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सब्जियों की नर्सरी (पौधशाला) में पौधे तैयार करना एक कला है। इसे सुचारू रूप से तैयार करने के लिये तकनीकी जानकारी का होना ज़रूरी है। स्वस्थ और उन्नत पौधे तैयार कर लेना ही आधी फसल उगाने के बराबर होता है। आप टमाटर, बैंगन, लहसुन, मिर्च, ब्रोकली, शिमला मिर्च, पत्ता गोभी, फूलगोभी आदि सब्जियों की नर्सरी तैयार कर सकते हैं। बेहतर देखभाल के लिए पहले इन सब्जियों के पौधों को नर्सरी में तैयार किया जाता है, फिर एक महीने बाद इन्हें खेत में बोया जाता है। इस लेख में जानिए कैसे करें सब्जियों की नर्सरी तैयार।
नर्सरी के लिए उपयुक्त जगह कैसे चुनें ? (How to select site for nursery)
आईसीएआर (ICAR) की सलाह के मुताबिक, पौधशाला (Nursery) को तैयार करने के लिए इन निम्न बातों का ज़रूर ध्यान रखना चाहिए-
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नर्सरी क्षेत्र को पालतू जानवरों और जंगली जानवरों से बचाने के लिए अच्छी तरह से बाड़ लगाना चाहिए।
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जहां नर्सरी तैयार कर रहे हैं, वो जगह जल स्रोत के पास और जलभराव से मुक्त होनी चाहिए।
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रोपाई के लिए मुख्य खेत के पास नर्सरी होनी चाहिए।
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दक्षिण-पश्चिमी दिशा से सूर्य का प्रकाश सबसे उपयुक्त होता है।
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उचित जल निकासी की व्यवस्था होनी चाहिए।
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पौध उगाने के लिए उपजाऊ और स्वस्थ मिट्टी की आवश्यकता होती है। इसके लिए मिट्टी दोमट से बलुई दोमट होनी चाहिए।
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मिट्टी में अच्छा कार्बनिक पदार्थ होना चाहिए। मिट्टी न तो अज़्यादा खुरदरी और न ही बहुत महीन होनी चाहिए। मिट्टी का पीएच मान लगभग 6 से 7 के बीच होना चाहिए।
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नर्सरी के लिए कैसे करें मिट्टी की तैयारी? (How to prepare soil for nursery)
मिट्टी को तैयार करने के लिए सबसे पहले ज़मीन की अच्छे से गहरी जुताई करें। इसके लिए मिट्टी पलटने वाले हल की जरूरत पड़ती है। बाद में 2 से 3 बार निराई-गुड़ाई करें। फिर 2 किलो सड़ी हुई खाद या 500 ग्राम वर्मीकम्पोस्ट को प्रति वर्ग मीटर मिट्टी में मिला दें। अगर मिट्टी भारी है तो 2 से 3 किलो रेत प्रति वर्ग मिलाएं।
कैसे करें मिट्टी का उपचार? (How to do soil treatment)
स्वस्थ पौधे उगाने के लिए मिट्टी को रोग और कीट मुक्त बनाना ज़रूरी है। इसके लिए मृदा सौरकरण विधियों (Soil Solarization Methods) या फॉर्मेलिन समाधान (Formalin Solution) का उपयोग कर सकते हैं। इन विधियों को बीज बोने से 10 से 15 दिन पहले इस्तेमाल करना चाहिए। ICAR के कृषि सलाहकार के मुताबिक, फॉर्मेलिन घोल (1.5 से 2 प्रतिशत) को एक कंटेनर में तैयार करें। इसके बाद मिट्टी को 4 से 5 लीटर पानी प्रति वर्ग के हिसाब से 15 से 20 सेंटीमेटर की गहराई तक भिगो दें। पॉलीथिन शीट से जगह को ढक दें। हानिकारक कीट के खिलाफ मिट्टी के उपचार के लिए गर्म भाप का उपयोग किया जा सकता है। वहीं, मिट्टी से पैदा होने वाले रोगों के इलाज के लिए कैप्टन (Captan) या थिरम (Thiram) का उपयोग कर सकते हैं।
कैसे करें नर्सरी बेड तैयार? (How to Prepare Nursery Bed)
मौसम और फसल के अनुसार बेड यानि बिस्तर को तैयार करना चाहिए। बेड की चौड़ाई एक मीटर से ज़्यादा नहीं होनी चाहिए। इसकी क्यारियां 15 से 20 सेंटीमीटर ज़मीन से ऊपर होनी चाहिए। नर्सरी बेड का मानक आकार 3 मीटर × 1 मीटर × 15 सेंटीमीटर होना चाहिए। दो बेडों के बीच की दूरी 30 से 45 सेंटीमीटर रखें। नर्सरी बेड में 20 से 25 किलो सड़ी हुआ गोबर की खाद डालें। बेड की संख्या फसल, मौसम और क्षेत्र पर निर्भर करती है।
बेड को पूर्व और पश्चिम दिशा में तैयार करना चाहिए और क्यारियों पर बीज की बुवाई के लिए उत्तर से दक्षिण दिशा की ओर पंक्तियाँ बनानी चाहिए। प्रति 100 ग्राम बीज को 2 ग्राम ट्राइकोडर्मा एसपीपी (Tichoderma spp) दवा से उपचारित करना चाहिए। इसके अलावा, अन्य विकल्प में 1 किलोग्राम बीज को 2 ग्राम कार्बेन्डाजिम (Carbendazim) 50% WP दवा से उपचारित कर सकते हैं। बीज उपचार के लिए बीजों को 50 डिग्री सेंटीग्रेट के गर्म पानी में 15 से 20 मिनट तक डुबा कर रख सकते हैं। उसके बाद उस को छाया में सुखा कर बीजाई कर सकते हैं। यह विधि गोभी वर्गीय सब्जियों में काला सड़न रोग की रोकथाम के लिए उपयोगी होती है। नर्सरी बेड पर 10 से 25 ग्राम ट्राइकोडर्मा एसपीपी पाउडर का प्रति 100 वर्ग के हिसाब से उपयोग करना चाहिए।
नर्सरी की कैसे करें देखभाल ?
- सब्जियों की नर्सरी में बीज के अच्छे अंकुरण के लिये नमी की कमी न होने दें, जब तक बीज अंकुरित न हो जाए, इसके लिए गर्मी में प्रतिदिन फव्वारे से सिंचाई करें।
- क्यारियों से खरपतवार निकालते रहें, जो पौधे की वृद्धि में रूकावट डालते हैं।
- गर्मी में तेज हवा और धूप से पौधों को बचाने के लिये सब्जियों की नर्सरी को घास-फूस या सरकंडा के छप्पर से ढ़क दें। सर्दी में कम तापमान के कारण बीज का जमाव देर से होता हैं, जल्दी और ज्यादा अंकुरण करने के लिये नर्सरी को पोलीथीन की सफेद पारदर्शी सीट से ढ़क दें। अंकुरण के बाद नर्सरी को केवल रात में ही ढकें और दिन में खुला छोड़ दें। रात को ढ़कने से ठंड और पाले से पौध की सुरक्षा होगी और दिन में सूर्य का प्रकाश और गर्मी पौधों को मिल सकेगा।
- कीड़ों का प्रकोप होने पर कीटनाशक दवा जैसे मैलाथियान(malathion) 50 ईसी का 1.5 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी के साथ घोल बनाकर 10 से 12 दिन के अंतराल पर छिड़काव करें।
- आर्द्रगलन रोग की रोकथाम के लिये मिट्टी और बीज का उपचार बीजाई के समय कैप्टान (Captan) से करें।
प्रतिकूल मौसम में पॉलीहाउस तकनीक में करें नर्सरी तैयार
सामान्य मौसम में सब्जियों का खुले वातावरण में साधारण देखभाल के साथ पौधे उत्पादन किया जाना संभव है। पर प्रतिकूल मौसम में पौधे के नष्ट होने की संभावना रहती है। ऐसी परिस्थिति में सब्जियों की पौध पॉलीहाउस में तैयार की जाती हैं। ये आधुनिक तकनीक मौसम और वातावरण पर कम निर्भरता वाली एवं अधिक लाभ देने वाली है।
उत्तर भारत में फूल गोभी और मिर्च की अगेती और मध्यकाल फसल के पौधे तैयार करने के समय अधिक गर्मी के साथ-साथ वर्षा भी होती है। इससे सब्जियों की नर्सरी (पौधशाला) में आर्द्रगलन रोग हो जाने के कारण काफ़ी पौधे नष्ट हो जाते हैं। इसी प्रकार बसन्त के मौसम में सब्जियों की रोपाई के लिये टमाटर, बैंगन, मिर्च इत्यादि के बीजों की बीजाई नवम्बर से दिसम्बर महीने में करते हैं। लेकिन उस समय कम तापमान होने के कारण बीज का जमाव देर से होता हैं, जिससे पौध को बढ़ने में समय लगता है। ऐसे में पॉलीहाउस तकनीक से नर्सरी तैयार करने में प्रतिकूल मौसम का प्रभाव नहीं रहता और उपज भी अच्छी मिलती है।
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