Ginger processing: अदरक प्रसंस्करण की स्वदेशी तकनीक अपनाकर किसान कर रहे लाखों की कमाई
हिमालय की तलहटी में बसा है कलसी ब्लॉक जो उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में मौजूद है। ये पूरा इलाका लगभग […]
एग्री बिजनेस – कृषि और खेती से जुड़े ऐसे अनगिनत आइडियाज हैं जिन्हें आजमा कर आप भी बिना पैसे लगाए बिजनेस शुरु कर सकते हैं और खूब पैसा कमा सकते हैं। जानिए ऐसे ही कुछ बिजनेस आइडियाज के बारे में आपकी अपनी हिन्दी भाषा में
हिमालय की तलहटी में बसा है कलसी ब्लॉक जो उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में मौजूद है। ये पूरा इलाका लगभग […]
भारत में एक बहुमूल्य फसल का उत्पादन होता है जो अपनी परम्परागत तरीके के लिए भी जानी जाती है। इसका
बहुत से FPO और कंपनियां मिलेट्स व्यवसाय में उतरी हैं। प्रोसेसिंग कर मिलेट्स से ढेर सारी हेल्दी चीज़ें बना रही हैं, ऐसा ही एक FPO गुजरात के डांग ज़िले में काम कर रहा है।
La Bae Mushroom coffee Powder, केरल का पहला कॉफ़ी पाउडर है, जो मशरूम के न्यूट्रिशन से भरपूर है। इसे 5 तरह के मशरूम को मिलाकर तैयार किया गया है।
लद्दाख में एप्रिकॉट की खेती (Apricot Cultivation) के बारे में खारून निस्सा बताती हैं कि पहले खुबानी के बीज की बुवाई की जाती है। बीज बोने के बाद पेड़ बनने में 6-7 साल का समय लगता है। उसके बाद ही इस पर फल उगते हैं।
मधुमक्खी पालन उन किसानों के लिए कमाई का अच्छा ज़रिया है जिनके पास खेती योग्य ज़मीन कम है या बिल्कुल भी नहीं हैं। मधुमक्खी पालन को ही मौन पालन या एपीकल्चर (Apiculture) भी कहते हैं।
मछली पालन उद्योग का असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी पड़ा है। देश के मछुआरों और मछली पालन उद्योग एक बड़े सेक्टर के रूप में उभर कर आया है। भारतीय मत्स्य पालन की एक रिपोर्ट के अनुसार, साल 1980 के दशक में जो मछली उत्पादन 36 फ़ीसदी था, वो बढ़कर आज के वक्त में 70 फ़ीसदी पर पहुंच गया है। जानिए मछली पालन से जुड़े अहम बिंदुओं के बारे में।
रागी की फसल (Ragi Crop) मुख्य रूप से आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और तमिलनाडु में सबसे ज़्यादा खेती होती है। केरल, कर्नाटक राज्यों में इसे मुख्य भोजन के रूप में खाया जाता है।
आपने अभी तक कई चीज़ों की खेती के बारे में सुना होगा, लेकिन क्या कभी सिंदूर की खेती के बारे में सुना है? कम ही लोग जानते हैं कि सिंदूर का पौधा भी होता है, जिससे ऑर्गेनिक लाल रंग का सिंदूर बनता है। साथ ही और कई उत्पाद बनाए जाते हैं। जानिए सिंदूर का पौधा कैसे उगाया जाता है और सिंदूर की खेती से जुड़ी अहम जानकारियां सीधा एक्सपर्ट से।
फूलों की सुंदरता भला किसे आकर्षित नहीं करती, मगर हर कोई इसे घर में उगा नहीं पाता है। क्योंकि इसमें मेहनत लगती है, मगर झांसी के अनिल शर्मा ने अपने शौक को पूरा करने के लिए एक दो नहीं, बल्कि छत पर 700 गमले लगाए हुए हैं। जानिए उनसे गुलाब की किस्मों से लेकर Terrace Gardening के टिप्स।
किसान उत्पादक संगठन यानी Farmers Producer Organization (FPO) छोटे किसानों के लिए बहुत फ़ायदेमंद माना जाता है। इससे जुड़कर किसानों को न सिर्फ़ फसल की अच्छी कीमत मिलती है, बल्कि दूसरी सुविधाएं भी मिलती हैं। छत्तीसगढ़ के एक किसान जगन्नाथ तिलगाम ने अपने इलाके में FPO की शुरुआत की और FPO गठन के ज़रिए कैसे कउन्होंने आदिवासी किसानों को नई राह देखिए, पढ़िए इस स्टोरी में।
मक्के की फसल की खेती रबी, खरीफ़ और जायद सीज़न में आराम से की जा सकती है, लेकिन खरीफ़ के मौसम में मक्के की फसल बारिश पर निर्भर करती है। मक्के की फसल 3 महीने का वक्त लेती है।
एकीकृत कृषि प्रणाली उन स्थानों के लिए सबसे उपयुक्त मानी जाती है जहां पर एक फसल होती है, सिंचाई की कमी और कम बारिश का क्षेत्र हो। इस पद्धति से कृषि को पशुधन के साथ जोड़ कर लाभ कमा सकते हैं। मुर्गीपालन और मछली पालन को एक ही जगह पर रखा जा सकता है ताकि साल भर रोज़गार पैदा हो सके।
अगर आप मशरूम की खेती के लिए एक बिज़नेस प्लान के साथ काम करें तो आप इस मार्केट में अपनी पकड़ रख सकते हैं। इस लेख में हम मशरूम उगाने के बिजनेस प्लान मॉडल (Mushroom Farming Business Plan) की ज़रूरी डीटेल्स शेयर कर रहे हैं।
करन सिंह बतातें हैं कि कोई भी व्यक्ति गाय के गोबर से सजावटी सामान बनाने का बिज़नेस दो हज़ार से तीन हज़ार रुपए से शुरू कर सकता हैं। इसमें लागत इसलिए कम आती है कि किसान गांव में रहता है और गाय का गोबर भी आसानी से मिल जाता है।
कम लागत और समय में मुनाफ़ा कमाने का एक अच्छा विकल्प है मधुमक्खी पालन जिसे मौन पालन भी कहा जाता है। ख़ासतौर पर पहाड़ी इलाकों में, उत्तराखंड के किसानों और युवाओं को मधुमक्खी पालन के लिए प्रेरित करने में सरकारी संस्थाएं मदद कर रही हैं।
कृषि प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के वानिकि महाविद्यालय के असिस्टेंट प्रोफ़ेसर डॉ. मोहम्मद नासिर बताते हैं कि उनके कॉलेज में अलग-अलग तरह के कोर्स हैं। इन्हीं कोर्स में से एक है फ़ॉरेस्ट प्रॉडक्ट यूनिलाइज़ेशन प्रोग्राम, जैसा कि नाम से ही ज़ाहिर होता है इस कोर्स में बच्चों को जंगल के उत्पादों का सही इस्तेमाल करना सिखाया जाता है।
हमारे पारंपरिक अनाज कितने फ़ायदेमंद है ये मिलेट्स की बढ़ती लोकप्रियता से साफ़ हो चुका है। मिलेट्स के ज़रिए हरियाणा के एक गांव की 300 महिलाओं को स्वरोज़गार मिल रहा है। कभी महज़ 10 महिलाओं का ये छोटा समूह अब FPO बन चुका है और इससे 300 महिलाएं जुड़कर सम्मान का जीवन जी रही हैं।
तेंदूपत्ता की खेती में छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश का नाम सबसे आगे आता है। इन दोनों राज्य में इसे हरा सोना भी कहते हैं। इस पत्ते का सबसे ज़्यादा इस्तेमाल बीड़ी बनाने में किया जाता है। तेंदूपत्ता बेचने के बिज़नेस को शुरू करने के लिए लाइसेंस अनिवार्य है। जिसके लिए नगर निगम में जाकर अप्लाई किया जाता है।
शहद और मधुमक्खियों के बिना, कई फसलें प्रजनन करने में सक्षम नहीं होंगी। मधुमक्खियां फसलों को मजबूत और कीटों और बीमारियों को लेकर ज़्यादा प्रतिरोधी बनाने में भी मदद करती हैं। जानिए खेती और मधुमक्खी पालन से जुड़ी अहम बातें।