क्या आपने कभी सोचा है कि फूलों के बिजनेस से आप लाखों रुपए की कमाई कर सकते हैं। मामूली से पैसों में बाजारों मे बिकने वाले फूलों को आप अपने रोजी रोटी का जरिया बना सकते हैं। आज के समय में गेहूं और धान की बजाय किसान फूलों की खेती से लाखों रुपए कमा रहे हैं। फूलों की खेती से कम लागत में भारी मुनाफा कमाया जा सकता है।
यही कारण है कि परंपरागत खेती से हटकर किसानों का रुझान इस ओर बढ़ रहा है। यहां उगाए गए विभिन्न प्रजाति के फूलों संग गेंदा का फूल कई राज्यों को भी सप्लाई किया जा रहे हैं। चन्दौसी से फूलों का लगभग 15 से 20 लाख का सालाना कारोबार हो रहा है।
चन्दौसी में पथरा, जनैटा, सादिकपुर, मई, उमरा, गोपालपुर, कुंवरपुर, बरौली रुस्तमपुर, कैथल, देवरखेड़ा, गुमथल आदि स्थानों पर फूलों की खेती की जा रही है। इन गांवों की सड़कों पर निकलने के दौरान रंग बिरंगे फूल और उनकी खुशबू मन मोह लेती है। मौसम के मुताबिक यहां गेंदा, गुलाब, रजनीगंधा तथा ग्लेडियोलस के फूल उगाए जाते हैं। इन फूलों की बहुतायत सप्लाई मुरादाबाद और बरेली की मंडी में की जाती है। इसके अलावा दिल्ली और राजस्थान में भी डिमांड के अनुसार इनकी आपूर्ति की जाती है।
इनमें प्रमुख रूप से गेंदा का फूल शामिल है। यहां हो रही पैदावार में फूलों की अलग-अलग प्रजातियां और रंग शामिल हैं। गुलाब को परमानेंट क्रॉप के रूप में जाना जाता है। पूरे साल इसका उत्पादन होता है, जबकि देसी गुलाब के उत्पादन का खास समय होता है। इसी तरह लोकल ग्लेडियोलस (ऑरेंज) को गर्मियों में जबकि मल्टीकलर गलेडियोलस को सितंबर से फरवरी तक उगाया जाता है। सफेद रजनीगंधा की पैदावार का समय बरसात में अर्थात जून-जुलाई में होता है। इसकी जड़ों को तीन माह तक चलाया जा सकता है।
इसके अलावा यहां सीजनल डहलिया, डेजी, कैलेंडुला आदि के फूल भी उगाए जाते हैं। गेंदा और गुलाब की खेती करने वाले पथरा गांव निवासी किसान गंगाराम बताते हैं कि गेंदा का फूल 10 से 20 रुपये और गुलाब का 80 रुपये प्रति किलो तक बिकता है। ज्यादातर शादी के सीजन में इसकी मांग होती है। एक अनुमान के अनुसार यदि सही तरह के फूलों की खेती की जाए तो एक बीघा खेती से लगभग 60 से 70 हजार रुपये का लाभ हो जाता है।