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तस्वीर से आलू के झुलसा रोग का पता लगाने की तकनीक विकसित - Kisan Of India
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तस्वीर से आलू के झुलसा रोग का पता लगाने की तकनीक विकसित

आमतौर पर आलू के झुलसा रोग की जाँच और पहचान करने के लिए कृषि विशेषज्ञों को खेतों में जाकर बारीक़ी से जाँच करनी पड़ती है। दूरदराज के इलाकों के लिए ये काम कठिन और वक़्त खपाने वाला होता है, क्योंकि इसमें बाग़वानी विशेषज्ञ की ज़रूरत होती है। लेकिन नयी तकनीक के ज़रिये सिर्फ़ पत्तों की तस्वीरों के विश्लेषण से पता लगाया जा सकता है कि फसल रोगग्रस्त है या नहीं? ताकि ज़रूरत पड़ने पर किसान कीटनाशक का इस्तेमाल करके फसल बचा सकते हैं।

कोरी अफ़वाह है कि दालों की स्टॉक सीमा हटा ली गयी है: केन्द्र सरकार - Kisan Of India
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कोरी अफ़वाह है कि दालों की स्टॉक सीमा हटा ली गयी है: केन्द्र सरकार

नये ‘आवश्यक वस्तु क़ानून, 2020’ के प्रावधानों के अनुसार जब तक दालों का खुदरा बाज़ार भाव से साल भर पहले की तुलना में 50 प्रतिशत से ज़्यादा ऊपर नहीं चला जाता, तब तक सरकार ‘असाधारण मूल्य वृद्धि’ के नाम पर व्यापारियों पर स्टॉक सीमा नहीं थोप सकती है। सरकारी आँकड़ों के मुताबिक, एक साल पहले के मुकाबले दालों के दाम में अभी तक जो बढ़ोत्तरी हुई है वो 22-23 प्रतिशत की है। इसका मतलब ये हुआ कि नया क़ानून व्यापारियों के प्रति बहुत ज़्यादा उदार है। इसीलिए किसान नेता इसे जन-विरोधी करार देते हैं और इसे वापस लेने की माँग कर रहे हैं।

पंजाब में 2.8 लाख खेतीहर मज़दूरों और भूमिहीन किसानों का 590 करोड़ रुपये का कर्ज़ा माफ़ - Kisan Of India
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पंजाब में 2.8 लाख खेतीहर मज़दूरों और भूमिहीन किसानों का 590 करोड़ रुपये का कर्ज़ा माफ़

विधानसभा चुनाव से पहले पंजाब सरकार ने राज्य के 2 लाख 80 हज़ार खेतीहर मज़दूरों और भूमिहीन किसानों का कर्ज़ा माफ़ करने का फ़ैसला किया। इससे सरकारी ख़ज़ाने पर 590 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा और कर्ज़ माफ़ी के लिए योग्य हरेक किसान को 20 हज़ार रुपये की राहत मिलेगी।

गन्ने की खोई से कैसे बनेगी बायो-क्रॉकरी?
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गन्ने की खोई से कैसे बनेगी बायो-क्रॉकरी?

बायो-क्रॉकरी पूरी तरह से बॉयोडिग्रेडेबल हैं। कचरे में फेंके जाने पर ये तीन महीने में पूरी तरह गल जाते हैं। इसे यदि कोई जानवर खा भी ले तो उसकी सेहत खराब नहीं होती। यानी, इसका कोई प्रतिकूल प्रभाव या साइड इफ़ेक्ट नहीं है। खोई से बनी बायो-क्रॉकरी को माइक्रोवेव, ओवन और फ्रिज़ में भी रखा जा सकता है। इसका पैकेज़िंग में भी इस्तेमाल हो सकता है।

बाड़मेर की सीमावर्ती ज़मीन पर 29 साल बाद किसानों का हक़ हुआ बहाल - Kisan of India
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बाड़मेर की सीमावर्ती ज़मीन पर 29 साल बाद किसानों का हक़ हुआ बहाल

विभाजन के बाद भारतीय किसान जहाँ तक अपनी ज़मीन का इस्तेमाल करते थे, वो 1992 की बाड़बन्दी के बाद घट गयी। बदले में सरकार ने किसानों को कोई मुआवज़ा भी नहीं दिया। किसानों की ओर से सालों-साल अपने नुकसान की भरपाई के लिए जब सरकारों से कोई राहत नहीं मिली तो किसान ने राजस्थान हाईकोर्ट में गुहार लगायी। 2013 में हाईकोर्ट ने किसानों के हक़ में उन्हें ज़मीन या मुआवज़ा देने का आदेश दिया। लेकिन सरकारी तंत्र तो अपनी कछुआ चाल से ही चलता रहा।

मछली पालकों के लिए आमदनी बढ़ाने का नुस्ख़ा
न्यूज़, पशुपालन, पशुपालन और मछली पालन

मछली पालकों के लिए आमदनी बढ़ाने का नुस्ख़ा

केज कल्चर में रखी जाने वाली मछलियाँ का वजन जहाँ 120 दिनों में 400 ग्राम तक हो जाता है। वहीं इसी अवधि में खुले तालाबों की मछलियों का वजन 200 से 300 ग्राम तक ही हो पाता है। ज़्यादा वजन वाली मछलियों के उत्पादन से इसके किसानों की आमदनी बढ़ जाती है।

पेट्रोल-डीज़ल के बढ़ते दाम के ख़िलाफ़ 8 जुलाई को किसान का प्रदर्शन
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पेट्रोल-डीज़ल के बढ़ते दाम के ख़िलाफ़ 8 जुलाई को किसान का प्रदर्शन

पेट्रोलियम उत्पादों की दिनों-दिन बढ़ रही क़ीमतों को लेकर देशव्यापी विरोध के तहत आन्दोलनकारी स्कूटर, मोटरसाइकिल, ट्रैक्टर और रसोई गैस के सिलेंडरों के साथ सड़कों के किनारे प्रदर्शन करेंगे। प्रदर्शन के दौरान यातायात को बाधित नहीं किया जाएगा।

बिहार के कृषि वैज्ञानिकों ने विकसित की काले अमरूद की अनोखी किस्म - Kisan Of India
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बिहार के कृषि वैज्ञानिकों ने विकसित की काले अमरूद की अनोखी किस्म

पहले शिमला मिर्च केवल हरे रंग का होता था, लेकिन कालान्तर में इसकी अन्य रंगों वाली किस्में भी विकसित हुईं और इनकी भी व्यवसायिक खेती होने लगी। इसीलिए वो दिन दूर नहीं जब हरे अमरूद की तुलना में काले अमरूदों की पैदावार करके किसानों को ज़्यादा कमाई होगी।

छोटी जोत वाले किसानों के लिए बेजोड़ है चौलाई या रामदाना की खेती
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छोटी जोत वाले किसानों के लिए बेजोड़ है चौलाई या रामदाना की खेती

चौलाई की खेती के लिए प्रति एकड़ करीब 200 ग्राम बीज की ज़रूरत पड़ती है। बीज का दाम करीब 75-80 रुपये बैठता है। फसल पकने पर प्रति एकड़ 3 से 4 क्विंटल रामदाना पैदा होता है। बाज़ार में ये 75-80 रुपये प्रति किलो के भाव से बिकता है। यानी प्रति एकड़ 30 हज़ार रुपये की उपज। इसीलिए इसे छोटी जोत वाले किसानों के लिए बेजोड़ माना जाता है। चौलाई की बुआई के करीब महीने भर इसकी पत्तियाँ भी तोड़ी जाती हैं। इसे बेचने से भी आमदनी होती है।

भेड़ पालन के लिए कैसे और कितनी मिलती है सरकारी मदद?
न्यूज़, पशुपालन, बकरी पालन

भेड़ पालन के लिए कैसे और कितनी मिलती है सरकारी मदद?

भेड़ पालन के लिए सरकार कर्ज़ या मदद पाने की दो मुख्य योजनाएँ हैं। इसमें बैंक से मिले कर्ज़ की आधी रकम पर कोई ब्याज़ नहीं चुकाना पड़ता। पहली योजना के तहत एक लाख रुपये तक का कर्ज़ लिया जा सकता है। दूसरी योजना के तहत भेड़ पालक एक लाख रुपये से ज़्यादा का कर्ज़ भी ले सकते हैं। लेकिन इसमें ब्याज़ रहित राशि की सीमा 50 हज़ार रुपये तक ही होती है।

PMFBY ke Liye 31 April tak apply karein - Kisan of India
एग्री बिजनेस, न्यूज़, फसल बीमा, फसल बीमा योजना, सरकारी योजनाएं

किसानों के लिए बीज, खाद, सिंचाई से कम नहीं है फसल बीमा

बाढ़, सूखा, ओला वृष्टि जैसी प्राकृतिक आपदाएँ, जो किसानों को पूरी तरह से तबाह कर देती हैं। बम्पर फसल की मार से किसानों को सिर्फ़ मार्केटिंग का बेहतर नेटवर्क ही उबार सकता है, जो किसानों की पहुँच से ख़ासा दूर होता है लेकिन प्राकृतिक आपदाओं के मार से बचाव के लिए किसान को ख़ुद कमर कसकर आगे आना चाहिए और फसल बीमा से ज़रूर जुड़ना चाहिए। फसल बीमा का पालिसी ज़रूर खरीदनी चाहिए।

किसान आन्दोलन को तेज़ करने का कार्यक्रम तय, हरियाणा में सत्ता पक्ष के लिए गाँवबन्दी
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किसान आन्दोलन को तेज़ करने का कार्यक्रम तय, हरियाणा में सत्ता पक्ष के लिए गाँवबन्दी

किसान आन्दोलन के नेताओं ने फ़िलहाल चार मुख्य बातें तय की हैं। पहला, हरियाणा में सत्ता पक्ष से जुड़े नेताओं के लिए गाँवबन्दी और दूसरा, 26 जून को ‘खेती बचाओ, लोकतंत्र बचाओ’ दिवस मनाने और इसके लिए राज भवन पर बग़ैर किसी पूर्वानुमति के प्रदर्शन करने और राष्ट्रपति को ज्ञापन देने का कार्यक्रम। तीसरे और चौथे कार्यक्रम के रूप में 14 जून को गुरु अर्जुन देवजी का बलिदान दिवस और 24 जून को सन्त कबीर जयन्ती मनायी जाएगी।

गेहूँ और धान की सरकारी खरीद - Kisan Of India
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गेहूँ और धान की सरकारी खरीद ने बनाये रिकॉर्ड

आम तौर पर रबी खरीद सीज़न की खरीदारी 15 जून तक की जाती है, लेकिन इस साल कोरोना प्रतिबन्धों को देखते हुए मंडियों में खरीदारी को अभी बन्द नहीं किया गया है। लिहाज़ा, मुमकिन है कि खरीदारी बन्द होने तक रोज़ाना नये-नये रिकॉर्ड बनते रहें।

गुड़ में कम मुनाफ़ा देख डरें नहीं, नये रास्ते ढूँढ़े
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गुड़ में कम मुनाफ़ा देख डरें नहीं, नये रास्ते ढूँढ़े

किसानों को यदि पैसों की तत्काल ज़रूरत है तो चीनी मिलों की ऊँची कीमत भी उसे रास नहीं आती। वैसे गुड़ बनाने वाले ग्रामीण उद्यमी भी किसान ही हैं। गन्ने के रस में ‘वैल्यू एडीशन’ करके गुड़ बनाते हैं और मंडी में बेचकर कमाई करते हैं। मंडी में इन्हें गुड़ का दाम फ़ौरन या हफ़्ते-दस दिन में हो जाता है। इन्हें चीनी मिलों की तुलना में ये प्रक्रिया ज़्यादा सुविधाजनक लगती है।

भूमिहीन किसान कैसे बनें आत्मनिर्भर? - किसान बलिराम कुशवाहा की कहानी
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भूमिहीन किसान कैसे बनें आत्मनिर्भर? – किसान बलिराम कुशवाहा की कहानी

भूमिहीन किसान को अगर किराये पर ज़मीन लेकर खेती करनी हो तो उसकी फसलों का चुनाव ऐसा ज़रूर होना चाहिए, जिससे वो खेत का किराया और फसल की लागत निकालने अलावा अपने परिवार के लिए अनाज और गृहस्थी चलाने लायक नियमित आमदनी हासिल कर सकें।

'सरकारों के भरोसे रहे तो नहीं होगा किसानों का भला'
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‘सरकारों के भरोसे रहे तो नहीं होगा किसानों का भला’

विनय कुमार कहते हैं कि कृषि क़ानूनों से होने वाले नुकसानों को किसान तो अच्छी तरह से समझ रहे हैं, लेकिन शहरी आबादी को इसकी कोई समझ नहीं है। शहरी लोग ये समझ ही नहीं पा रहे कि ये क़ानून कैसे ख़ुद उनके लिए भी बेहद नुकसानदेह हैं। क्योंकि किसान तो हर हालत में अपनी ज़मीन से अपना घर-परिवार चला लेगा। आने वाले समय में शहरी लोगों के लिए अपना परिवार चला पाना मुश्किल होने वाला है।

किसान सम्मान निधि के जल्द आने के आसार -Kisan of India
किसान सम्मान निधि, न्यूज़, सरकारी योजनाएं

किसान सम्मान निधि से सम्बन्धित RFT और FTO का मतलब क्या है?

किसान सम्मान निधि की आठवीं किस्त जारी होने की घोषणा के बाद भी यदि आपके खाते में 2,000 रुपये नहीं आये और पोर्टल पर यदि ये लिखा मिले कि ‘FTO is Generated and Payment confirmation is pending’ लिखा मिले तो समझिए कि किस्त रास्ते में है और जल्द ही आपके खाते में पहुँचने वाली है।

खरीफ की MSP से तो लागत की भरपायी भी नहीं होगी, छत्तीसगढ़ किसान सभा नाराज़
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खरीफ की MSP से तो लागत की भरपायी भी नहीं होगी, छत्तीसगढ़ किसान सभा नाराज़

किसान नेताओं का कहना है कि केन्द्र सरकार की ओर से जिस MSP के ज़रिये किसानों को निहाल करने का दावा किया जाता है, उसका फ़ायदा भी 94% किसानों को नहीं मिल पाता। यही वजह है कि देश का किसान समुदाय न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी देने वाले क़ानून बनाने की माँग कर रहा है। इस क़ानून के बग़ैर MSP में होने वाली बढ़ोत्तरी व्यर्थ है।

खरीफ सीज़न के लिए नयी MSP का एलान
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खरीफ सीज़न के लिए नयी MSP का एलान, दलहनी और तिलहनी फसलों को प्रोत्साहन

उत्पादन लागत के मुक़ाबले बाजरा का MSP जहाँ 85% अधिक है वहीं उड़द के मामले में इसे 65% रखा गया है। तिल की 452 रुपये और अरहर तथा उड़द के न्यूनतम समर्थन मूल्य में प्रति क्विंटल 300 रुपये का इज़ाफ़ा किया गया है। खरीफ में सबसे अधिक उपजाये जाने वाले धान के हिस्से में सिर्फ़ 72 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि की गयी है।

किसान क्रेडिट कार्ड
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किसान क्रेडिट कार्ड से जुड़ी हर वो बात जो आप जानना चाहते हैं

किसान क्रेडिट कार्ड का लाभ खेती-किसानी, पशुपालन और मछलीपालन से जुड़ा कोई भी किसान ले सकता है। भले ही वो दूसरे की ज़मीन पर खेती करता हो। आवेदक की उम्र 18 से 75 साल के बीच होनी चाहिए। लेकिन 60 साल से अधिक उम्र वाले किसानों को एक को-अप्लीकेंट (सह-आवेदक) भी बनाना पड़ता है। सह-आवेदक की उम्र 60 साल से कम होनी चाहिए।

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