किसान आंदोलन से जुड़े किसान संगठनों के नेताओं ने प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर कहा है कि यदि केन्द्र सरकार उनकी मांगें नहीं मानती है तो दिल्ली के चारों ओर 26 जनवरी को ट्रैक्टर ट्रॉली और अन्य वाहनों के साथ किसान गणतंत्र परेड करेंगे। किसान नेताओं ने कहा कि यह परेड़ गणतंत्र दिवस की आधिकारिक परेड के बाद होगी।
किसान नेताओं ने कहा कि 26 जनवरी को उनके आंदोलन के दो महीने पूरे हो जाएंगे। ऐसे में देश भर में इस आंदोलन को पूरे देश में गति देने के लिए 6 जनवरी से 20 जनवरी तक देश जागृति पखवाड़ा मनाया जाएगा। इस पखवाड़े में देश के हर जिले में धरने और मार्च आयोजित किए जाएंगे। किसानों में और बाकि जनता में जागृति लाने के लिए अनेक स्थानों पर रैलियां और सम्मेलन आयोजित होंगे।
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उन्होने अपने कार्यक्रमों की घोषणा करते हुए कहा कि यदि सरकार से 4 जनवरी की वार्ता विफल रहती है तो 6 जनवरी को किसान केएमपी एक्सप्रेसवे पर मार्च निकालेंगे। उसके बाद शाहजहांपुर में मोर्चा लगाए किसान भी दिल्ली की तरफ कूच करेंगे। 13 जनवरी को लोहड़ी/संक्रांति के अवसर पर देशभर में किसान संकल्प दिवस मनाया जाएगा और इन तीनों कानूनों को जलाया जाएगा।
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18 जनवरी को महिला किसान दिवस मना कर देश की खेती में महिलाओं के योगदान को रेखांकित किया जाएगा। 23 जनवरी को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की याद में आजाद हिंद किसान दिवस मनाकर सभी राजधानियों में राज्यपाल के निवास के बाहर किसान डेरा डालेंगे।
उनकी यह परेड 26 जनवरी को ही क्यों, इस बात का जवाब देते हुए किसान प्रतिनिधियों ने कहा कि हमने इस निर्णायक कदम के लिए गणतंत्र दिवस को चुना है क्योंकि यह दिन हमारे देश में गण यानी बहुसंख्यक किसानों की सर्वोच्च सत्ता का प्रतीक है। परेड का कार्यक्रम आधिकारिक परेड के बाद ही आयोजित किया जाएगा।