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कृषि समाचार – देश-विदेश के कृषि जगत में होने वाली नित नई घटनाओं तथा खोजों की जानकारी हिन्दी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

Beekeeping Business मधुमक्खी पालन
एग्री बिजनेस, न्यूज़, प्रॉडक्ट लॉन्च, सक्सेस स्टोरीज, सफल पुरुष किसान

Beekeeping Business: मधुमक्खी पालन में नाज़िम ने ऐसी सफलता पाई, फ्रांस और यूएई में बनाए खरीदार

नाज़िम ने मधुमक्खी पालन को एक शौक के तौर पर लिया था पर उनकी मेहनत के बलबूते पर ये शौक आज उनका पेशा बन चुका है। उन्होंने देश के कई राज्यों में अपनी मार्केट बनाई, साथ ही विदेशों में भी अपना शहद पहुंचाया है।

मोती की खेती Pearl Farming
सक्सेस स्टोरीज, न्यूज़, सफल पुरुष किसान

Pearl Farming: मोती की खेती में असफलताओं से सीख लेकर आज कामयाब मोती पालन कर रहे हैं अंकुश गिरी

अगर आपके पास कम ज़मीन है या बिल्कुल भी ज़मीन नहीं है और कुछ नया बिज़नेस करने की सोच रहे हैं जिससे अच्छा मुनाफ़ा कमा सकें, तो मोती की खेती (Pearl Farming) एक अच्छा बिज़नेस है। हरियाणा के युवा किसान अंकुश गिरी इस बिज़नेस से अच्छी आमदनी ले रहे हैं।

बाजरे की खेती (Millet Farming)
सक्सेस स्टोरीज, न्यूज़

बाजरे की खेती (Millet Farming): सातवीं पास महिला किसान पार्वती ने 20 हज़ार के निवेश के साथ खड़ा किया 50 लाख रुपये का कारोबार

ज्वार और बाजरा जैसे मोटी अनाज की फसलें न सिर्फ़ स्वास्थ्य के लिए अच्छी हैं, बल्कि कृषि अर्थव्यवस्था के लिए भी बेहतर हैं। कैसे बाजरे की खेती करने वाली पार्वती शेट्टी ने एक बड़ा मुकाम हासिल किया? जानिए इस लेख में।

फव्वारा तकनीक Sprinkler And Drip Irrigation
टेक्नोलॉजी, तकनीकी न्यूज़, न्यूज़, फसल न्यूज़, फसल प्रबंधन

Sprinkler and Drip Irrigation: पानी बचाकर खेती की कमाई बढ़ाने में बेजोड़ है फव्वारा और बूँद-बूँद सिंचाई

राजस्थान, महाराष्ट्र, आन्ध्र प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, हरियाणा, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु और छत्तीसगढ़ में अब तक 93 प्रतिशत से ज़्यादा खेतीहर ज़मीन को सूक्ष्म सिंचाई विधियों के दायरे में लाया जा चुका है। इस लिहाज़ से राजस्थान की उपलब्धियाँ सबसे आगे है। फव्वारा सिंचाई विधि के आने वाले देश के कुल इलाकों में राजस्थान की हिस्सेदारी एक-तिहाई से ज़्यादा है। दूसरी ओर आन्ध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और तमिलनाडु में बूँद-बूँद सिंचाई वाली ड्रिप इरीगेशन के प्रति किसानों में ज़्यादा रुझान दिखाया है।

मिलेट्स की खेती (Millets) उत्तराखंड 'श्री अन्न' महोत्सव 6
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मिलेट्स की खेती (Millets): उत्तराखंड ‘श्री अन्न’ महोत्सव में दिखी मिलेट्स से बने उत्पादों की धूम

मिलेट्स की खेती को देशभर में प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसी कड़ी में कृषि विभाग उत्तराखंड की ओर से चार दिवसीय उत्तराखंड ‘श्री अन्न’ महोत्सव का देहरादून के हाथीबड़कला में आयोजन किया गया। इसमें कई किसानों, स्टार्टअप्स और स्वयं सहायता समूहों ने भाग लिया।

Lavender Farming लैवेंडर की खेती
फल-फूल और सब्जी, न्यूज़, फूलों की खेती, सरकारी योजनाएं

लैवेंडर की खेती के लिए जम्मू और कश्मीर सरकार ने क्या बुनियादी ढांचा बनाया है?

मिशन का मक़सद किसानों की आय बढ़ाना और व्यावसायिक स्तर पर लैवेंडर की खेती को बढ़ावा देना है। साथ ही लैवेंडर का तेल बनाना है जो 10,000 रुपये प्रति लीटर में बिकता है। अन्य लोकप्रिय उत्पादों में दवाएं, अगरबत्ती, साबुन और एयर फ्रेशनर शामिल हैं।

गन्ने के साथ इंटर क्रॉपिंग
कृषि उपज, गन्ना, टेक्नोलॉजी, तकनीकी न्यूज़, न्यूज़, पपीता, फल-फूल और सब्जी, फलों की खेती, फसल प्रबंधन

गन्ने के साथ इंटर क्रॉपिंग (Intercropping with Sugarcane): गन्ना किसान पपीते की सहफसली खेती का नुस्ख़ा ज़रूर आज़माएं

यदि गन्ना किसान गन्ने के साथ कुछ दूसरी फसलें लगाएँ तो उन्हें अच्छी कमाई हो जाती है। पपीते की फसल जल्दी तैयार हो सकती है और ये गन्ने के खेत में जगह भी ज़्यादा नहीं लेती। इसीलिए गन्ने के साथ पपीता उगाने से दोहरा लाभ मिलता है। उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में दोमट और बलुई मिट्टी की बहुतायत है। ऐसी मिट्टी न सिर्फ़ गन्ने के लिए बढ़िया है बल्कि पपीते के लिए भी बेहद मुफ़ीद होती है।

धान की खेती broadcasting technique
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धान की खेती में ब्रॉडकास्टिंग विधि अपनाई, लागत को किया कम, जानिए क्या हैं फ़ायदे

रुपिरेड्डी लक्ष्मी ने 8 एकड़ में धान की खेती करती हैं। वह पारंपरिक तरीके की बजाय सीधी बुवाई तकनीक का इस्तेमाल कर रही हैं, जिसे ब्रॉडकास्टिंग (Broadcasting Method) भी कहा जाता है। जानिए क्या है ये तकनीक।

जोहा चावल की खेती FI
न्यूज़, पपीता, पशुपालन, फल-फूल और सब्जी, फलों की खेती, सक्सेस स्टोरीज, सूअर पालन

Joha Rice: जोहा चावल की खेती के साथ पपीते की खेती और सूअर पालन कैसे कर सकते हैं?

असम के गोलपारा ज़िले की रहने वाली दीपिका राभा 12 बीघा ज़मीन पर सुगंधित जोहा चावल की खेती करती हैं। असम के जोहा चावल को GI टैग मिला हुआ है। इसको तैयार होने में 120 से 160 दिन का समय लगता है। 

सुपारी के पत्तों से बनी प्लेट betel leaf plates
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सुपारी के पत्तों की प्लेट्स बनाकर अच्छी कमाई कर रहीं मिज़ोरम की आदिवासी महिलाएं

थर्मोकॉल और कागज़ की प्लेट अब पुराने ज़माने की बात हो गई है, वैसे भी प्लास्टिक बैन के बाद से बाज़ार में थर्मोकॉल के प्लेट्स मिलना बंद हो गए हैं। ऐसे में लोगों को एक अच्छे विकल्प की तलाश है, जिसे सुपारी के पत्ते पूरा कर रहे हैं। सुपारे के पत्तों से बनी प्लेट्स की आजकल बाज़ार में अच्छी मांग है और मिजोरम की आदिवासी महिलाओं के लिए ये वरदान बन गया है।

GOA BIO-1 से नमक वाली मिट्टी में धान की खेती
कृषि उपज, न्यूज़, मिट्टी की सेहत

GOA BIO-1 से नमक वाली मिट्टी में भी होगी धान की अच्छी पैदावार

गोवा के तटीय इलाकों की मिट्टी में नमक अधिक होने यानी लवणीय मिट्टी होने की वजह से धान की उपज बहुत कम होती थी, जिसका हल वैज्ञानिकों ने एक बायो फॉर्मूलेशन की खोज करके ढूंढ़ निकाला। नमक वाली मिट्टी में सुधार से अच्छी दान की पैदावार ली जा सकती है।

Mixed-Cropping
नारियल, न्यूज़, फल-फूल और सब्जी, फलों की खेती

नारियल की खेती में Mixed-Cropping तकनीक हो रही है हिट, फैशन डिज़ाइनिंग छोड़ खेती को अपनाया

लीनिशावास की दिलचस्पी फैशन डिज़ाइनिंग में थी, लेकिन खेती के प्रति उनका जुड़ाव ऐसा हुआ कि उन्होंने ट्रेनिंग लेने के बाद खेती में ही अपना करियर बनाने का फैसला किया। आज वो Mixed-Cropping तकनीक के लिए जानी जाती हैं।

एग्री-बिज़नेस
एग्री बिजनेस, न्यूज़

इस ग्रामीण महिला ने एग्री-बिज़नेस करने की ठानी और मिली कामयाबी, खुद ही करती हैं अपने प्रॉडक्ट्स की मार्केटिंग

ताराबेन ठाकोर अपना एग्री-बिज़नेस तो चला ही रही हैं। साथ ही उनके द्वारा प्रशिक्षित किये गए कई स्वयं सहायता समूहों ने आज अपनी प्रोसेसिंग यूनिट खोल ली है और अच्छा कारोबार कर रहे हैं।

गधी के दूध गधा पालन donkey farming 4
पशुपालन, डेयरी फ़ार्मिंग, न्यूज़

Donkey Farming: इस युवक ने बनाया भारत का सबसे बड़ा गधों का फ़ार्म, गधी के दूध की कीमत हज़ारों में

आपने गाय, भैंस और बकरी पालन के बारे में तो सुना होगा, मगर क्या आप गधा पालन यानी डंकी फार्मिंग के बारे में जानते हैं? इसमें मुनाफ़ा भी बहुत अधिक होता है। गधी के दूध की कीमत बाज़ार में काफ़ी अच्छी मिलती है।

Bio priming जैविक बीज टीकाकरण
टेक्नोलॉजी, न्यूज़, फसल प्रबंधन

Bio priming: जैविक बीज टीकाकरण विधि खेती की लागत घटाने और मुनाफ़ा बढ़ाने में कैसे बेहद उपयोगी है?

बीज टीकाकरण की बदौलत जहाँ क़रीब 30 प्रतिशत ज़्यादा पैदावार मिलती हैं, वहीं उत्पादन लागत घटने की वजह से भी खेती का मुनाफ़ा ख़ासा बढ़ जाता है। बीज टीकाकरण एक सस्ती और सरल विधि है। लेकिन भारत में ज़्यादातर किसानों को बीज टीकाकरण की विधि का ज्ञान नहीं हैं अथवा वो इन्हें प्रयोग में नहीं लाते हैं।

IPM तकनीक नारियल की खेती
टेक्नोलॉजी, न्यूज़, फसल प्रबंधन

IPM तकनीक से नारियल की फसल को हानि पहुंचाने वाले कीटों से मिला छुटकारा

गोवा में काजू के साथ ही नारियल की खेती भी बड़े पैमाने पर की जाती है। मगर रेड पाम वीविल और राइनोसेरोस बीटल जैसे कीट की वजह से किसानों को फसल की बहुत हानि होती थी, क्योंकि ये कीट फसल को पूरी तरह से बर्बाद कर देते हैं। इस समस्या से निपटने के लिए ICAR ने ख़ास IPM तकनीक ईज़ाद की।

रेमी की खेती- Ramie Cultivation
पशुपालन, डेयरी फ़ार्मिंग, न्यूज़

रेमी की खेती: पौष्टिक गुणों से भरपूर हरा चारा और रेशा उत्पादन में भी होता है इस्तेमाल

गर्मियों के मौसम में अक्सर किसानों को अपने पशुओं के लिए हरे चारे की समस्या से दो-चार होना पड़ता है। ऐसे में रेमी की खेती उनकी समस्या दूर कर सकती है, क्योंकि यह कम लागत वाली खेती है और इससे पशुओं को पूरे साल हरा चार मिल सकता है।

अनार की खेती
फल-फूल और सब्जी, अन्य फल, न्यूज़, फलों की खेती

Pomegranate Cultivation: वायु दाब तकनीक से कैसे तैयार करें अनार के पौधे ताकि बढ़े उत्पादन?

अनार की खेती पौध तैयार करके की जाती है। बीज के अलावा, कलम से और वायु दाब तकनीक से भी इसके पौधे तैयार किए जा सकते हैं। जानिए अनार की खेती में वायु दाब तकनीक के बारे में।

Dairy Cattles नवजात बछड़ों
पशुपालन, डेयरी फ़ार्मिंग, न्यूज़

Dairy Cattles: जानिए नवजात बछड़ों को जन्म के वक़्त और जन्म के बाद होने वाले रोगों से कैसे बचाएं

नवजात बछड़े ही बड़े होकर डेयरी उद्योग में काम आते हैं, इसलिए इनकी सही देखभाल ज़रूरी है ताकि इन्हें बीमारियों से बचाया जा सके। बीमारी की वजह से अगर अधिक संख्या में बछड़ों की मृत्यु होती है, तो इससे पशुपालकों को बहुत आर्थिक नुकसान होता है।

चिकोरी की खेती
औषधि, न्यूज़, हेल्थ फ़ूड

चिकोरी की खेती: पशुओं के साथ ही मानव स्वास्थ्य के लिए भी फ़ायदेमंद, जानिए कैसे करें इसकी खेती

आमतौर पर सड़क किनारे जंगली पौधे के रूप में उगने वाला चिकोरी या कासनी पशुओं के लिए सस्ता और पूरे साल उपलब्ध होने वाला बेहतरीन चारा है। पशुपालन से जुड़े किसानों के लिए इसकी खेती बहुत फायदेमंद साबित हो सकती है।

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