इन पौष्टिक उत्पादों और उपज की खेती से किसान कमा सकते हैं अच्छा मुनाफ़ा, जानिए मांग और दाम
ऑर्गैनिक सब्जियों की मांग अभी बाज़ार में काफ़ी बढ़ी हुई है। ऐसे ही कई पौष्टिक उत्पादों की खेती किसानों की आमदनी में कई गुना इज़ाफ़ा कर सकती है।
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ऑर्गैनिक सब्जियों की मांग अभी बाज़ार में काफ़ी बढ़ी हुई है। ऐसे ही कई पौष्टिक उत्पादों की खेती किसानों की आमदनी में कई गुना इज़ाफ़ा कर सकती है।
विजयगिरी अपने खेत में काले, हरे, लाल, मैजिक और अम्बे मोहर चावल के साथ-साथ कई अन्य चावल की किस्मों की खेती करते हैं। वो इन चावलों की खेती पूरी तरह से जैविक तरीके से करते हैं।
गजेन्द्र सिंह का परिवार पिछले 21 सालों से मधुमक्खी पालन व्यवसाय से जुड़ा हुआ है, लेकिन कारोबार आगे बढ़ाने में उन्हें कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि आज जलवायु परिवर्तन वैज्ञानिकों की सबसे बड़ी चिन्ता और चुनौती का विषय है। इससे निपटने के लिए सभी केवीके और आईसीएआर के संस्थानों तथा अन्य वैज्ञानिकों को महत्वपूर्ण निभानी होगी।
तोषण कुमार सिन्हा न सिर्फ़ मशरूम की खेती की फ़्री में ट्रेनिंग देते हैं, बल्कि कम दरों में किसानों को बीज भी मुहैया कराते हैं।
महिला किसान तारावती जिस क्षेत्र से आती हैं, वहां अक्सर आंधी तूफ़ान के कारण 20 से 25 फ़ीसदी आम की फसल को नुकसान पहुंच जाता है। इससे आम की खेती कर रहे इलाके के किसानों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ता है।
नैनीताल के पर्यटक स्थल टिफ़िन टॉप में ‘लाल मशरूम’ बोलेटस रूब्रोफ्लैमियस (Boletus carminiporus) पाया गया है। मशहूर फ़ोटोग्राफ़र अनूप साह ने इस मशरूम को अपने कैमेरे में कैद किया। जानिए इसके बारे में।
सोयाबीन खरीफ मौसम की प्रमुख तिलहन फसल है। सोयाबीन की खेती में इसके पौधों के बीच उगने वाले खरपतवार से सोयाबीन की फसल को नुकसान पहुंचता है। इसलिए बुवाई के 20-45 दिनों के भीतर इनका सही प्रबंधन ज़रूरी है।
बाज़ार में कंकोड़ा का बढ़िया दाम मिलता है। ये अन्य सब्ज़ियों के मुक़ाबले ख़ासी महँगी यानी 100 से 150 रुपये प्रति किलोग्राम के भाव से बिकती है। व्यावसायिक खेती करने पर कंकोड़ा की हरेक बेल से क़रीब 650 ग्राम या क़रीब 50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की पैदावार मिल सकती है।
काली हल्दी की खेती कैसे की जा सकती है? किन-किन बातों का ध्यान रखना ज़रूरी है? इस पर किसान ऑफ़ इंडिया की सीनियर हॉर्टिकल्चर ऑफ़िसर (रिटायर्ड) राजेश कुमार मिश्रा से विशेष बातचीत।
अंगूर की खेती कर रहे यहाँ के किसानों का अंगूर दुबई, रूस, चीन और यूरोपियन देशों में निर्यात यानी एक्सपोर्ट होता है। देश और क्वालिटी के हिसाब से तय होते हैं दाम।
सुशील कुमार कहते हैं कि आप गेंदे के फूल की खेती का कुछ इस तरह से प्रबंधन करें कि साल के 365 दिनों के लिए आपके पास फूल उपलब्ध हों। वह उन्नत तकनीक के इस्तेमाल से गेंदे के फूल की खेती करते हैं। गेंदे के फूल की खेती पर सुशील कुमार से विशेष बातचीत।
देश में सबसे ज़्यादा सोयाबीन का उत्पादन मध्य प्रदेश में होता है। किसान ऑफ़ इंडिया ने मध्य प्रदेश के देवास के रहने वाले योगेंद्र सिंह पवार से सोयाबीन की खेती पर ख़ास बातचीत की।
भैंस पालन का क्षेत्र भी ऐसा है जिसमें कई देसी नस्लों का पालन कर अच्छा मुनाफ़ा कमाया जा सकता है। महाराष्ट्र ठाणे ज़िले के वसई के रहने वाले अजिंक्य शिरीषकुमार नाइक ने अपने फ़ार्म में 80 भैंसे पाली हुई हैं। उन्होंने किसान ऑफ़ इंडिया से खास बातचीत में भैंस पालन और डेयरी सेक्टर से जुड़ी कई बातें शेयर कीं।
चना उत्पादकों का सच्चा साथी है चनामित्र ऐप (Chanamitra) जो उन्न्त बीज से लेकर कीट प्रबंधन से जुड़ी हर जानकारी प्रदान करके किसानों को अधिक पैदावर में मदद करता है।
धान की फसल जूलाई से लेकर अक्टूबर तक कई तरह के कवक और जीवाणु रोगजनकों से प्रभावित होती है। कैसे धान की फसल में लगने वाले प्रमुख रोगों से किसान छुटकारा पा सकते हैं? इस पर किसान ऑफ़ इंडिया की उत्तर प्रदेश स्थित कृषि विज्ञान केंद्र आजमगढ़ के पौध सुरक्षा विशेषज्ञ डॉ. रूद्र प्रताप सिंह से ख़ास बातचीत।
सर्दी के समय पालक की बाज़ार में ज़्यादा मांग रहती है और अच्छी पैदावार मिलती है। जानिए पालक की 10 उन्नत किस्मों (10 types of spinach) के बारे में।
राम भजन राय करीबन 4 एकड़ क्षेत्र पर ब्राह्मी की खेती कर रहे हैं। धान की तरह ही ब्राह्मी की खेती की जाती है। नर्सरी में पौध तैयार किए जाते हैं। ब्राह्मी की एक साल में 2 से 3 फसलें ली जा सकती हैं ।
सूअर पालन का बिज़नेस करना चाहते हैं तो इस ऐप के ज़रिए आपको हर छोटी-बड़ी जानकारी मिल जाएगी।
किसान ऑफ़ इंडिया से बातचीत में रावलचंद पंचारिया ने बताया कि उन्हें नींबू की नई किस्म को तैयार करने में चार से पांच साल का वक़्त लगा।