एग्री बिजनेस

एग्री बिजनेस – कृषि और खेती से जुड़े ऐसे अनगिनत आइडियाज हैं जिन्हें आजमा कर आप भी बिना पैसे लगाए बिजनेस शुरु कर सकते हैं और खूब पैसा कमा सकते हैं। जानिए ऐसे ही कुछ बिजनेस आइडियाज के बारे में आपकी अपनी हिन्दी भाषा में

lehsun ki kheti garlic farming and garlic pest and disease लहसुन की खेती और लहसुन के रोग
एग्री बिजनेस, न्यूज़

लहसुन की खेती पार्ट 2: कैसे करें लहसुन की बुवाई, इन बातों का रखेंगे ख़्याल तो होगी अच्छी पैदावार

लहसुन की खेती में कई बातों का ध्यान रखना ज़रूरी होता है। कब बुवाई करनी है, सिंचाई कब करनी है, कैसे खरपतवार का नियंत्रण करना है, इस लेख में इन सबके के बारे में हम आपको बता रहे हैं।

organic acreचनामित्र ऐप (Chanamitra)
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Organic Acre: किसान मंडी पर न रहें निर्भर, लक्ष्य डबास से जानिए कैसे चुनें मार्केटिंग के लिए अपने ग्राहक और बाज़ार? पार्ट – 4

खेती के बेहतरीन टिप्स हों या देसी जुगाड़ से बने पॉलीहाउस के बारे में जानना हो, Organic Acre के फाउंडर लक्ष्य डबास ने खेती-किसानी को लेकर किसान ऑफ़ इंडिया को ऐसी-ऐसी ज़रूरी बातें बताईं, जो यकीनन खेती का खज़ाना हैं।

PM Modi agriculture schemes (प्रधानमंत्री मोदी की बड़ी कृषि योजनाएं)
सरकारी योजनाएं, एग्री बिजनेस, किसान सम्मान निधि, न्यूज़, फसल बीमा, फसल बीमा योजना

मोदी सरकार की वो पांच बड़ी कृषि योजनाएं (Agriculture Schemes) जिनसे आप उठा सकते हैं फ़ायदा

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा कृषि क्षेत्र से जुड़ी, किसानों के लिए बनाई गयीं ये पांच महत्वाकांक्षी योजनाएं किसानों की आमदनी बढ़ाने और उन्हें सुरक्षा प्रदान करने में कारगर साबित हो रही हैं।

Organic Acre
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Organic Acre: फ़सल का उत्पादन बढ़ाने और पानी की समस्या से बचने के लिए, पढ़िए लक्ष्य डबास के ये सुझाव, विशेष सीरीज़, पार्ट – 3  

खेती को बेहतर बनाने के लिए लक्ष्य डबास ने Organic Acre में ऐसे तरीकों का इस्तेमाल किया जिसे हर किसान उनकी बारीकियों को समझकर अपने यहाँ इस्तेमाल कर सकता है।

Organic Acre Lakshay Dabas
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Organic Acre: इन बातों का ख्याल रखेंगे तो खेती में होगी तरक्की, लक्ष्य डबास से जानिए उत्पादन बढ़ाने और फसलें बचाने की टिप्स

Organic Acre के फाउंडर लक्ष्य डबास खेती को कैसे कम पैसे में बेहतर बनाना है, इसकी बारीकियों को समझते हैं। इन्हीं बारीकियों को किसान ऑफ़ इंडिया की टीम ने जाना लक्ष्य डबास से।

avocado farming एवोकाडो की खेती
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क्या आप एवोकाडो की खेती करने की सोच रहे हैं? अपने परिवार और समुदाय की तस्वीर बदलने वाले इस किसान के बारे में जानिये

इथियोपिया के इस किसान को ‘फ़ूड हीरोज’ की उपाधि से भी सम्मानित किया गया है।
Story Courtesy: UN News

Organic Acre Founder Polyhouse
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Organic Acre के फाउंडर लक्ष्य डबास से जानिए देसी जुगाड़ से पॉलीहाउस बनाने का तरीका और कीजिये पूरे साल खेती

Organic Acre के फाउंडर लक्ष्य डबास ने अपने पिता से खेती-किसानी के गुर सीखे। उन्हीं के मार्गदर्शन में उनका परिवार पिछले 35 सालों से जैविक खेती (Organic Farming) कर रहा है।  

मशरूम
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मशरूम किसानों की उपज को बाज़ार तक पहुंचाने का काम कर रहे हैं कुलदीप बिष्ट

कुलदीप बिष्ट कहते हैं कि एक झोपड़ी से ही किसान मशरूम की खेती की शुरुआत कर सकता है। मिट्टी के घर में भी किसान मशरूम प्लांट बना सकते हैं।

फूड प्रोसेसिंग ( food processing )
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एक इंजीनियर से जानिए खेती में मार्केटिंग के मंत्र, ऐसे अपनी उपज से मुनाफ़ा कमा सकते हैं किसान

कोरोना काल में किसानों पर भी दोहरी मार पड़ी। ऐसे में किसान अपनी फसल को सीधा बेचने के साथ-साथ अन्य तरीकों से भी आमदनी कर सकते हैं। ऐसे ही तरीकों का जिक्र दयानंद जांगिड़ ने देश के किसानों के साथ साझा किया है।

बंजर ज़मीन
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बंजर ज़मीन की आई दवाई, क्या बढ़ेगी किसानों की आय?

वैज्ञानिकों ने इस फ़ॉर्मूले को लेकर बड़ा दावा किया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि इस जैविक फॉर्मूले के इस्तेमाल से बंजर भूमि पर धान, गेहूं या सब्जियों की खेती करना संभव है। 

National Nursery Portal
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बाग़वानी के लिए कैसे बहुत उपयोगी है नेशनल नर्सरी पोर्टल?

नर्सरी पोर्टल से किसानों को अपने आसपास की नर्सरी का पता-ठिकाना, उसका प्रोफ़ाइल, वहाँ उपलब्ध फल, फूल, सब्ज़ियों, मसालों के उन्नत किस्मों के पौधों, बीज और उनके मूल्य वग़ैरह की पूरी जानकारी आसानी से मिल जाएगी। वो नर्सरी उत्पादों के दाम की भी तुलना कर सकेंगे और नर्सरी संचालकों को अपनी ख़ास माँग के बारे में भी बताकर एडवांस बुकिंग भी कर सकेंगे। इससे नर्सरी संचालकों के बीच भी प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और किसान को फ़ायदा होगा।

करेले की खेती
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जानवर, मवेशी या आवारा पशु सताएँ तो अपनाएँ करेले की खेती

करेला स्वाद में भले ही कड़वा हो, लेकिन इसकी खेती उन किसानों के लिए बड़ी मददगार है जिन्हें जानवरों या आवारा पशुओं या मवेशियों के फसल को खा जाने का ख़तरा सताता रहता है। क्योंकि अपने कड़वेपन की वजह से करेला इन्हें पसन्द नहीं आता। करेले की खेती की एक और ख़ूबी ये है कि इसकी लागत ज़्यादा नहीं होती, जबकि पैदावार से कमाई अच्छी होती है।

Onion cultivation in Shekhawati
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शेखावटी में प्याज़ की खेती भले ही जुआँ हो, लेकिन है फ़ायदे का दाँव

प्याज़ की खेती में बीज के बाद सबसे ख़ास चीज़ है सिंचाई, क्योंकि खेत में नमी के कम या ज़्यादा होने का पैदावार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। पैदावार की अच्छी क्वालिटी होने पर ही उपज का बढ़िया दाम मिल पाता है। वर्ना, किसान की उम्मीदों पर पानी फिरने का जोख़िम रहता है।

किसानों के लिए ‘तकरीबन मुफ़्त’ ही है फसल बीमा योजना - Kisan Of India
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कैसे किसानों के लिए ‘तकरीबन मुफ़्त’ ही है फसल बीमा योजना?

किसानों के लिए फसल बीमा एक ऐसी लागत है, जिसका 95 प्रतिशत से लेकर 98.5 फ़ीसदी तक बोझ सरकार उठाती है। ये सब्सिडी इतनी ज़्यादा है कि इसे ‘तकरीबन मुफ़्त’ भी कह सकते हैं। किसानों को असली ताक़त बैंक या बीमा कम्पनियों से सम्पर्क साधने और बीमा पालिसी खरीदने पर ही लगानी होती है। बीमा की किस्त तो महज सांकेतिक है। हज़ार रुपये की वास्तविक किस्त के बदले किसान को सिर्फ़ 15 रुपये से लेकर 50 रुपये की ही किस्त भरनी है। बाक़ी 950 से लेकर 985 रुपये तक सरकारें भरेंगी।

जब अमरूद बना विकल्प, बढ़ी आमदनी
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जब अमरूद बना विकल्प, बढ़ी आमदनी

गेहूँ की खेती छोड़ 80 हज़ार रुपये प्रति एकड़ की लागत से 12 एकड़ में अमरूद के 2400 पेड़ लगाया। दिल्ली-मुम्बई के बाज़ारों में बेची फ़सल और तीन गुना दाम पाया।

indian cow for dairy farmers
एग्री बिजनेस, देसी गाय, पशुपालन, पशुपालन और मछली पालन

देसी गाय की कौन सी नस्ल से होती है बढ़िया कमाई?

गिर गाय का दूध शहरों में 70 रुपये से 200 रुपये प्रति लीटर तक और इसका घी 2000 रुपये प्रति किलो तक बिक सकता है। इसकी कीमत 60-70 हज़ार रुपये से लेकर डेढ़ लाख रुपये तक हो सकती है। दस गायों की डेयरी के उत्पादों से लागत को निकालने के बाद औसतन दो लाख रुपये महीने की आमदनी हो जाती है।

Benefits of Integrated farming - Kisan Of India
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किसानों को यदि चमकानी है किस्मत तो करें एकीकृत खेती या Integrated Farming का रुख़

इंटिग्रेटेड फ़ार्मिंग का सबसे बड़ा लाभ है कि ये पूरे साल किसानों को रोज़गार में बनाये रखता है। इसकी बदौलत किसान के पास आमदनी के कई स्रोत या विकल्प होते हैं। इसे अपनाकर सीमान्त और लघु किसान अधिक पैदावार वाली फसलों के अलावा फल, सब्ज़ी, डेयरी उत्पाद, शहद आदि से कमाई कर लेते हैं। इस तरह, एक ओर किसानों की उत्पादकता बढ़ती है तो दूसरी ओर अपने संसाधनों के सही उपयोग से खेती से जुड़े कामकाज़ की लागत में कमी आती है।

गन्ने की खोई से कैसे बनेगी बायो-क्रॉकरी?
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गन्ने की खोई से कैसे बनेगी बायो-क्रॉकरी?

बायो-क्रॉकरी पूरी तरह से बॉयोडिग्रेडेबल हैं। कचरे में फेंके जाने पर ये तीन महीने में पूरी तरह गल जाते हैं। इसे यदि कोई जानवर खा भी ले तो उसकी सेहत खराब नहीं होती। यानी, इसका कोई प्रतिकूल प्रभाव या साइड इफ़ेक्ट नहीं है। खोई से बनी बायो-क्रॉकरी को माइक्रोवेव, ओवन और फ्रिज़ में भी रखा जा सकता है। इसका पैकेज़िंग में भी इस्तेमाल हो सकता है।

साल में तीन फसलें दे सकती है शिमला मिर्च, होती है बढ़िया कमाई
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साल में तीन फसलें दे सकती है शिमला मिर्च, होती है बढ़िया कमाई

शिमला मिर्च की उपज की मात्रा इसकी किस्म और देखभाल पर निर्भर करती है। इसीलिए इसके उत्पादन का दायरा प्रति हेक्टेयर 150 से 500 क्विंटल तक हो सकता है। लागत निकालकर शिमला मिर्च के किसान एक फसल से प्रति हेक्टेयर 5 से 7 लाख रुपये तक कमा लेते हैं। इसीलिए बढ़िया कमाई की खेती है शिमला मिर्च। हालाँकि, देश में इसकी खेती ज़्यादा नहीं होती।

फसल बीमा का जागरूकता सप्ताह शुरू, 75 जनजातीय ज़िलों पर ख़ास ज़ोर
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फसल बीमा का जागरूकता सप्ताह शुरू, 75 जनजातीय ज़िलों पर ख़ास ज़ोर

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) का मौजूदा प्रारूप साल 2016 से प्रभावी है। इस उन्नत प्रारूप के तहत 5 साल में 8.3 करोड़ से अधिक किसानों ने फसल बीमा का लाभ उठाया है। 5 साल में किसानों ने 20 हज़ार करोड़ रुपये के किस्त चुकायी और बदले में उन्हें 95 हज़ार करोड़ रुपये के मुआवज़ा मिला।

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