खाद्य प्रसंस्करण यानि कि फ़ूड प्रोसेसिंग के अंतर्गत खाने के कच्चे माल को प्रोसेस करके बेचा जाता है। प्रोसेस्ड फ़ूड की सेल्फ़ लाइफ़ लंबे समय तक रहती है। भारत में प्रोसेस्ड फ़ूड की मांग में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। सरल भाषा में आपको समझाएं तो जैसे दूध से खोया और पनीर बनाया जा सकता है, टमाटर से केचअप, सूप पाउडर और सॉस, वहीं आलू से चिप्स, अंगूर से किशमिश बनाने की विधि को ही फूड प्रोसेसिंग कहते हैं। फ़ूड प्रोसेसिंग यूनिट किसानों के लिए किस तरह फ़ायदेमंद हो सकती है? इसके लिए किन बातों का ध्यान रखना ज़रूरी है? जानिए इस लेख में।
भारतीय फ़ूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री देश के कुल खाद्य बाज़ार का 32 प्रतिशत है, जो भारत के सबसे बड़े उद्योगों में से एक है। ऐसे में किसान अगर खुद ही अपनी फसल को प्रोसेस करें और ग्राहकों तक पहुंचाए तो उन्हें यकीनन मुनाफ़ा होगा। ये उद्योग किसानों की आय दोगुना करने के लक्ष्य को पूरा करने में सहायक होगा। किसानों की तरक्की तभी संभव है जब उन्हें अपनी फसल का सही दाम मिले। ऐसे में फ़ूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री आय का एक बड़ा स्रोत है।
कैसे शुरू कर सकते हैं फ़ूड प्रोसेसिंग यूनिट
सबसे पहले किस प्रॉडक्ट को बनाना चाहते हैं, उसे चुन लीजिए। मान लीजिए अगर किसान आलू की खेती करता है तो वो आलू के चिप्स बना सकता है। इसके लिए पहले उस उत्पाद की रेगुलेटरी आवश्यकताएँ, स्पेसिफ़िकेशंस जान लें। आपका प्रोडक्ट कानून के अंतर्गत होना चाहिए क्योंकि तब तक आप अपने प्रोडक्ट को बाज़ार में नहीं उतार सकते। अपने प्रोसेसिंग की प्रक्रिया का डॉक्यूमेंटेशन करना भी ज़रूरी है ताकि एक तरीके से ही उस प्रोडक्ट का उत्पादन हो। उसकी गुणवत्ता और मापदंडों के साथ कोई समझौता नहीं होना चाहिए। प्रोसेसिंग यूनिट के लिए किस तरह की मशीन सही रहेगी, इसके बारे में आपको पता होना चाहिए। प्रोडक्ट के हिसाब से भी मशीन का चुनाव होता है तो मशीन चुनने में सावधानी रखें। इसके अलावा फ़ूड प्रोसेसिंग यूनिट लगाने की जगह का चुनाव भी समझदारी से करें। उस जगह के आस-पास का निरक्षण करें। ऐसी जगह का चुनाव करें जहां कच्चा माल, बिजली के स्रोत, परिवहन सुविधाएं और श्रमिक की उपलब्धता हो।
इन सभी मूल मार्केट रिसर्च के बाद व्यवसाय को कानूनी रूप से स्थिर बनाने की ज़रूरतों को पूरा करना होगा। किसी भी खाद्य-संबंधित व्यवसाय को शुरू करने के लिए FSSAI लाइसेंस अनिवार्य है। कंपनी अधिनियम 2013 के अंतर्गत कंपनियों को भारत में खुद को कंपनी के रूप में पंजीकृत करवाने के लिए कुछ ज़रूरी दस्तावेज और आवश्यक फ़ॉर्म जमा करके पंजीकृत होना होता है। प्राइवेट लिमिटेड कंपनी, पब्लिक लिमिटेड कंपनी, पार्टनरशिप फर्म, लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप (एलएलपी) आदि विकल्प हैं। ये विकल्प विनिर्माण उद्योग के आकार और वार्षिक कारोबार और अन्य अनिवार्य मानदंडों के आधार पर बनते हैं। इन कंपनियों के प्रकारों को जानने के लिए आप कानूनी पेशेवरों की सलाह ले सकते हैं। वहीं अगर समूह बनाकर प्रोसेसिंग यूनिट सेटअप किया जाए तो किसानों को अधिक लाभ मिलेगा। साथ ही अपने प्रोडक्ट को पेटेंट कराना भी ज़रूरी है। भारत में परिचालन के लिए विभिन्न लाइसेंस, जैसे व्यापार लाइसेंस, खाद्य लाइसेंस, औद्योगिक लाइसेंस आदि भी ज़रूरी है। फूड प्रोसेसिंग यूनिट खोलने से पहले रणनीतिक रूप से इन सभी अनिवार्य आवश्यकताओं को लागू करना महत्वपूर्ण है।
फ़ूड प्रोसेसिंग यूनिट लगाने पर सरकार देती है सब्सिडी
ऐसे ही फ़ूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री को बढ़ावा देने के लिए सरकार की ओर से प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना (PMFME) चलाई जा रही है। प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना के तहत एक जिला एक उत्पाद योजना का लाभ व्यक्तिगत उद्यमी, एफ.पी.ओ., स्वयं सहायता समूह सहकारी संस्थाएं उठाया सकते हैं। इस योजना के तहत छोटे उद्यमियों को प्रशिक्षण, खाद्य सुरक्षा मानकों व स्वास्थ्य के संदर्भ में जानकारी देने की व्यवस्था की गई है। फ़ूड प्रोसेसिंग से जुड़ी यूनिट लगाने पर सरकार कुल प्रोजेक्ट का 35 प्रतिशत और अधिकतम 10 लाख रुपये तक की सब्सिड़ी देती है। वहीं 10 लाख रुपये से अधिक के अनुदान के लिए प्रस्ताव पर केंद्र सरकार से मंजूरी ली जाती है। अगर किसी उत्पादन का सालाना टर्न ओवर पांच करोड़ रुपये तक होता है तो उसके लिए मार्केटिंग की व्यवस्था भी की जाएगी।
इस योजना का लाभ उठाने के लिए ऐसे करें आवेदन
सरकार भी फ़ूड प्रोसेसिंग के कारोबार को बढ़ावा दे रही है। प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना का लाभ उठाने के लिए भारत सरकार के खाद्य प्रसंस्करण उद्यमी मंत्रालय की वेबसाइट के इस लिंक https://mofpi.nic.in/ पर क्लिक करें। यहां आपको सबसे पहले खूद को रजिस्टर करना होगा। फिर आवेदक लॉग इन आईडी से लॉग इन करके वेबसाइट पर दिये गये दिशानिर्देशों के अनुसार आवेदन कर सकते हैं।
सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।