Ginger processing: अदरक प्रसंस्करण की स्वदेशी तकनीक अपनाकर किसान कर रहे लाखों की कमाई
हिमालय की तलहटी में बसा है कलसी ब्लॉक जो उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में मौजूद है। ये पूरा इलाका लगभग […]
हिमालय की तलहटी में बसा है कलसी ब्लॉक जो उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में मौजूद है। ये पूरा इलाका लगभग […]
कृषि प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के वानिकि महाविद्यालय के असिस्टेंट प्रोफ़ेसर डॉ. मोहम्मद नासिर बताते हैं कि उनके कॉलेज में अलग-अलग तरह के कोर्स हैं। इन्हीं कोर्स में से एक है फ़ॉरेस्ट प्रॉडक्ट यूनिलाइज़ेशन प्रोग्राम, जैसा कि नाम से ही ज़ाहिर होता है इस कोर्स में बच्चों को जंगल के उत्पादों का सही इस्तेमाल करना सिखाया जाता है।
पूजा विश्वकर्मा ने 6 साल पहले 40 हज़ार रुपये की लागत से मोती की खेती का व्यवसाय शुरु किया। लगातार 2 साल तक संघर्ष करने के बाद उन्हें सफलता मिली।
गेहूं का भूसा प्लास्टिक का बेहतरीन और इको फ्रेंडली विकल्प साबित हो सकता है। इससे पराली को जलाने की समस्या का समाधान तो होगा ही, साथ ही पर्यावरण के लिहाज़ से भी ये कदम अच्छा होगा।
चाहे घर हो, उद्योग-धंधे या कृषि हर क्षेत्र में ऊर्जा की ज़रूरत पड़ती है, इसके बिना कोई काम नहीं चल सकता। मगर अफसोस कि तेज़ रफ्तार से बढ़ती इसकी मांग ने ऊर्जा का सकंट पैदा कर दिया है, ऐसे में ऊर्जा सरंक्षण के उपायों के बारे में जानकारी और उसे अपनाना बहुत ज़रूरी है।
पंजाब की बीबी कमलजीत कौर ने किचन गार्डन में सब्ज़ियां उगाने से शुरुआत की और अब वो एक सफल महिला उद्यमी बन चुकी हैं।
एकीकृत कृषि प्रणाली अपनाने से पहले उन्हें सालाना सिर्फ़ करीबन 24,680 रुपये का ही लाभ होता था, लेकिन अब न सिर्फ़ उन्होंने आमदनी में बढ़ोतरी की है, बल्कि अपने क्षेत्र के कई युवकों के लिए प्रेरणा बन गए हैं।
आज की तारीख में अशोक मनवानी अपने मोती पालन (Pearl Farming) के इनोवेशन और सीपों पर उनकी रिसर्च के लिए जाने जाते हैं। उनका सपना है कि भारत मोती पालन के मामले में पहले पायदान पर पहुंचे।
मध्य प्रदेश के आदिवासी ज़िले मंडला के रहने वाले अमृत लाल धनगर पहले किराए पर सीड रील मशीन लेकर खेती किया करते थे। लागत को कैसे कम किया जाए, इस पर काम करते हुए उन्होंने उपलब्ध संसाधनों से सीड ड्रिल मशीन बनाई।
खेती-किसानी में महिलाओं को सशक्त करने के मकसद से देहरादून स्थित कृषि विज्ञान केंद्र ने स्थानीय रूप से उपलब्ध कच्चे माल का उपयोग कर महिलाओं की आय को बढ़ाने की दिशा काम किया है। ये महिलाएं गाय के गोबर से दीये तैयार करती हैं।
मंजीत सिंह सलूजा खेती-किसानी में कई अभिनव प्रयोग करते आए हैं। उन्होंने एक ठेले से सब्जी बेचना शुरू किया और फिर Vegetable Outlet की शुरुआत की। किसान ऑफ़ इंडिया से बातचीत में उन्होंने डायरेक्ट बिक्री, वेजिटेबल आउटलेट और खेती से जुड़े कई पहलुओं पर हमसे बात की।
गंगाराम चौहान कहते हैं कि एक मकैनिक होने के नाते उनके पास कई तरह के औजार हैं और जब भी कोई नया आइडिया आता है तो वो अपने औजारों की मदद से उस आइडिया को अमली जामा पहनाने में जुट जाते हैं। अब तक 25 से ज़्यादा कृषि उपकरण बनाने के अलावा और कई इनोवेशन पर काम कर रहे हैं।
हम आपको कौशाम्बी जिले के एक ऐसे किसान विनोद सिंह से रुबरु कराएंगे जो केले की नर्सरी से महज एक महीने में ही लाखों कमा रहे हैं। आप भी जानिए किस तरह उन्होंने इस प्रकार खेती से पैसा कमाना शुरू किया और मुनाफा कमाने लगे।