5:45 PM – राष्ट्रपति से मुलाकात के बाद सीताराम येचुरी ने कहा कि हमने राष्ट्रपति को ज्ञापन दिया है। राष्ट्रपति के साथ विपक्ष की बैठक के बाद एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कहा कि कृषि बिलों की गहन चर्चा के लिए सभी विपक्षी दलों ने एक अनुरोध किया था और कहा था कि इसे सलेक्ट कमेटी को भेजा जाना चाहिए परन्तु ऐसा नहीं किया गया।
5.20 PM – किसान नेताओं ने कहा कि अब आंदोलन को तेज किया जाएगा। 12 दिसंबर को दिल्ली-जयपुर हाईवे अवरुद्ध करेंगे।
5.15 PM – किसानों ने सरकार के प्रस्ताव को खारिज किया। कहा, अगर सरकार दोबारा प्रपोजल भेजती है तो उसके बारे में विचार करेंगे।
4.50 PM – किसानों के मुद्दे पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी, शरद पवार, सीताराम येचुरी, डी राजा सहित कई विपक्ष के नेता राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिलने पहुंचे हैं।
4.10 PM : किसानों की मांग तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की है। शाम पांच बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस में अपनी बात रखेंगे।
3.35 PM : केंद्र सरकार ने साथ ही प्रस्ताव में यह भी आश्वासन दिया है कि कृषि कानून के जिस भी मुद्दे पर किसानों को आपत्ति है उसपर सरकार खुले मन से बात करने को तैयार है।
2.50 PM : किसानों को भेजे गए प्रस्ताव के बारे में केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने प्रेस ब्रीफिंग में जानकारी देते हुए कहा कि किसानों को डरने की जरूरत नहीं है, APMC भी रहेगा और MSP भी रहेगी। उन्होंने कहा कि किसानों को इनके साथ ही दूसरी सुविधा भी मिलेगी, जहां पर ज्यादा दाम मिलेगा, किसान वहां अपनी उपज बेच सकेंगे।
2.10 PM : केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि सरकार एमएसपी (MSP) के मसले पर सरकार किसानों को आश्वासन देने को तैयार है।
1.35 PM : सरकार की ओर से मिले प्रस्ताव पर पंजाब के 32 किसान संगठन सिंघु बॉर्डर पर मीटिंग कर रहे हैं। जल्दी ही आठ अन्य संगठन भी आएंगे, जिसके बाद राष्ट्रीय स्तर के आंदोलन की बैठक होगी।
1.30 PM : भाजपा आज 2 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस करेगी। इस कॉन्फ्रेंस में केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर और भूपेंद्र यादव किसानों को भेजे गए प्रस्ताव की जानकारी मीडिया को देंगे।
1.10 PM : मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार सरकार एमएसपी पर किसानों को लिखित गारंटी दे सकती है। माना जा रहा है कि सरकार मंडियों को मजबूत करने की किसानों की मांग भी मान सकती है।
12.35 PM : सरकार ने कृषि कानून पर किसान संगठनों को लिखित प्रस्ताव भेजा, प्रस्ताव पर विचार करने के लिए थोड़ी देर में सिंघु बॉर्डर पर किसानों की बैठक होगी।
12.10 PM : कृषि कानूनों के विरोध प्रदर्शन का राजस्थान में हुए पंचायत समिति और जिला परिषद चुनावों पर नहीं पड़ा असर, भाजपा ने मारी बाजी, कांग्रेस से अधिक सीटों पर जीत दर्ज की।
नए कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का प्रदर्शन बुधवार को 14वें दिन जारी है। किसान तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं, जबकि सरकार इन कानूनों में संशोधन करने के पक्ष में है। किसानों के मसले को लेकर सरकार के साथ पहले से तय आज (बुधवार) की वार्ता टल गई है।
किसानों की समस्याओं को लेकर केंद्रीय मंत्रियों के साथ किसान नेताओं की पांचवें दौर की वार्ता बेनतीजा रहने के बाद अगले दौर की बातचीत नौ दिसंबर को तय हुई थी। लेकिन इस बीच केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के साथ मंगलवार को हुई किसान संगठनों की बैठक के बाद यह वार्ता टल गई है। किसान नेताओं ने बताया कि किसानों के मसले को लेकर बुधवार को अब कोई बैठक नहीं होगी।
उन्होंने बताया कि गृहमंत्री के साथ हुई बैठक में यह तय हुआ कि नये कृषि कानूनों में संशोधन को लेकर किसान संगठनों को सरकार की ओर से बुधवार को एक प्रस्ताव भेजी जाएगी। इसमें उन बिंदुओं का जिक्र होगा जिस पर सरकार कानून में संशोधन कर सकती है। इस प्रस्ताव पर विचार करके किसान नेता सरकार को अपना निर्णय बताएंगे। इसलिए फिलहाल अब कोई बैठक नहीं होगी।
उन्होंने बताया कि सरकार ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की उनकी मांग ठुकरा दी है और कहा गया है कि इन कानूनों में सिर्फ संशोधनों पर विचार किया जा सकता है।
गृहमंत्री के साथ किसान संगठनों के प्रतिनिधियों की यह बैठक भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर), पूसा में हुई थी। बैठक में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और रेलमंत्री पीयूष गोयल भी मौजूद थे। बैठक में किसानों के 13 नेताओंका एक प्रतिनिधिमंडल ने हिस्सा लिया। उधर, किसान संगठनों के आह्वान पर मंगलवार को देशव्यापी बंद शांतिपूर्ण रहा। मोदी सरकार द्वारा लागू तीन नए कृषि कानून के विरोध में किसानों का आंदोलन कर रहे हैं।
केंद्र सरकार ने बीते सितंबर महीने में कृषि से जुड़े तीन कानून लागू किए जिनमें कृषि और संबद्ध क्षेत्र में सुधार के मकसद से लागू किए गए तीन नए कानूनों में कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) कानून 2020, कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार कानून 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून 2020 शामिल हैं।
किसान नेताओं का कहना है कि इन कानूनों का लाभ किसानों के बजाए कॉरपोरट को होगा, जबकि सरकार का कहना है कि ये तीनों कानून किसानों के हितों को ध्यान में रखकर ही लाए गए हैं। हालांकि सरकार किसान नेताओं के सुझावों के अनुसार, इनमें संशोधन करने को तैयार है।