कोरोना महामारी और फसल कटाई के मौसम की चुनौतियों का सामना करते हुए किसान आन्दोलन 28 मई को अपने छह महीने पूरे करने वाला है। तीनों विवादित कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ कभी तेज़ और कभी धीमा चलते हुए संयुक्त किसान मोर्चा की अगुवाई में पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों के किसानों का धरना अब भी जारी है।
लेकिन संकेत है कि आन्दोलन के 6 महीने पूरे होने के बाद इसे नयी धार देने की रणनीति का एलान किया जाएगा।
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने पिछले दिनों दिल्ली-यूपी के ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर मीडियाकर्मियों से कहा है कि 26 तारीख़ को आन्दोलन के 6 महीने पूरे हो जाएँगे। हम पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश से यही कह कर आये थे कि 6 महीने का राशन लेकर किसान दिल्ली चलें।
लेकिन अब लग रहा है कि विवादितों क़ानूनों को वापस नहीं लेने की ज़िद पर अड़ी रहेगी और किसानों से बातचीत करके हमारी माँगे नहीं मानेगी। ऐसी स्थिति में हमें अपनी रणनीति में बदलाव लाकर आगे का प्रोग्राम बनाना पड़ेगा।
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सरकार पर बदनाम करने का आरोप
राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार लगातार किसानों और प्रदर्शनकारियों का बदनाम करने के रवैये से बाज नहीं आ रही। इसीलिए बार-बार आम जनता के बीच दुष्प्रचार करवाया जा रहा है कि प्रदर्शनकारी किसान कोरोना से जुड़े नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं। जबकि सच्चाई इससे बिल्कुल परे है।
सच तो ये है कि धरने पर बैठे किसान बाक़ायदा मॉस्क लगाये रहते हैं और दो गज़ की शारीरिक दूरी की हिदायतों का पूरी ईमानदारी से पालन करते हैं। इतना ही वो कोरोना की वैक्सीन भी लगवा रहे हैं।