कृषि कानूनों पर किसान आंदोलन को चलते आज 21वां दिन है। किसान संगठनों के नेताओं ने कहा है कि सभी किसान संगठन एक हैं और जब तक किसानों की मांगें पूरी नहीं होंगी, उनका आंदोलन अनवरत जारी रहेगा।
उल्लेखनीय है कि हाल ही कुछ किसान संगठन के नेताओं ने कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर से मिल कर नए कृषि विधेयकों को आवश्यक तथा कृषक हितैषी बताया था।
हरियाणा में भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के प्रदेश अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने किसानों से शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन करने की अपील करते हुए कहा कि हमें कोई दंगा नहीं करना है और जो दंगा या फसाद करेगा वह हमारा आदमी नहीं होगा। उसको पकड़कर पुलिस के हवाले कर दिया जाए यह हमारी सख्त हिदायत है।
यह आंदोलन शांतिपूर्ण चलना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह आंदोलन केवल किसान का नहीं बल्कि सारे देशवासियों का है क्योंकि इन कानूनों से सभी देशवासियों को नुकसान होगा इसलिए सभी देशवासी इस आंदोलन में तन-मन-धन से पूरा सहयोग करें।
वहीं दूसरी ओर किसानों का एक समूह नए कृषि कानूनों को अपने लिए अच्छा मान रहा है। इस संबंध में बहुत से किसान संगठनों के प्रतिनिधि केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मिलकर सरकार के रुख का समर्थन कर रहे हैं। तोमर ने भी कहा है कि पूरे देश में कृषि सुधार कानूनों का स्वागत हो रहा है और अधिकांश किसान इन कृषि सुधारों के साथ हैं, लेकिन कतिपय राजनीतिक दल कुछ किसानों को भ्रम में डाल कर अविश्वास का वातावरण बना रहे हैं।
केंद्र सरकार द्वारा लागू जिन तीन नये कानूनों को किसान संगठनों के नेता निरस्त करवाने की मांग कर रहे हैं उनमें कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) कानून 2020, कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार कानून 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून 2020 शामिल हैं।
किसान इनके अलावा भी कई अन्य मांगे कर रहे हैं। किसान संगठनों के नेता न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर सारी अधिसूचित फसलों की खरीद की गारंटी के लिए नया कानून बनाने की मांग भी कर रहे हैं जबकि सरकार ने एमएसपी पर फसलों की खरीद की मौजूदा व्यवस्था जारी रखने के लिए लिखित तौर पर आश्वासन देने की बात कही है।
उनकी मांगों में पराली दहन से जुड़े अध्यादेश में कठोर दंड और जुर्माने के प्रावधानों को समाप्त करने और बिजली (संशोधन) विधेयक को वापस लेने की मांग भी शामिल है।