ार रुपये। वहीं कतरनी धान की लागत 35 से 40 हज़ार रुपये प्रति हेक्टेयर है और आमदनी 50 से 60 हज़ार रुपये प्रति हेक्टेयर है।

वैज्ञानिकों ने बताए ऐसे फलदार पेड़ जो ऊसर (wasteland) और किसान
न्यूज़, अन्य फल, एक्सपर्ट किसान, एक्सपर्ट ब्लॉग, फल-फूल और सब्जी, फलों की खेती

वैज्ञानिकों ने बताए ऐसे फलदार पेड़ जो बंजर ज़मीन और किसान, दोनों की तक़दीर बदल सकते हैं

ऊसर भूमि में ‘आगर होल तकनीक’ का इस्तेमाल करके आँवला, अमरूद, बेर और करौंदा के फलदार पेड़ों को न सिर्फ़ सफलतापूर्वक उगाया जा सकता है, बल्कि इसकी खेती लाभदायक भी हो सकती है। लागत और आमदनी के पैमाने पर आँवला, करौंदा और अमरूद बेहतरीन रहते हैं। आँवले के मामले में लागत से 2.48 गुना आमदनी हुई तो अमरूद के मामले में ये अनुपात 2.15 गुना और करौंदा के लिए 1.96 गुना रहा।

जैविक तरीके से पान की खेती
न्यूज़

पान के पत्तों (Betel Leaves) की उम्दा क्वालिटी के लिए जैविक खेती को अपनाएँ तो होगी ज़्यादा कमाई

हरेक 15-17 दिन पर पान की लताओं पर उगी निचली पत्तियों को तोड़ा जाता है क्योंकि वो पर्याप्त रूप से विकसित हो जाती हैं। इस तरह पान की उपज पूरे साल मिल सकती है। हरेक दो सप्ताह बाद पान के पत्तों को बेचकर कमाई करने का मौका मिलता रहता है।

बाजरा के नए रोग और देसी गाय चिप millet disease and cow chip
देसी गाय, न्यूज़

वैज्ञानिक उपलब्धि: बाजरे के नये रोग ‘स्टेम रॉट’ (Stem rot) की खोज, देसी गायों के नस्ल संरक्षण के लिए स्वदेशी चिप विकसित

अमेरिका के फाइटो-पैथोलॉजिकल सोसायटी ने भी बाजरा के नये रोग ‘स्टेम रॉट’ की खोज को अपनी मान्यता दी। ये रोग ‘क्लेबसिएला एरोजेन्स’ नामक बैक्टीरिया से फैलता है, जो इंसान की आँत में पाये जाते हैं। ‘इंडिगऊ SNP चिप’ से देसी गायों और साँडों के pure undisturbed germplasm को पहचानने और संरक्षित करने के अलावा भविष्य में इनकी उम्दा नस्लों की ही वंश-वृद्धि में आसानी होगी।

तिलहन उत्पादक oilseed production in india
न्यूज़

जानिए, तिलहन उत्पादक बनना किसानों के लिए क्यों है बेहद समझदारी का फ़ैसला

तिलहन की पैदावार में आत्मनिर्भरता का पाला छूने से अभी हम कई दशक दूर हैं। इसीलिए तिलहन उत्पादक बनना किसानों के लिए ज़रूरी है । सरकारी आँकड़ों से साफ़ है कि दलहन और तिलहन के मामले में हमारी कृषि नीति, हमारे कृषि वैज्ञानिक और हमारे अन्नदाता किसान ऐसी तरकीबें नहीं अपना पा रहे जैसा उन्होंने हरित और श्वेत क्रान्ति (green and white revolution) के मामले में करके दिखाया था।

कुसुम की खेती के कीट और रोग safflower disease and pest
न्यूज़

Safflower Farming: कुसुम की फसल में नहीं लगता कोई रोग लेकिन कीटों से बचाना ज़रूरी

कुसुम पर हमलावर प्रमुख कीटों और रोगों की पहचान तथा इससे उपचार की विधियों के बारे में किसान को ख़ूब जागरूक रहना चाहिए। कीटों और बीमारियों से बचाव के लिए उचित फसल चक्र अपनाने, उपचारित बीज की ही बुआई करने, जल निकास की अच्छा प्रबन्ध करने और खेतों में साफ़-सफ़ाई रखना बेहद उपयोगी साबित होता है।

कुसुम की खेती safflower cultivation
न्यूज़

कुसुम की खेती: क्यों फसल चक्र में बेजोड़ है कुसुम (Safflower)?

देश के उन इलाकों के लिए कुसुम की खेती बहुत उपयोगी है जहाँ सूखा पड़ने की आशंका ज़्यादा रहती है। गर्मी को सहने की बेजोड़ क्षमता की वजह से कुसुम की खेती वहाँ भी आसानी से हो सकती है जहाँ सिंचाई की सुविधा बहुत सीमित है।

PM-KISAN E-KYC registration
न्यूज़

PM-KISAN में रजिस्टर्ड सभी किसान फ़ौरन करवाएँ अपना eKYC या डिजीटल सत्यापन

केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत रजिस्टर्ड किसानों के लिए ई-केवाईसी (eKYC) की प्रक्रिया को अनिवार्य कर दिया है। इसकी आखिरी तारीख को बढ़ा दिया गया है।

कुसुम की खेती safflower cultivation kusum ki kheti
न्यूज़

Safflower Cultivation: कुसुम की खेती सूखे की मार झेल रहे क्षेत्रों के लिए वरदान

कुसुम एक ऐसा तिलहन है जो उन इलाकों के किसानों को भी ख़ुशहाल कर सकता है जहाँ सिंचाई के साधन नहीं है या फिर जहाँ सूखा पड़ने की आशंका बनी रहती है। इसीलिए कुसुम की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए नरेन्द्र मोदी सरकार ने 2016 में कुसुम को न सिर्फ़ सरसों के बराबर कर दिया बल्कि उसके बाद भी लगातार सरसों के मुक़ाबले कुसुम के लिए ज़्यादा MSP यानी न्यूनतन समर्थन मूल्य तय हुआ।

MSP minimum supoort price MSP पर फसल
न्यूज़, फसल न्यूज़

Union Budget 2022: गेहूँ-धान की 95% MSP सीधे बैंक में पहुँची, जानिए क्या हरेक उपज को MSP की गारंटी देना सम्भव है?

व्यावहारिक रूप से अभी MSP के दायरे में आने वाली 23 उपज में से सरकारें सिर्फ़ चार उपज ही ख़रीदती हैं – धान, गेहूँ, गन्ना और कपास। बाक़ी सारी उपज किसान सीधे बाज़ार में बेचते हैं, भले ही उन्हें MSP मिल पाये या नहीं। अभी देश के कुल कृषि उत्पाद में से बमुश्किल 6 प्रतिशत को ही MSP पर ख़रीदारी का सौभाग्य मिल पाता है। यानी, 94 प्रतिशत कृषि उपज की पैदावार करने वाले करोड़ों किसानों को MSP का लाभ नहीं मिल पाता।

कृषि-ड्रोन में सब्सिडी agri drone subsidy
कृषि उपकरण, ड्रोन, न्यूज़

ड्रोन खरीदने पर कृषि संस्थानों को मिलेंगे 10 लाख रुपये, Agri-Drone को किराये पर देने वाले भी पाएँगे सब्सिडी

कृषि-ड्रोन (Agri-Drone), एक छोटे विमान जैसा उपकरण है जो खेती में होने वाले तरह-तरह के छिड़काव के काम को बहुत कुशलता और किफ़ायत से कर सकता है। लेकिन महँगा होने की वजह से कृषि-ड्रोन ख़रीदना सबसे बूते की बात नहीं। इसीलिए सरकार ने सबसे पहले कृषि शिक्षण और शोध संस्थाओं से अपेक्षा की है कि वो कृषि-ड्रोन ख़रीदने के लिए आगे आएँ। वो ख़ुद भी इसका इस्तेमाल करें तथा किसानों से भी किफ़ायती फ़ीस लेकर उन्हें इसकी सेवाएँ मुहैया करवाएँ।

खादी इंडिया ‘मोबाइल हनी प्रोसेसिंग यूनिट Mobile Honey Processing Van
न्यूज़

खादी इंडिया ने शुरू की मधु-वाटिकाओं और घर-घर जाकर शहद की प्रोसेसिंग करने वाली मोबाइल यूनिट

देश के पहले ‘मोबाइल हनी प्रोसेसिंग यूनिट’ का डिज़ाइन उत्तर प्रदेश में शामली ज़िले में मौजूद KVIC के बहुविषयक प्रशिक्षण केन्द्र (MDTC), पंजोखेड़ा ने तैयार किया। इससे उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, दिल्ली, पंजाब तथा राजस्थान के मधुमक्खी पालकों को विशेष फ़ायदा होगा।

अरहर की खेती pigeon pea cultivation arhar ki kheti
कृषि उपज, दाल, न्यूज़

Arhar Ki Kheti: अरहर की खेती के 3 तरीके, कौन सी प्रजाति सबसे उम्दा?

अरहर की वैज्ञानिक और व्यावसायिक खेती करके ज़्यादा से ज़्यादा उपज लेने के लिए मिट्टी से लेकर बीज, खाद, निराई, सिंचाई, बीमारियों से रोकथाम, कटाई, भंडारण जैसे हरेक बारीक़ से बारीक़ पहलू के मानक तैयार किये गये हैं। अन्य दलहनों के मामले में भी ऐसा ही हुआ है। ताकि किसान अरहर समेत बाक़ी दलहनों का रक़बा और उपज बढ़ाकर अपनी आमदनी बढ़ा सकें और देश को दलहन के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता दिला सकें।

अरहर की दाल के रोग pigeon pea diseases
न्यूज़, कृषि उपज, दाल

6 Diseases of Pigeon Pea: अरहर की फसल पर लगने वाले 6 रोगों का इलाज

अरहर की खेती के 10 दुश्मनों को पहचाने और सही वक़्त का उनका सही उपचार करने से ही इस कीमती दलहन की खेती करने वाले किसानों की कमाई बढ़ायी जा सकती है। लेकिन चाहे अरहर के किसानों का सामना इन बीमारियों से पड़े या नहीं पड़े, लेकिन इतना तो साफ़ है कि उन्नत किस्म की रोग प्रतिरोधी प्रजातियों वाले बीजों और सही वक़्त पर फसल की बुआई करने ही किसानों को अच्छी उपज और मुनाफ़ा मिल सकता है।

अरहर की दाल के रोग pigeon pea diseases
कृषि उपज, दाल, न्यूज़

जानिए कौन हैं अरहर या तूअर (Pigeon Pea) के 10 बड़े दुश्मन और इनसे निपटने का इलाज़

अरहर के 10 प्रमुख दुश्मन हैं। इनमें से 6 बैक्टीरिया, वायरस और फंगस (कवक) जनित रोग हैं तो 4 बीमारियाँ ऐसी हैं जो अपने कीटों के ज़रिये अरहर की फसल को भारी नुकसान पहुँचाती हैं। ये नुकसान इतना ज़्यादा होता है कि पैदावार गिरकर आधी रह जाती है। इससे किसान को भारी नुकसान होता है। इसीलिए अरहर के दुश्मनों का वक़्त रहते सफ़ाया करना बेहद ज़रूरी है।

बिच्छू घास से कपड़ा बनाने की तकनीक विकसित
न्यूज़

Bichu Grass: बिच्छू घास से कपड़ा बनाने की तकनीक विकसित, हर मौसम में देगा शरीर को आराम

बिच्छू घास और कपास के मिश्रण से बनाया गया फैब्रिक, धुलाई के बाद सामान्य कॉटन के मुकाबले बहुत कम सिकुड़ता है। इस फैब्रिक में एयर कंडीशनर वाले ऐसे गुण भी हैं जिससे सर्दियों में शरीर को गर्मी का अहसास होता है तो गर्मियों में शीतलता का अनुभव। इस उन्नत फैब्रिक की रंगाई में प्राकृतिक रंगों का उपयोग किया जाता है। इसका दाम 200 से 250 रुपये प्रति मीटर तक हो सकता है।

रत्नगर्भा मछली की ‘मीन मुक्ता
पशुपालन और मछली पालन, पशुपालन, मछली पालन

रत्नगर्भा कोई सामान्य मछली नहीं, जानिए क्या है ‘मीन मुक्ता’ (Fish Pearl Meen Mukta)

रत्न व्यावसायियों के अनुसार, मोती की तरह मीन मुक्ता से बने आभूषणों से भी मनुष्य का चित्त शान्त रहता है। इसीलिए रत्नों के गुणों में आस्था रखने वालों को मीन मुक्ता के इस्तेमाल से मोतियों जैसा लाभ अपेक्षाकृत कम दाम पर मिल सकता है। ज़ाहिर है, ये तथ्य रत्नगर्भा में मौजूद व्यावसायिक सम्भावनाओं की ओर इशारा करते हैं।

जानिए क्या है खेतों से फसल के अलावा सौर बिजली (Solar Energy) से कमाई की उन्नत तकनीक?
सरकारी योजनाएं

जानिए क्या है खेतों से फसल के अलावा सौर बिजली (Solar Energy) से कमाई की उन्नत तकनीक?

खेत में यदि सौर बिजली पैदा करने का महत्व है तो कृषि उपज भी ज़रूरी है। चूँकि सोलर पैनल की वजह से पूरी धूप खेत में नहीं पड़ सकती, इसीलिए ऐसी तकनीक विकसित करना ज़रूरी था, जिससे फसल पर सौर बिजली उत्पादन का दुष्प्रभाव नहीं पड़े। इसी चुनौती को देखते हुए ICAR-CAZRI की कृषि वोल्टीय प्रणाली विकसित की है। कुसुम योजना का भरपूर फ़ायदा उठाने के लिहाज़ से ये तकनीक बेहद उपयोगी है।

Scroll to Top