Ginger processing: अदरक प्रसंस्करण की स्वदेशी तकनीक अपनाकर किसान कर रहे लाखों की कमाई
हिमालय की तलहटी में बसा है कलसी ब्लॉक जो उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में मौजूद है। ये पूरा इलाका लगभग […]
खेती किसानी की बारीकियों को एक किसान से बेहतर कोई नहीं समझ सकता। इसलिए किसान ऑफ इंडिया के माध्यम से आप एक एक्सपर्ट किसान बन कर अपने सफल प्रयोग, नई तकनीक एवं अन्य उपयोगी जानकारियाँ दूसरे किसानों तक पहुंचा सकते हैं।
हिमालय की तलहटी में बसा है कलसी ब्लॉक जो उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में मौजूद है। ये पूरा इलाका लगभग […]
विजेंद्र सिंह का एक मामूली किसान से लेकर ज़िले में फेमस कृषि (Success Story of CFLD on Oilseed) में नयापन
कई ऐसी फसलें हैं जो जानवरों को चरने के लिए पसन्द नहीं हैं। मिसाल के तौर पर अश्वगन्धा, एलोवेरा और करेला। इनकी खेती को कैसे अपनाएँ और कैसे अपनी कमाई बढ़ाकर खुशहाली हासिल करें? इसके लिए पढ़े किसान ऑफ़ इंडिया। जानवरों को नापसन्द फसलों के अलावा खेती की सुरक्षा के लिए वैज्ञानिकों ने इलेक्ट्रानिक चौकीदारी की तकनीक भी विकसित की है। इसे भी अपनी ज़रूरत के मुताबिक किसानों को अपनाने के लिए आगे आना चाहिए।
गर्मियों में गहरी जुताई करने से भूमि कटाव में 66.5 फ़ीसदी तक की कमी आती है। किसान ऑफ़ इंडिया से बातचीत में मृदा वैज्ञानिक डॉ. ख़लील ख़ान ने कई ऐसी ज़रूरी बाते बताईं, जिन्हें अपनाकर किसान लाभ ले सकते हैं।
ऊसर भूमि में ‘आगर होल तकनीक’ का इस्तेमाल करके आँवला, अमरूद, बेर और करौंदा के फलदार पेड़ों को न सिर्फ़ सफलतापूर्वक उगाया जा सकता है, बल्कि इसकी खेती लाभदायक भी हो सकती है। लागत और आमदनी के पैमाने पर आँवला, करौंदा और अमरूद बेहतरीन रहते हैं। आँवले के मामले में लागत से 2.48 गुना आमदनी हुई तो अमरूद के मामले में ये अनुपात 2.15 गुना और करौंदा के लिए 1.96 गुना रहा।
बृजेश पटेल ने पहली बार पुदीने की खेती की है। किसान ऑफ़ इंडिया के मंच के माध्यम से उन्होंने अपने अनुभव देश भर के किसानों के साथ साझा किए हैं।
रावलचंद पंचारिया ने 2014 में जैविक खेती शुरू की। उनकी उगाई सफेद शकरकंद की ख़ास किस्म ने उन्हें पहचान दिलाई। किसान ऑफ इंडिया के मंच से उन्होंने अपने अनुभव और सुझाव देश भर के किसानों से साझा किया है।
परंपरागत खेती से हटकर बागवानी करने का निर्णय लेने वाले एक्सपर्ट किसान विनीत चौहान पूरी तरह से जैविक तरीके से बागवानी करते हैं। उन्होंने अपने अनुभव और सुझाव किसान ऑफ़ इंडिया से साझा किए।
कोरोना काल में किसानों पर भी दोहरी मार पड़ी। ऐसे में किसान अपनी फसल को सीधा बेचने के साथ-साथ अन्य तरीकों से भी आमदनी कर सकते हैं। ऐसे ही तरीकों का जिक्र दयानंद जांगिड़ ने देश के किसानों के साथ साझा किया है।
खेती-किसानी को एक किसान से अच्छा और कोई नहीं समझ सकता, इसलिए किसान ही हैं खेती-किसानी के असली एक्सपर्ट। एक्सपर्ट किसानों के प्रयोगों, उनके अनुभवों को देश भर के किसानों तक पहुंचाने के लिए किसान ऑफ़ इंडिया ने एक मुहिम की शुरुआत की है। इस मुहिम की पहली कड़ी में मिलिए पहले किसान एक्सपर्ट चतर सिंह जाम से और जानिए कि वो क्या कह रहे हैं आपसे?
देश की कुल खेती योग्य ज़मीन का 54 फ़ीसदी मालिकाना हक महज 10 फ़ीसदी परिवारों के पास है। ज़ाहिर है, इस ज़मीन पर खेती का दारोमदार या तो मशीनों पर है या फिर ऐसे भूमिहीन खेतिहर मज़दूरों और बहुत छोटी जोत वाले किसानों पर, जिनके पास बाकी बची 46 फ़ीसदी भूमि का मालिकाना हक़ है। लेकिन ये तबका बहुत बड़ा है। खेती-किसानी से जुड़े 90 फ़ीसदी परिवार इसी तबके के हैं। यही तबका खेतिहर मज़दूर है, शहरों को पलायन करता है और खेती में बढ़ते मशीनीकरण की मार भी झेलता है।
हमें परम्परागत खेती को लाभकारी बनाने पर ध्यान देना होगा। इसका लाभकारी होना ही व्यक्ति और समष्टि, दोनों के हित में है। अक्सर ये मान लिया जाता है कि अगर आप किसी चीज़ के आधुनिकीकरण का विरोध कर रहे हैं तो आप विकास विरोधी हैं। लेकिन ये धारणा पूरी तरह से ग़लत है। पहाड़ी इलाकों में परम्परगत खेती को बढ़ावा देना प्रकृति ही नहीं, किसानों के भी हित में है। क्योंकि आधुनिक खेती प्रकृति को वश में करके उसे अपने हिसाब से ढालना चाहती है, जबकि परम्परागत खेती में प्रकृति से सम्बन्ध स्थापित रहता है।
– परमेंद्र मोहन, खेती-किसानी और राजनीतिक विश्लेषक: संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा
सहकारी विभाग सरकार का सबसे महत्वपूर्ण विभाग होता है। सहकारी प्रणाली के तहत राज्य में शीर्ष स्तर पर एक अपेक्स
परमेंद्र मोहन, खेती-किसानी और राजनीतिक विश्लेषक: जब भी बजट आता है, लोगों के मन में पहला सवाल ये होता है
कृषि में खुशहाली का सबसे बड़ा मंत्र: यह लेख वरिष्ठ आईएएस अधिकारी पी. नरहरि ने Kisanofindia.com के लिए लिखा है।