केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद् (AICTE) द्वारा आयोजित 46 ऑनलाइन संकाय विकास कार्यक्रमों (FDP) का उद्घाटन किया। इसके तहत AICTE की तरफ से उच्च शिक्षा संस्थानों से जुड़े अध्यापकों को प्रौद्योगिकी के उभरते क्षेत्रों की जरूरतों को देखते हुए प्रशिक्षित किया जाता है। ये कार्यक्रम देश के 22 राज्यों में आयोजित किए जाएंगे।
इस अवसर पर पोखरियाल ने कहा कि ये एआईसीटीई प्रशिक्षण एवं शिक्षण (अटल) अकादमी के लिए गौरव का विषय है कि उसे विश्व रिकॉर्ड पुस्तक में शामिल किया गया है। उन्होंने बताया कि लंदन की इस संस्था ने संकाय विकास कार्यक्रम के तहत 100 से ज्यादा उभरते क्षेत्रों में 1000 ऑनलाइन कार्यक्रमों के आयोजन को रिकॉर्ड बुक में दर्ज किया है।
इससे IIT, NIT और IIIT जैसे उच्चतम संस्थानों के करीब 1 लाख संकाय सदस्य लाभान्वित होंगे। उन्होंने ये भी बताया कि इस साल इस कार्यक्रम में 10 करोड़ रुपये का खर्च आएगा।
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शिक्षा मंत्री ने उल्लेख किया कि अटल अकादमी ऑनलाइन रूप में इस एफडीपी का संचालन कर रही है जिसमें पंजीकरण से लेकर प्रमाण पत्र वितरण तक की प्रक्रिया ऑनलाइन है। वर्ष 2020-21 में इंजीनियरिंग, प्रबंधन, जीवन कौशल, डिजाइन और मीडिया उद्योग में उभरते क्षेत्रों को शामिल किया गया है। उन्होंने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (2020) के अनुसार ऑनलाइन एफडीपी आयोजित किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि 1000 में से 499 कार्यक्रम पहले से ही प्रशिक्षित 70,000 से अधिक संकाय सदस्यों के साथ पूरे हो चुके हैं। 2019-20 में 185 पंच-दिवसीय फेस-टू-फेस एफडीपी आयोजित किए गए। ये नौ उभरते क्षेत्रों- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, ब्लॉक-चेन, रोबोटिक्स, क्वांटम कम्प्यूटिंग, डेटा साइंसेज, साइबर सिक्योरिटी, 3-डी प्रिंटिंग और डिज़ाइन और संवर्धित वास्तविकता/आभासी वास्तविकता में आयोजित किए गए जिनमें लगभग 10,000 प्रतिभागी लाभान्वित हुए।
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एआईसीटीई के अध्यक्ष प्रो. अनिल डी सहस्रबुद्धे ने कहा कि डिजिटल लर्निंग और कंप्यूटर, स्मार्टफोन और टैबलेट जैसे स्मार्ट उपकरणों के बढ़ते उपयोग ने स्टूडेंट लर्निंग को बढ़ाया है। उन्होंने कहा कि CBSE के शिक्षकों को ‘फ़्लिप्ड क्लासरूम’ और ‘ब्लेंडेड लर्निंग’ अवधारणा के तहत प्रशिक्षित किया गया है। फ़्लिप किए गए कक्षा मॉडल में छात्र अपनी सुविधा के अनुसार घर पर ऑनलाइन व्याख्यान ले सकते हैं और कक्षा में अगले दिन वे उस व्याख्यान से संबंधित कार्य करते हैं।
इस पद्धति से न केवल सीखने की क्षमता में सुधार होता है बल्कि छात्रों को अंक भी मिलते हैं। इसके तहत, शिक्षक अपने व्याख्यान रिकॉर्ड करते हैं और ऑनलाइन वीडियो पोस्ट करते हैं जो छात्रों की पहुंच में होते हैं। छात्र इन वीडियो को देखते हैं और घर पर अध्ययन करते हैं और जब वे कक्षा में आते हैं तो वे उस व्याख्यान के साथ तैयार होते हैं। अगले दिन, कक्षाओं में शिक्षक लेक्चर से संबंधित क्रियाकलाप करते हैं और छात्र भाग लेते हैं।
एआईसीटीई के उपाध्यक्ष प्रो. एमपी पुनिया ने कहा,” अटल अकादमी का मुख्य उद्देश्य देश में गुणवत्तापूर्ण तकनीकी शिक्षा प्रदान करना और विभिन्न उभरते क्षेत्रों में प्रशिक्षण के माध्यम से अनुसंधान और उद्यमिता को बढ़ावा देना है। IIT, IIIT, NIT CU और अनुसंधान प्रयोगशाला इन अटल एफडीपी का आयोजन कर रहे हैं।”
वहीं AICTE के सदस्य सचिव प्रो. राजीव कुमार ने कहा कि एआईसीटीई द्वारा आयोजित ये एफडीपी आज के समय की जरूरत हैं। इसके साथ उच्च शिक्षण संस्थानों के शिक्षक छात्रों को उद्योग की जरूरतों के अनुसार शिक्षित करेंगे और उन्हें विभिन्न प्रकार के कौशल से लैस करेंगे। कोरोनावायरस के चुनौतीपूर्ण समय में ये कार्यक्रम किए जा रहे हैं। इसके ऑनलाइन संचालन के चलते दुनिया भर से प्रशिक्षक एफडीपी सत्र लेने में सक्षम हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि अटल अकादमी नई शिक्षा नीति के तहत राष्ट्रीय शिक्षक प्रशिक्षण संस्थान के रूप में उभरेगी।
अटल अकादमी के निदेशक डॉ. रवींद्र कुमार सोनी ने कहा कि केवल दो वर्षों में अकादमी पूरे देश में बड़े पैमाने पर एफडीपी का संचालन कर रही है। इन कार्यक्रमों से भारतीय छात्रों को नए तकनीकी विकास से परिचित होने में मदद मिलेगी और इसे एक करियर के रूप में चुना जा सकता है। उभरती प्रौद्योगिकी में अग्रिम प्रशिक्षण को भी योजनाबद्ध किया जा रहा है।