पालक की खेती (Spinach farming): यह बात तो सभी जानते हैं कि हरी सब्जियां सेहत के लिए कितनी फायदेमंद होती हैं। उसमें भी यदि पालक की बात करें तो उसका अपना अलग ही महत्त्व है। यूं तो पालक सालभर ही खाया जाता है, लेकिन सर्दियों के मौसम में पालक का उपयोग भरपूर मात्रा में होता है। पालक पनीर हो या मक्की की रोटी के साथ पालक व सरसों का साग सभी को पसंद आता है।
हरी सब्जियों में पालक का उपयोग सबसे ज्यादा इसलिए किया जाता है क्योंकि इसमें आयरन और एंटीऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। पालक के बारे में इतना सब जानकर अब आपका मन भी इसकी खेती करने का कर रहा होगा। जो लोग पालक की खेती कर रहे हैं उनकी इनकम तो लाखों में हो रही है।
तो आइए जानते हैं गुणों की खान पालक की खेती से जुड़ी कुछ खास बातों के बारे में-
कैसे करें पालक की खेती
पालक की खेती में ज्यादा लागत नहीं लगती। यह कम समय में ही ज्यादा फायदा देने लगती है। एक बार पालक की बुवाइ करें और उसी बुवाई से बार-बार पैसा कमाएं। आपको बता दें पालक की 5-6 बार कटाई की जाती है। इसके बाद लगभग 10 से 15 दिनों में यह दोबारा कटाई करने लायक हो जाता है।
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वैसे तो पालक की खेती पूरे साल की जाती है, लेकिन अलग-अलग महीनों में इसकी बुवाई करनी जरूरी है। इस तरह किसान पालक की खेती से पूरे साल कमाई कर सकता है। पालक की खेती के लिए हल्की दोमट मिट्टी सर्वोत्तम होती है। आपको ऐसे खेत का चयन करना चाहिए जिसमें पानी का निकास अच्छी तरह हो सके और सिंचाई करने में किसी तरह ही परेशानी न हो।
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पालक की खेती करने से पहले हैरो या कल्टीवेटर से खेत की जुताई करें ताकि मिट्टी भूरभूरी हो जाए। पैदावार अच्छी हो इसके लिए खेत में पाटा लगाने से पहले 25 से 30 टन/ हैक्टेयर की दर से गोबर की सड़ी खाद व 1 क्विंटल नीम की पत्तियों से तैयार की गई खाद को खेत में हर तरफ बिखेर देना चाहिए।
बुवाई के समय 20 किलोग्राम नाइट्रोजन, 50 किलोग्राम फॉस्फोरस व 60 किलोग्राम पोटाश प्रति हैक्टेयर की दर से खेत में डालने से पैदावार बहुत अच्छी होती है।
यह सारी प्रक्रिया पूरी करने के बाद अब आपका खेत पालक की खेती के लिए पूरी तरह तैयार है। पालक की एक बार कटाई करने के बाद 20 किलोग्राम नाइट्रोजन प्रति हैक्टेयर की दर से खेत में डालना चाहिए। इससे पालक की बढवार अच्छी होगी।
पालक बोने का सही समय
वैसे तो पूरे साल ही पालक की खेती कर सकते हैं लेकिन इसे बोने का सही समय फरवरी से मार्च व नवंबर से दिसंबर महीने का होता है। इन्हीं महीनों में यदि पालक की बुवाई की जाए तो बहुत फायदेमंद होता है। इनके बीजों की बात करें तो 25 से 30 किलोग्राम बीज/ हैक्टेयर की दर से बोया जाता है।
बीज को बोने से पहले 5-6 घंटों के लिए पानी में भिगोना जरूरी है। इतना ही नहीं बुवाई के समय खेत में भी नमी होनी चाहिए। बीज को चाहे आप लाइनों में बोएं या छिटकवा विधि से इस बात का ध्यान रखें की बीज ज्यादा पास-पास न गिरें।
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जानकारी के लिए बता दें कि पालक की कई तरह की प्रजातियां होती हैं। उनमें जोबनेर ग्रीन, पूसा पालक, पूसा ज्योति, पूसा हरित, लांग स्टैंडिग, पंत कंपोजिटी 1, हिसार सलेक्शन 26, पालक नंबर 15-16 आदि उन्नत प्रजातियां हैं। इन प्रजातियों के पौधे लंबे और पत्ते कोमल, हरे व खाने में स्वादिष्ट होते हैं।
कीड़ों से पालक का बचाव
पालक की खेती में कैटर पिलर नामक कीट पाया जाता है, जो पहले पालक की पत्तियों को खाता है और बाद में तना भी नष्ट कर देता है। गर्मियों के मौसम में पत्तों को खाने वाली इल्लियां हो जाती हैं।
ऐसे कीटों से फसल को बचाने के लिए किसानों को फसल में जैविक कीटनाशकों का ही प्रयोग करना चाहिए। इसके लिए किसान को नीम की पत्तियों का घोल बनाकर 15 से 20 दिनों के अंतर से फसल पर छिडक़ाव करना चाहिए।
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इसके अलावा 20 लीटर गौमूत्र में 3 किलो नीम की पत्तियां व आधा किलो तंबाकू घोल कर फसल में छिडक़ाव करने से कीटों पर नियंत्रण प्राप्त किया जा सकता है। आप चाहें तो WEST D COMPOSSER के घोल में नीम की पत्तियों को मिलाकर भी छिडक़ाव कर सकते हैं। कीटों के अलावा पालक की खेती में खरपतवार उगने की भी समस्या का सामना करना पड़ता है। यदि ऐसा हो जाए तो तुरंत इन्हें जड़ से उखाड़ देना चाहिए।
फसल कब काटें
पालक की बुवाई करने के बाद लगभग 25 दिनों के बाद जब पत्तियों की लंबाई 15 से 30 सेंटीमीटर तक हो जाए तो पहली कटाई कर देनी चाहिए। कटाई करते समय इस बात का ध्यान जरूर रखें कि पौधों की जड़ों से 5-6 सेंटीमीटर ऊपर तक ही पत्तियों की कटाई करें। इसके बाद 15 से 20 दिनों के अंतराल से कटाई करते रहें। कटाई के बाद फसल की सिंचाई जरूर करें।
कितना कमा सकते हैं
यदि प्रति हैक्टेयर की दर से अनुमान लगाया जाए, तो 150 से 250 क्विंटल तक की उपज हो सकती है। जिसे बाजार में 15 से 20 रुपए किलो की दर से बेचा जा सकता है। इस तरह यदि प्रति हैक्टेयर की दर से लागत के करीब 25 हजार रुपए निकाल दिए जाएं तो भी लगभग 1500 रुपए प्रति क्विंटल की दर से 200 क्विंटल से 3 महीने में करीब 2 लाख 75 हजार रुपए तक की इनकम हो सकती है।