हमारे देश में सजावटी मछली पालन (Ornamental Fish Farming) शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में रोज़गार के अवसर पैदा करने की क्षमता रखता है। आज के दौर में कई लोग अपने घर और दफ़्तरों में रंगीन मछलियों को एक्वेरियम में पालने का शौक रखते हैं। इस क्षेत्र की संभावनाओं को देखते हुए कई लोग सजावटी मछली पालन से जुड़े हैं और इसके विस्तार पर काम कर रहे हैं। इन्हीं में से एक हैं महाराष्ट्र के रत्नागिरी ज़िले के रहने वाले विनोद बाबूराव सावंत।
विनोद बाबूराव सावंत ने सजावटी मछलियों का पालन बतौर शौक शुरू किया था। आज ये उनका मुख्य व्यवसाय है। विनोद बाबूराव सावंत ने सजावटी मछली पालन को लेकर kisan of India से कई ज़रूरी जानकारियां साझा कीं । विनोद बाबूराव सावंत, डॉ. बालासाहेब सावंत कोंकण कृषि विद्यापीठ से Aquaculture (मत्स्य पालन) विषय में एमएससी डिग्री होल्डर है।
कम लागत में शुरू कर सकते हैं सजावटी मछली पालन
विनोद बाबूराव सावंत बताते हैं कि जब उन्होंने 2009 में सजावटी मछली पालन की शुरुआत की थी तो उनके पास निवेश के लिए ज़्यादा पैसे नहीं थे। जो पॉकेट मनी यानी खुद के खर्चे के लिए पैसे मिलते थे, उसी से पैसे बचाकर छोटे स्तर पर सजावटी मछलियों को पालना शुरू किया। 500 से 600 रुपये की बाज़ार से प्लास्टिक पॉलीथीन खरीदी। ज़मीन में गड्ढा खोदा। उस गड्ढे में प्लास्टिक लगाकर रंगीन सजावटी मछलियाँ डाल देते थे। फिर जैसे-जैसे आमदनी होती गई वो अपने व्यवसाय को बढ़ाते गए। आज उनकी खुद की हैचरी यूनिट है।
Ornamental Fish की ख़ासियत
विनोद बाबूराव कहते हैं कि ये रंगीन मछलियाँ बहुत आकर्षित और सुंदर होती हैं। Ornamental Fish Farming में व्यावसायिक किस्मों के तौर पर लाइवबीयरर्स (Livebearers) और एग लेयर्स (Egg-layers) की प्रजातियों का पालन किया जाता है।
Livebearers या Egg-layers
Livebearers प्रजाति की मछलियाँ सीधे बच्चे को जन्म देती हैं। जबकि Egg layer प्रजाति की मछलियाँ सबसे पहले अंडे देती हैं और फिर उन अंडों से बच्चे निकलते हैं। 28 घंटे से लेकर 72 घंटे के बीच में अंडों से बच्चे आते हैं।
Livebearers प्रजाति में गप्पी(Guppy), स्वॉर्ड टेल (Swordtail), मौली (molly), प्लैटी (Platy) प्रमुख मछलियाँ हैं। वहीं, Egg layer में ज़ेबरा मछली (Zebra fish), गोल्डफिश (Goldfish), कोई कार्प (Koi carp), एंगल मछली (Angelfish) आदि हैं।
Livebearers हर महीने देती हैं 20 से 25 बच्चे
विनोद कहते हैं कि जो Ornamental Fish farming बतौर स्टार्टअप शुरू करना चाहते हैं या सीखना चाहते हैं, वो Livebearers मछलियों का ही चुनाव करें। विनोद ने बताया कि इस किस्म की मछलियाँ लगातार बच्चे देती हैं। बस उन्हें दिन में तीन से चार बार ज़रूरत के हिसाब से पोषण से भरपूर आहार दें। ये हर महीने में 20 से 25 बच्चे देती हैं।
कैसे करें सजावटी मछली पालन
विनोद कहते हैं कि जो इस क्षेत्र में नया है, सजावटी मछली पालन करना चाहता है, वो Livebearers मछली एक नर और एक मादा के अनुपात में लेकर आएं। इसके अलावा, आप एक नर और पांच मादा का अनुपात भी रख सकते हैं। उन्हें नियमित तौर पर आहार दें। आहार में 35 प्रतिशत प्रोटीन की मात्रा रखें। इससे उनका विकास जल्दी और अच्छा होता है। शुरुआत में गप्पी, स्वॉर्ड टेल जैसी सजावटी मछलियाँ चुन सकते हैं। चार महीने बाद ये मछलियाँ बिक्री के लिए तैयार हो जाती हैं।
इन बातों का रखें ध्यान
Livebearers प्रजाति के बच्चों को जन्म के बाद से ही छुपने की जगह चाहिए होती है। इसलिए ज़रूरी है कि जहां मछली पाल रहे हैं, उस पॉन्ड या एक्वेरियम के अंदर वॉटर प्लांट्स लगा दें। नवजात मछलियों को बड़ी मछलियों द्वारा खाने का डर रहता है। इन पौधों की आड़ में नवजात मछलियाँ खुद को छिपा लेती हैं। इसके अलावा, ब्रीडिंग के लिए नर-मादा मछलियों को जालिनुमा टैंक में डाला जाता है। इससे बच्चे होने पर नवजात मछलियाँ जाली से बाहर निकल आती हैं। इस तरह से सभी बच्चे सुरक्षित रहते हैं।
10 से 15 दिन में बेच सकते हैं मछलियाँ
विनोद कहते हैं कि मान लीजिए 100 मादा मछलियाँ हैं और वो औसतन 20 बच्चों को जन्म देती हैं, तो इस तरह से 2000 नवजात मछलियाँ आपके पास हो जाएंगी। फिर इन मछली के बच्चों को आप 10 से 15 दिन में ही 2 से ढाई रुपये प्रति मछली की दर बेच सकते हैं। 10 से 15 दिन में लागत का खर्च भी ज़्यादा नहीं रहता। जैसे-जैसे आपका प्लांट बढ़ा होगा, मुनाफ़ा भी बढ़ता जाएगा। इस तरह से कम लागत में Ornamental Fish Farming का बिज़नेस शुरू कर सकते हैं।
तीन से चार महीने में कितने में बिक जाती हैं मछलियाँ?
विनोद बताते हैं कि जब बच्चे को तीन से चार महीने बाद बेचा जाता है तो दाम बढ़ जाते हैं। थोक में प्रति मछली का भाव करीब 12 रुपये पड़ता है। वहीं खुदरा तौर पर बेचने पर ये दाम 25 से 30 रुपये प्रति पीस पहुंच जाता है।
हेचरी में मछलियों के रखरखाव पर देते हैं विशेष ध्यान
विनोद बाबूराव सावंत ने हेचरी का सेटअप घर के पास ही बना रखा है। दूसरे जानवरों से मछलियों को बचाने के लिए पॉन्ड/टैंक को ग्रीन शेड नेट से ढका हुआ है। साथ ही ऊपर की ओर से एक जाली लगा रखी है। विनोद कहते हैं कि आपको इनके रखरखाव के लिए अलग से कुछ करने की ज़रूरत नहीं है। किसी तरह के केमिकल का छिड़काव नहीं करना है। बस उनके आहार का ध्यान रखें।
मछलियों को जिस पानी में रखा है, उस पानी की गुणवत्ता अच्छी होनी चाहिए। आप जिस क्षेत्र से आते हैं, वहां का पानी किन मछलियों के पालन के लिए उपयुक्त है, उसकी जांच करवाएं। ये तो वैज्ञानिक तरीका हो गया। दूसरा तरीका ये है कि आप तीन से चार प्रजाति की मछलियों को लेकर आ सकते हैं। दो महीने तक उनकी निगरानी करें। जिस प्रजाति की मछली अच्छा विकास कर रही हो, उसके साथ व्यवसाय को आगे बढ़ा सकते हैं। इसके अलावा, विनोद कहते हैं कि वो हर 10 दिन में टैंक की साफ-सफाई करते हैं। मछलियों के वेस्ट को पाइप के ज़रिए टैंक से निकाला जाता है।
विनोद बाबूराव सावंत की सलाह
विनोद कहते हैं कि जिसके पास निवेश के लिए ज़्यादा पैसे नहीं हैं, वो कम लागत में इस व्यवसाय को शुरू कर सकते हैं। इस व्यवसाय में मुनाफ़ा तो मिलता है, लेकिन उसके लिए थोड़ा रुकना करना पड़ता है। आप ये न सोचें कि एक महीना तो हो गया, लेकिन मुनाफ़ा क्यों नहीं हो रहा। एक बार मुनाफ़ा आना शुरू होता है तो वो लॉन्ग टर्म रहता है। सजावटी मछली पालन शुरू करने से पहले ट्रेनिंग लें। पूरी जानकारी इसके बारे में जुटाएं। आपको जीव विज्ञान, उनके आहार और प्रजनन प्रक्रिया की जानकारी होनी चाहिए। विनोद कहते हैं कि ये व्यवसाय आसान है, लेकिन जानकारी का अभाव होने पर नुकसान हो सकता है। इसलिए पूरी ट्रेनिंग के बाद ही इसमें उतरे।
सजावटी मछली पालन में कितना मुनाफ़ा
विनोद कहते हैं कि आप जिस प्रजाति की मछली का चुनाव करते हैं, उसकी मार्केट वैल्यू पर आपकी आमदनी निर्भर करती है। आप 10 बाय 40 फ़ीट की जगह में 5 लाख से लेकर 10 लाख रुपये सालाना का मुनाफ़ा कमा सकते हैं। उदाहरण देते हुए विनोद समझाते हैं कि Livebearers की कई मछलियाँ 40 रुपये प्रति जोड़े के हिसाब से बिकती हैं, वहीं डिस्कस मछली की मार्केट वैल्यू प्रति जोड़ा 2 हज़ार से 3 हज़ार तक रहती है। इसलिए मछलियों के दाम के हिसाब से मुनाफ़ा तय होता है।
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