कोरोना महामारी से बुरी तरह प्रभावित पुणे नगर निगम (PMC) पर वित्तीय बोझ को कम करने के लिए कांग्रेस की पार्टी इकाई ने भूमि अधिग्रहण के लिए अनिवार्य 30 फीसदी सिक्योरिटी डिपोजिट से छूट मांगी है। राज्य सरकार को लिखे पत्र में कांग्रेस ने लोक निर्माण विभाग को दी गई छूट का हवाला देते हुए पीएमसी को भी इससे राहत देने की मांग की।
30 फीसदी धनराशि जमा रहती है जिला प्रशासन के पास
नए नियमों के मुताबिक भूमि अधिग्रहण की अधिसूचना जारी होने के बाद स्थानीय निकाय को कुल भूमि मूल्य का 30 फीसदी हिस्सा जिला प्रशासन के पास सिक्योरिटी डिपोजिट के तौर पर जमा कराना होता है। कलेक्ट्रेट फाइनल सेटलमेंट तक यह राशि अपने पास रखती है और इस दौरान इसका ब्याज भी पीएमसी को नहीं मिलता।
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कांग्रेस ने कहा है कि महामारी के कारण पीएमसी की वित्तीय स्थिति कमजोर हो गई है। भूमि अधिग्रहण नहीं होने से सातों दिन 24 घंटे जलापूर्ति, हाई कैपेसिटी मास ट्रांजिट रूट, सड़क विस्तार और कचरा निस्तारण इकाइयों समेत कई बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का काम लटका पड़ा है। सिक्योरिटी डिपॉजिट के रूप में जमा धन नहीं मिलने से स्थानीय निकाय पर वित्तीय बोझ बढ़ेगा। इसलिए इस प्रावधान को खत्म किया जाना चाहिए।
पीएमसी में कांग्रेस पार्टी के प्रमुख उल्हास अबा बागुल का कहना है कि सिक्योरिटी डिपोजिट के तौर पर जमा राशि को मुक्त करने से भूमि अधिग्रहण और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के निर्माण में तेजी आएगी।
नगद मुआवजा मांग रहे भूमि स्वामी
पीएमसी क्षेत्रों की विकास योजनाओं में दो तरह के भूमि उपयोग हैं एक मौजूदा भूमि उपयोग और दूसरा प्रस्तावित भूमि उपयोग। कोरोना महामारी के बाद उपजी वित्तीय बाधाओं के कारण प्रस्तावित भूमि उपयोग के तहत परियोजनाओं के लिए भूमि अधिग्रहण रुक गया है।
पीएमसी अधिकारियों के मुताबिक अधिग्रहण के लिए भूमि मालिकों को नगद के अलावा ट्रांसफर ऑफ डेवलपमेंट राइट्स (TDR) या फ्लोर स्पेस इंडेक्स (FSI) से मुआवजा बांटा जाता है, लेकिन एफएसआई दरों में उतार-चढ़ाव और टीडीआर दरों में कमी के कारण अब भूस्वामी इन विकल्पों को पसंद नहीं कर रहे हैं और नगद मुआवजे को प्राथमिकता दे रहे हैं। ऐसी स्थिति में स्थानीय निकाय पर वित्तीय बोझ बढ़ गया है।
बागुल ने कहा, भूमि अधिग्रहण में देरी के कारण बुनियादी ढांचा परियोजनाएं प्रभावित हो रही हैं, इसलिए सिक्योरिटी डिपोजिट से पीएमसी को राहत दी जानी चाहिए।