किसान नेटवर्क स्टार्टअप: आज के समय में किसानों को जिस एक समस्या से सबसे ज़्यादा दो चार होना पड़ता है, वो है उनकी फसल का सही दाम न मिलना। देश में चल रहे किसान आंदोलन की बुनियाद भी यही समस्या है कि किसानों को उनकी फसल की उचित कीमत सुनिश्चित की जाए। किसानों की इसी समस्या को दूर करने और आसान बनाने का काम किया है एग्रीटेक स्टार्टअप ‘किसान नेटवर्क‘ ने। एक विज्ञान परियोजना के रूप में शुरू हुआ ये स्टार्टअप आज भारत के अधिक से अधिक गाँव तक पहुँच रहा है और किसानों को फ़ायदा पहुंचा रहा है।
कैसे हुई स्टार्टअप की शुरुआत?
अमेरिका की प्रिंसटोन यूनिवर्सिटी में कंप्यूटर विज्ञान के छात्र रहे आदित्य अग्रवाल ने इस स्टार्टअप की शुरुआत की। आदित्य छुट्टियों में अपने घर दिल्ली आए हुए थे। अपने पिता संजय अग्रवाल से बातचीत के दौरान उन्होंने जाना कि भारत के किसानों को अपनी फसल बेचने के लिए किस तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। किसान जो फसल उपजाते हैं, उनके सही दाम के बारे में उन्हें ही पता नहीं होता है। पारदर्शी मूल्य निर्धारण, उपज बेचने के लिए सबसे अच्छे बाज़ारों के बारे में कम जानकारी, बिक्री के बाद नकद और किस्त-आधारित भुगतान में देरी और स्थानीय परिवहन सहायता में कमी जैसी समस्याओं का सामना उन्हें करना पड़ता है ।
आदित्य को ये बात बेहद खली कि किसानों को मूलभूत जानकारी और सुविधाएं भी आसानी से उपलब्ध नहीं है। वापस अमेरिका जाने के बाद आदित्य ने किसान नेटवर्क नाम से एक प्रोजेक्ट शुरू किया, जो पूरे भारत में एक एग्रीटेक प्रोड्यूस सप्लाई चेन बनकर काम कर सके। फिर अपने कॉलेज के तीसरे साल में उन्होंने इस प्रोजेक्ट को अपने पिता के साथ स्टार्टअप के रूप में तब्दील कर किया।
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कैसे काम करता है ये स्टार्टअप?
इस स्टार्टअप ने मुख्य तौर पर दो समस्याओं को सुलझाने की दिशा में काम किया। पहला किसानों तक खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी पहुंचाना और दूसरा अपनी उपज को पहुंचाने के लिए ज़रूरी संसाधन की आपूर्ति। किसान नेटवर्क के ज़रिए किसान अपनी फसल की सही बाज़ारी कीमत, फसल की गुणवत्ता रिपोर्ट के बारे में जानकारी ले सकते हैं। साथ ही इस नेटवर्क में खरीदार, ट्रांसपोर्टर और पैकेजिंग साझेदार सभी शामिल हैं। इसमें किसानों को सीधे कागज और डिजिटल भुगतान का शून्य उपयोग शामिल है। इस स्टार्टअप को अब तक 25 करोड़ से ज़्यादा की फन्डिंग मिल चूकी है।