जब भी हम बाहर से सब्जी खरीदने जाते हैं, हमें पता नहीं होता कि उनमें किसी केमिकल का छिड़काव है या नहीं। हम लाते हैं और खा लेते हैं। केमिकल फ़्री सब्जियों की पहचान करना मुश्किल भी है। अब कई लोग अपनी सेहत को लेकर जागरूक हो रहे हैं। केमिकल छिड़काव वाले फल-सब्जी खाने से खुद को बचाने के लिए ऑर्गेनिक उत्पादों (Organic Products) का रूख कर रहे हैं। कई तो ऐसे भी हैं, जो अपने घर की छत या किसी कोने में ही गार्डन बनाकर फल-सब्जियां उगा रहे हैं। इस मेथड को किचन गार्डनिंग (Kitchen Gardening) या टेरेस गार्डनिंग (Terrace Gardening) कहा जाता है। आज इस लेख में हम आपको एक ऐसे शख्स के बारे में बताने जा रहे हैं, जो ‘स्वच्छ खाना तो स्वस्थ शरीर’ के अभियान को अपने स्तर पर जन-जन तक पहुंचाने का काम कर रहे हैं। इनका नाम है बंश गोपाल सिंह। बंश गोपाल उत्तर प्रदेश के आज़मगढ़ ज़िले के कोठा गाँव के रहने वाले हैं।
स्कूल के दिनों से ही संभाली खेती-किसानी की बागडोर
एक किसान परिवार से आने वाले बंश गोपाल सिंह ने पहले से ही निर्णय ले लिया था कि वो जॉब नहीं, बल्कि खेती-किसानी को ही अपना जीवन समर्पित करेंगे। स्कूल के दिनों से ही उनका रुझान खेती की ओर रहा। आलू के बीज का उत्पादन कर किसानों को बेचने लगे। कॉलेज की पढ़ाई भी कृषि क्षेत्र से ही की। बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से ऐग्रिकल्चर साइंस में मास्टर डिग्री ली। जब उन्होंने 1994 में प्लांट नर्सरी की शुरुआत करी तो उनके पास ज़्यादा पैसे नहीं थे। धीरे-धीरे खुद के बलबूते पर पैसे जुटाए और छोटे स्तर पर प्लांट नर्सरी शुरू कर दी। उन्होंने इस नर्सरी का नाम जय भारत नर्सरी रखा।
ऐसा कोई पौधा नहीं जो इनकी नर्सरी में न मिले
बंश गोपाल सिंह ने एग्री क्लिनिक और एग्री बिजनेस सेंटर (AC&ABC) स्कीम के तहत ट्रेनिंग भी ली हुई है। ट्रेनिंग के बाद 2007 में उन्होंने भारतीय स्टेट बैंक की आजमगढ़ ब्रांच से 8 लाख रुपये का लोन लिया। उन पैसों को नर्सरी के विस्तार में लगाया। कृषि क्षेत्र में उनकी उपलब्धि को देखते हुए उन्हें नाबार्ड की ओर से 36 फ़ीसदी की सब्सिडी भी मिली।
आज ये नर्सरी 6 हेक्टेयर के क्षेत्र में फैली हुई है। जय भारत नर्सरी की एक ब्रांच देहरादून में भी है। किसान ऑफ़ इंडिया से बातचीत में बंश गोपाल सिंह बताते हैं कि ऐसा कोई पौधा नहीं, जो उनकी नर्सरी में न मिले। सभी सब्जियों के पौधे, फल-फूल के पौधे, औषधीय पौधे, सजावटी पौधे, हर तरह के पौधे उनकी नर्सरी में तैयार होते हैं। इन पौधों को जैविक तरीके से ही उगाया जाता है।
देशभर के हज़ारों किसान जुड़े
छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, हिमाचल, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और बिहार से हज़ारों की संख्या में किसान बंश गोपाल सिंह से जुड़े हैं। ये किसान सीधा जय भारत नर्सरी से पौधे खरीदते हैं। पौधे खरीदने वालों को पौधरोपण यानी कि पौधे लगाने से लेकर उसके पोषण के लिए ज़रूरी पौष्टिक तत्वों की पूरी जानकारी दी जाती है। जो लोग उनसे पौधे खरीदते हैं, उनके वहां जाकर भी पूरी मदद की जाती है।
फ़्री में देते हैं कंसल्टेंसी और जानकारी
बंश गोपाल सिंह बताते हैं कि वो देशभर में पौधे सप्लाई करते हैं। उनकी नर्सरी में एक रुपये के पौधे से लेकर 18 हज़ार रुपये तक के पौधे मिल जाते हैं। दूर-दराज से भी लोग ये पौधे मंगवाते हैं। जो लोग बाहर जाकर बस गए हैं, कनाडा और अफ्रीकी देशों के लोग भी उनसे संपर्क करते हैं और नर्सरी प्लांट से जुड़ी सलाह लेते हैं। अगर कोई नर्सरी की शुरुआत करना चाहता है, या किसी पौधे की रोपाई, बुवाई से जुड़ी जानकारी जानना चाहता है तो बंश गोपाल सिंह उसे नि:शुल्क कंसल्टेंसी देते हैं।
जैविक खेती को दे रहे हैं बढ़ावा
बंश गोपाल अपने क्षेत्र में जैविक सब्जियां भी बेचते हैं। बंश गोपाल ने बताया कि ऑर्गेनिक तरीके से पौधों का उत्पादन करने की शुरुआत उन्होंने तब कि थी जब लोगों को पता ही नहीं था कि ऑर्गेनिक का मतलब क्या होता है। तब लोगों को ऑर्गेनिक उत्पादों के बारे में समझाना पड़ता था। इसके फ़ायदों के बारे में बताना पड़ता था। उस दौर में ही उनके 100 से ऊपर ग्राहक थे, जिनके घर वो सीधा सब्जी पहुंचाते थे। अब स्थिति बदली है। लोग ऑर्गेनिक प्रॉडक्ट्स को लेकर जागरूक हुए हैं। ऐसे में जैविक तरीके से खेती करना किसानों के लिए फ़ायदेमंद ही है।
बंश गोपाल बताते हैं कि हमारा मकसद है कि लोग ऑर्गेनिक फल-सब्जियां ही खाएं क्योंकि यही स्वस्थ जीवन का सबसे अच्छा विकल्प है। अपने घर में खुद सब्जी लगाइए और फिर खाइए। इसी को ध्यान में रखकर उन्होंने नर्सरी खोलने के बारे में सोचा।
नर्सरी खोलने को लेकर बंश गोपाल सिंह की सलाह
जो लोग नर्सरी खोलना चाहते हैं उन्हें सलाह देते हुए बंश गोपाल कहते हैं कि शुरुआत में छोटे स्तर से नर्सरी प्लांट की शुरुआत कर सकते हैं। इंसान में लगन होनी चाहिए। नर्सरी एक ऐसा बिज़नेस है, जो हर सीज़न में चलता है। इसलिए साल के 365 दिन आपको इसमें देने की ज़रूरत होती है क्योंकि ज़रा सी भी लापरवाही आपको नुकसान पहुंचा सकती है।
बंश गोपाल सिंह कहते हैं कि देश के कई बड़े महानगरों का प्रदूषण से बूरा हाल है और आबादी भी बढ़ रही है। इस बीच ही सब की खाने की ज़रूरत को भी पूरा करना है और प्रकृति को भी बचाना है। ऐसे में जैविक तरीके से खेती करना न सिर्फ़ शरीर को स्वस्थ रखने में कारगर है, बल्कि वातावरण को भी स्वच्छ रखने में योगदान देती है।
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कई राष्ट्रीय स्तर के अवॉर्ड से सम्मानित
आज की तारीख में जय भारत नर्सरी का सालाना टर्नओवर एक करोड़ रुपये से ऊपर का है। उन्हें दो राष्ट्रीय पुरस्कारों ‘सर्वश्रेष्ठ उद्यमी पुरस्कार’ (Best Entrepreneur Award) और ‘इनोवेटिव फ़ार्मर अवॉर्ड’ से भी सम्मानित किया गया है।
सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।
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