Ginger processing: अदरक प्रसंस्करण की स्वदेशी तकनीक अपनाकर किसान कर रहे लाखों की कमाई
हिमालय की तलहटी में बसा है कलसी ब्लॉक जो उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में मौजूद है। ये पूरा इलाका लगभग […]
हिमालय की तलहटी में बसा है कलसी ब्लॉक जो उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में मौजूद है। ये पूरा इलाका लगभग […]
भारत में उच्च उपज वाली टमाटर की किस्मों (High Yield Tomato Varieties In India) की खेती से किसान अच्छा लाभ ले सकते हैं। कृषि वैज्ञानिकों की ओर से ऐसी कई किस्में तैयार की गई हैं। पढ़िए ऐसी ही किस्मों में से उन 10 हाइब्रिड टमाटर की किस्मों के बारे में जो टमाटर की अच्छी उपज देने के लिए जानी जाती है।
जायद की फसल के लिए 6 से 7 घंटे की सूरज की रोशनी की ज़रुरत पड़ती है। जायद की फसल में सब्जियों का उत्पादन लेने के लिए किसानों को लोम मिट्टी (दोमट मिट्टी) का इस्तेमाल करना चाहिए। जानिए कृषि विशेषज्ञ डॉ. विशुद्धानंद से जायद फसलों के बारे में विस्तार से जानकारी।
यहां हम बाज़ार में मौजूद सरसों के बीजों की किस्मों (Varieties Of Mustard) के बारे में जानेंगे और ये भी समझेंगे कि सही किस्म को चुनते हुए किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
अगर आप मशरूम की खेती के लिए एक बिज़नेस प्लान के साथ काम करें तो आप इस मार्केट में अपनी पकड़ रख सकते हैं। इस लेख में हम मशरूम उगाने के बिजनेस प्लान मॉडल (Mushroom Farming Business Plan) की ज़रूरी डीटेल्स शेयर कर रहे हैं।
मशरूम की खेती के लिए पहाड़ी इलाकों का मौसम उपयुक्त होता है, मगर कई जगहों पर किसानों को मशरूम उत्पादन की तकनीक नहीं पता है। ऐसे में उत्तराखंड का उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग, जागरुकता फैलाने के साथ ही किसानों को प्रशिक्षण भी दे रहा है।
हिमाचल प्रदेश के सिरमौर ज़िले के रहने वाले गणेश दत्त लहसुन की खेती कर रहे हैं। गणेश पिछले 10 साल से लहसुन की खेती कर रहे हैं। खर्चा लगभग 25 हज़ार के आस-पास आ जाता है। लहसुन की खेती में दो बीघा में 2 लाख रुपये का मुनाफ़ा मिल जाता है। इसके साथ ही वो सब्जियों फलों और गेहूं की खेती कर रहे हैं।
छत्तीसगढ़ में 36 तरह की अलग-अलग भाजियां पाई जाती हैं, जो स्वाद के साथ-साथ सेहत के लिए भी अच्छी हैं। इन सब्जियों की खेती बड़े पैमाने पर होती है। राज्य में बस्तर के जंगलों, दुर्ग की बाड़ियों, रायपुर के फ़ार्म्स, कवर्धा की घाटियां, अलग-अलग ज़िलों में अनेक किस्म की भाजियां उगाई जाती हैं।
सरसों की खेती की उन्नत तकनीकें अपनायी जाएँ तो किसान अच्छी आमदनी अर्जित कर सकते हैं। कीटों और बीमारियों से रबी की तिलहनी फसलों को सालाना 15-20 प्रतिशत तक नुकसान पहुँचाता है। कभी-कभार ये कीट उग्र रूप धारण कर लेते हैं तथा फसलों को अत्याधिक हानि पहुँचाते हैं। इसीलिए सरसों या तिलहनी फसलों को कीटों और बीमारियों से बचाना बेहद ज़रूरी है।
टमाटर की खराब फसल के कारण जहां हर साल किसान परेशान रहते थे, वहीं इस साल टमाटर सोने का भाव बिक रहा है, जिससे किसानों की चांदी हो गई है। ऐसे ही आंध्र प्रदेश के एक किसान को भी टमाटर ने महज़ डेढ़ महीने में करोड़पति बना दिया है। टमाटर की खेती किसानों के लिए कुबेर का खज़ाना साबित हो रही है।
आलू की खेती अलग-अलग तरह की जमीन, जिसका पी.एच. 6 से 8 के बीच हो, ऐसे जमीनों में उगाई जा सकती है
उत्तराखंड के पिथौरागढ़ ज़िले की रहने वाली प्रियंका पांडे ने 2019 में मशरूम की खेती शुरू की। वैज्ञानिक तरीके से की गई मशरूम की खेती (Mushroom Cultivation) ने आज उन्हें एक सफल महिला उद्यमी बना दिया है।
किचन गार्डन बनाने से सुनीता सिंह के महीने की सब्जियां खरीदने का खर्च तो कम हुआ ही, साथ ही तरोताज़ा सब्जियां भी खाने को मिलती हैं।
मटर हमारे देश की प्रमुख सब्ज़ी है और सर्दियों के मौसम में बाज़ार में हरी मटर खूब बिकती है। उत्तराखंड में मटर की खेती तो होती है मगर उन्नत किस्म के बीजों का अभाव है। इसे किसान सहभागी बीज उत्पादन कार्यक्रम के ज़रिए दूर करने की कोशिश की जा रही है।
चौलाई से मिलने वाले साग (सब्ज़ी) और दाना (अनाज) दोनों ही नकदी फसलें हैं। चौलाई के खेती में ज़्यादा पानी की ज़रूरत नहीं होती। चौलाई की खेती के लिए प्रति एकड़ करीब 200 ग्राम बीज की ज़रूरत पड़ती है। जानिए चौलाई की खेती से जुड़ी ऐसी कई जानकारियां।
यदि किसान वैज्ञानिक तकनीक का इस्तेमाल करें तो अनाज और तिलहन की बजाय, सब्जियों की खेती किसानों के लिए अधिक फ़ायदेमंद साबित हो सकती है। हिमाचल के एक किसान वैज्ञानिक तकनीक अपनाकर न सिर्फ सब्ज़ियों की सफ़ल खेती कर रहे हैं, बल्कि अब दूसरे किसानों को बीज और अन्य रोपण सामग्री भी मुहैया कराकर अच्छा मुनाफ़ा कमा रहे हैं।
प्याज़ एक प्रमुख सब्ज़ी और मसाला फसल है। इसकी खासियत यह है कि इसे सब्ज़ी के रूप में इस्तेमाल करने के साथ ही मसाले के तौर पर भी प्रयोग में लाया जाता है। कोई भी मसालेदार सब्ज़ी प्याज़ के बिना अधूरी है। प्याज़ की मांग पूरे साल बनी रहती है, इसलिए इसका उत्पादन किसानों के लिए फ़ायदेमंद है। प्याज़ की अच्छी फसल के लिए उच्च गुणवत्ता वाले बीजों का उपलब्ध होना ज़रूरी है।
हम लौकी की ऐसी किस्म के बारे में बताने वाले हैं जो अपनी लम्बाई और स्वाद के लिए काफ़ी मशहूर है। इसके बारे में आपने कम ही सुना होगा। लौकी की खेती से जुड़ी और कई बातें हम आपको बताएंगे।
प्याज़ की खेती कर रहे किसानों को अक्सर फसल नुकसान से दो-चार होना पड़ता है। लगभग हर साल प्याज़ की फसल खराब होने पर बाज़ार में इसके दाम आसमान छूने लगते हैं। इस समस्या से निपटने का एक तरीका है प्याज़ को हिडाइड्रेट करके स्टोर करना। जब फसल ज़्यादा हो तो प्याज़ की प्रोसेसिंग करके इसके टुकड़ों को डिहाइड्रेट कर लें या इसका पाउडर बनाकर रख लें।
कर्नाटक की प्रगतिशील महिला किसान सरोजा ने KVK की मदद से कई सब्ज़ियों में प्लास्टिक मल्चिंग तकनीक अपनाई और अपने क्षेत्र के लिए एक प्रेरणास्रोत बनकर सामने आई हैं। जानिए कैसे हुआ उन्हें मुनाफ़ा?