बेमौसम बारिश और बदलते मौसम से फसलों पर पड़ता असर, ओलावृष्टि से नुकसान पहुंचने की खबरें
मध्य प्रदेश अपने समृद्ध कृषि उद्योग के लिए जाना जाता है। हालांकि, हाल के वर्षों में बार-बार होने वाली ओलावृष्टि से किसानों की फसलों पर असर पड़ा है।
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मध्य प्रदेश अपने समृद्ध कृषि उद्योग के लिए जाना जाता है। हालांकि, हाल के वर्षों में बार-बार होने वाली ओलावृष्टि से किसानों की फसलों पर असर पड़ा है।
प्याज़ की खेती कर रहे किसानों को अक्सर फसल नुकसान से दो-चार होना पड़ता है। लगभग हर साल प्याज़ की फसल खराब होने पर बाज़ार में इसके दाम आसमान छूने लगते हैं। इस समस्या से निपटने का एक तरीका है प्याज़ को हिडाइड्रेट करके स्टोर करना। जब फसल ज़्यादा हो तो प्याज़ की प्रोसेसिंग करके इसके टुकड़ों को डिहाइड्रेट कर लें या इसका पाउडर बनाकर रख लें।
इस बार विश्व वन दिवस 2023 की थीम ‘वन और स्वास्थ्य’ (Forests and Health) रखी गई है। भारत में वन सर्वेक्षण रिपोर्ट 2021 के मुताबिक, कुल 80.9 मिलियन हेक्टेयर भूमि वन और वृक्षों से भरा है। ये देश के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 24.62 फीसदी है। साल 2019 से लेकर 2021 के बीच के 2 वर्षों में भारतीय वन क्षेत्र में 2261 वर्ग किलोमीटर की बढ़ोतरी हुई है।
कर्नाटक की प्रगतिशील महिला किसान सरोजा ने KVK की मदद से कई सब्ज़ियों में प्लास्टिक मल्चिंग तकनीक अपनाई और अपने क्षेत्र के लिए एक प्रेरणास्रोत बनकर सामने आई हैं। जानिए कैसे हुआ उन्हें मुनाफ़ा?
मछली पालन के मामले में भारत, चीन के बाद दूसरे नंबर पर आता ह। ऐसे में किसान यदि वैज्ञानिक तरीके से सजावटी मछलियों को पालें तो अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं, क्योंकि सजावटी मछली पालन (Ornamental Fish Farming) की मांग दिनों दिन बढ़ती जा रही है।
जौ की ज़्यादा पैदावार लेने के लिए जौ की नयी और उन्नत किस्में अपनायी जाएँ। इसका चयन क्षेत्रीय उपयोग और संसाधनों की उपलब्धता के आधार पर करना चाहिए। नयी किस्मों, उत्पादन तकनीकों में विकास और गुणवत्ता में सुधार की वजह से जौ की पैदावार में ख़ासा सुधार हुआ है। इसीलिए ये जानना बेहद ज़रूरी है कि जौ की उन्नत और व्यावसायिक खेती के लिए क्या करें, कब करें, कैसे करें, क्यों करें और क्या नहीं करें?
प्रकाश संश्लेषण के तहत धूप, हवा, पानी और मिट्टी से प्राप्त पोषक तत्वों के बीच रासायनिक क्रियाएँ करके पौधे अपना भोजन पकाते या निर्मित करते हैं। मिट्टी से पौधों को 16 पोषक तत्वों की सप्लाई होती है। किसी भी फ़सल का अच्छा विकास और खेती से होने वाले लाभ का दारोमदार इन्हीं पोषक तत्वों पर होता है।
बड़े शहरों में मौजूद सुपर मार्केट्स के अलावा ऑनलाइन मार्केटिंग के मामले में भी हाइड्रोपोनिक विधि से तैयार कृषि उत्पादों की बिक्री तेज़ी बढ़ रही है। अब नामी-गिरमी होटलों, रेस्त्राँ, क्लाउड किचन, कॉरपोरेट कैंटीन आदि में रोज़ाना बड़ी मात्रा में हाइड्रोपोनिक खेती के उत्पाद खरीदे जा रहे हैं।
बकरी पालन किसानों की अतिरक्त आमदनी का बेहतरीन ज़रिया है। इसके दूध और मांस को बेचकर किसान अच्छा मुनाफ़ा कमा सकते हैं, बशर्ते उन्हें इसकी नस्ल की सही जानकारी हो।
लक्ष्मी ने कृषि व्यवसाय के ज़रिए अपने परिवार को आर्थिक रूप से संपन्न बनाया और अब दूसरों के लिए रोल मॉडल बन गई हैं। खेती के कौन से तरीकों को उन्होंने अपनाया है, जानिए इस लेख में।
दक्षिण अफ्रीका के बाद भारत, जंगली गेंदे के तेल का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। देश में फ़िलहाल, जंगली गेंदे के तेल का कुल सालाना उत्पादन क़रीब 5 टन है। बीते दशकों में उत्तर भारत के पहाड़ी और मैदानी इलाकों जैसे हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर तथा उत्तर प्रदेश के तराई के इलाकों में जंगली गेंदे की व्यावसायिक खेती की लोकप्रियता बढ़ी है।
वैज्ञानिक तरीके से बकरी पालन करके पशुपालक किसान अपनी कमाई को दोगुनी से तिगुनी तक बढ़ा सकते हैं। इसके लिए बकरी की उन्नत नस्ल का चयन करना, उन्हें सही समय पर गर्भित कराना और स्टॉल फीडिंग विधि को अपनाकर चारे-पानी का इन्तज़ाम करना बेहद फ़ायदेमन्द साबित होता है।
बैकयार्ड मुर्गी पालन के लिए सही नस्ल की जानकारी होना बहुत ज़रूरी है। क्या वो मुर्गी उस क्षेत्र के हिसाब से ठीक है या नहीं, इसके बारे में भी जानकारी होनी चाहिए। जानिए कैसे तेलंगाना की रहने वाली पुष्पा ने मुर्गी की उन्नत नस्ल से अपने आप को आत्मनिर्भर बनाया।
लेमनग्रास भले ही ग्रामीण क्षेत्रों में लोकप्रिय न हो, मगर अतिरिक्त आमदनी प्राप्त करने का यह अच्छा ज़रिया है। लेमनग्रास की खेती बंजर भूमि में भी आसानी से की जा सकती है।
एकीकृत पोल्ट्री और बकरी पालन से सीमित संसाधनों का बेहतर इस्तेमाल करके किसान अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं। बकरी के साथ मुर्गी पालन करने के कई फ़ायदे हैं। उत्तर प्रदेश के गोरखपुर ज़िले के रहने वाले राजेश कुमार इस एकीकृत प्रणाली का लाभ उठा रहे हैं।
किसानों के लिए अच्छी गुणवत्ता वाले फसल के उत्पादन से ज़्यादा चुनौतीपूर्ण काम है अपनी फसल की उचित कीमत पाना। इसकी वजह होते हैं बिचौलिए, जो किसानों के मुनाफ़े में हिस्सेदार बन जाते हैं। ऐसे में FPO आधारित एक्सटेंशन डिलीवरी मॉडल किसानों के लिए फायदेमंद है।
किसानों की अतिरिक्त आमदनी के लिए मुर्गी पालन व्यवसाय एक अच्छा विकल्प है, मगर इससे मुनाफ़ा कमाने के लिए मुर्गी की सही नस्ल और उसके उचित प्रबंधन व देखभाल की ज़रूरत होती है। साथ ही मुर्गीपालन में नई तकनीक अपनाकर भी किसान इससे अधिक मुनाफ़ा कमा सकते हैं, जैसा कि मेघालय के युवा यौंद्रफुली सुतंगा ने किया।
पश्चिम बंगाल के सुंदरबन इलाके के कुछ गांव बहुत पिछड़े हुए हैं। यहाँ के किसान खेती से अपनी आजीविका नहीं कमा पाते। ऐसे में पशुपालन उनके लिए अतिरिक्त आमदनी का एक मुख्य ज़रिया बन सकता है। सुंदरबन के संदेलरबिल गाँव की रहने वाली दीपाली बिस्वास ने वैज्ञानिक तकनीक से बकरी पालन करके सफलता पाई है।
भारतीय रसोई में मसाले का महत्वपूर्ण स्थान है। मसालों के बिना ज़ायकेदार व्यंजन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। तभी तो उत्पादन और निर्यात के मामले में भारत सबसे आगे है। किसान न सिर्फ मसालों की खेती, बल्कि मसालों का मूल्य वर्धन करके भी अच्छी कमाई कर सकते हैं।
पूसा कृषि विज्ञान मेला 2023 | 2 से 4 मार्च तक चले पूसा कृषि विज्ञान मेले में देशभर से कई किसानों ने शिरकत की। केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री, नरेंद्र सिंह तोमर ने पहले दिन मेले का उद्घाटन किया। मेले में कई किस्मों से लेकर खेती की कई नयी तकनीकों की प्रदर्शनी लगाई गई।