हर साल देश के करोड़ों किसानों की फसल को बाढ़, सूखा, ओले गिरने या टिड्डी के हमले जैसी प्राकृतिक आपदाओं से भारी नुकसान होता है। इसकी भरपाई के लिए 13 जनवरी 2016 को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) की शुरुआत की गयी। हालाँकि, 2016 से पहले भी किसानों और पशुपालकों के पास बीमा कम्पनियों की सेवाएँ लेने का विकल्प हुआ करता था, लेकिन PMFBY को अतीत के अनुभवों से सबक लेकर बेहतर बनाने की कोशिश हुई।
अब PMFBY के तहत होने वाले फसल बीमा के प्रीमियम का बड़ा हिस्सा केन्द्र और राज्य सरकारें भरती हैं। लिहाज़ा, किसानों को इसका अधिक से अधिक फ़ायदा उठाने के लिए आगे आना चाहिए। किसी भी बीमा की तरह फसल बीमा मकसद भी किसानों को मुश्किल दौर में वित्तीय सुरक्षा देना ही है। PMFBY के तहत फसल की बुआई के पहले से लेकर कटाई के बाद तक की बीमा सुरक्षा मिलती है।
कौन हो सकते हैं PMFBY के लाभार्थी?
हरेक किसान फसल बीमा का फ़ायदा ले सकता है। भले ही वो अपने खेतों में पैदा होने वाली फसल के लिए हो या फिर किराये अथवा बटाई पर खेत लेकर खेती करने वाला काश्तकार हो।
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फसल के अनुसार प्रीमियम
PMFBY में सभी तरह की खेती को शामिल किया गया है। बीमा योजना के लाभार्थी को खरीफ़ के लिए 2 प्रतिशत, रबी के लिए 1.5 प्रतिशत और कारोबारी तथा बागवानी वाली फसलों पर 5 फ़ीसदी प्रीमियम ही भरना पड़ता है। बाक़ी प्रीमियम सरकार भरती है।
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कैसे करवाएँ फसल बीमा?
फसल बीमा के लिए ऑनलाइन और ऑफ़लाइन, दोनों तरह से आवेदन कर सकते हैं। ऑफ़लाइन बीमा करवाने वालों को किसी भी नज़दीकी बैंक की शाखा में जाकर फॉर्म और प्रीमियन भरना पड़ता है, जबकि ऑनलाइन आवेदकों को राष्ट्रीय फसल बीमा पोर्टल (NCIP) में अपना रज़िस्ट्रेशन करवाना पड़ता है। इसके लिए https://pmfby.gov.in/ पर जाकर सारी औपचारिकता पूरी करनी पड़ती हैं।
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आवेदन के लिए ज़रूरी दस्तावेज़
1. आवेदनकर्ता का पहचान पत्र (आधार कार्ड, वोटर आईडी, पेन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस)
2. पते का प्रमाण पत्र (बिजली बिल, आधार कार्ड, वोटर आईडी, पासपोर्ट)
3. आवेदक का नवीनतम पासपोर्ट फोटो
4. अगर खेत आपका अपना है तो उसका खसरा नम्बर, जिसकी फसल का आप बीमा करवाना चाहते हैं। इसके अलावा आपको फसल की बुवाई का सबूत देना होगा। इसके सत्यापन का पत्र पटवारी, सरपंच या ग्राम सेवक से हासिल करना होगा।
5. किराये वाले खेतों के मामले में खेत के मालिक के साथ हुए एग्रीमेंट की फोटोकॉपी देना भी आवश्यक है।
6. आपको अपने बैंक खाते का एक रद्द किया हुआ (कैंसिल) चेक भी देना पड़ेगा, क्योंकि इसी खाते में बीमा के दावे में रकम बीमा कम्पनी जमा करवाएगी।
कितना होगा प्रीमियम और मुआवज़ा?
प्रीमियम का हिसाब बोई गयी फसल, राज्य और खेत से जुड़े विवरण पर निर्भर करेगा। उदाहरण के लिए अगर कोई किसान लखनऊ में एक हेक्टेयर खेत पर उड़द बोता है तो उसे करीब 560 रुपये प्रीमियम भरना पड़ेगा और बाक़ी 3077 रुपये सरकार की ओर से बीमा कम्पनी को दिया जाएगा। फसल को नुकसान की दशा में बीमा कम्पनी इस किसान को करीब 28 हज़ार रुपये का मुआवजा देगी।
फसल बीमा की आवश्यक शर्तें
प्राकृतिक आपदाओं से हुई बर्बादी के मामलों में मुआवज़ा पाने के लिए किसान को फसल बोने के 10 दिन के अन्दर बीमा कराना ज़रूरी होता है। इससे फसल काटने के 14 दिन बाद तक यदि प्राकृतिक आपदा से नुकसान होता है तो किसान मुआवज़ा पाने हक़दार रहता है।
मुआवज़ा पाने के लिए क्या करें?
प्राकृतिक आपदा से खराब हुई फसल की सूचना प्रभावित किसान को बीमा कम्पनी को देनी पड़ती है। इसके बाद बीमा कम्पनी के अधिकारी प्रभावित खेत का सर्वे करके नुकसान का जायज़ा लेते हैं। फिर 30 दिनों में बीमा का पैसा किसान के खाते में भेज दिया जाता है।
अगर किसी वजह से किसान बीमा कम्पनी से सम्पर्क नहीं कर सके तो उसे बिना देर किये अपने नज़दीकी बैंक अधिकारी को लिखित में सूचना देनी चाहिए।
कब नहीं मिलेगा मुआवज़ा?
युद्ध, परमाणु हमला, दंगा, चोरी, घरेलू या जंगली जानवरों या रंजिश के तहत फसल को पहुँचाये गये नुकसान और अन्य रोके जा सकने वाले जोखिमों को फसल बीमा योजना से बाहर रखा गया है। इन दशाओं में बीमा कवर मान्य नहीं होगा।