आज गुरु नानक जी के प्रकाश पर्व के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों कृषि कानून वापस (Farm Laws Repealed) करने का ऐलान कर दिया है। उन्होंने अपने संबोधन में देशवासियों से माफी मांगते हुए कहा कि उनकी तपस्या में ही कोई कमी रह गई होगी, तभी वो कुछ किसानों को समझाने में असमर्थ रहे।
तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में पिछले साल नवंबर से हज़ारों किसान दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश की सीमाओं और इन राज्यों के राजमार्गों पर इसके वापस लिए जाने की मांग पर डटे थे। पिछले साल सितंबर महीने में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने संसद द्वारा पारित तीन कृषि कानूनों को अपनी मंजूरी दी थी।
तीनों कृषि कानून वापस, पीएम मोदी का राष्ट्र को संबोधन, जानें मुख्य बातें:
- पीएम मोदी ने कहा कि किसानों का एक वर्ग तीन नए कृषि कानून का विरोध कर रहा था। बातचीत का प्रयास किया गया। मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा। इसके बाद हमने कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला किया।
- इस महीने के अंत में शुरू होने जा रहे संसद सत्र में तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की संवैधानिक प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।
- पीएम मोदी ने आंदोलनकारी किसानों से घर लौटने की भी अपील की। उन्होंने कहा, “आप खेतों में लौटें, परिवार के बीच लौटें, आइए मिलकर एक नयी शुरुआत करते हैं।”
- पीएम मोदी ने कहा कि उन्होंने पांच दशक के सार्वजनिक जीवन में किसानों की चुनौतियों को बहुत करीब से देखा है। जब देश ने 2014 में उन्हें प्रधान सेवक के रूप में सेवा का अवसर दिया तो उनकी सरकार ने कृषि विकास, किसान कल्याण को सर्वोच्च प्राथमिकता दी।
- देश के छोटे किसानों की चुनौतियों को दूर करने के लिए, बीज, बीमा, बाज़ार और बचत, इन सभी पर चौतरफा काम किया है।
- सरकार ने अच्छी क्वालिटी के बीज के साथ ही किसानों को नीम कोटेड यूरिया, सॉयल हेल्थ कार्ड, माइक्रो इरिगेशन जैसी सुविधाओं से जोड़ा।
- 22 करोड़ सॉयल हेल्थ कार्ड किसानों को दिये हैं और इस वैज्ञानिक अभियान के कारण एग्रीकल्चर प्रोडक्शन भी बढ़ा है।
- पीएम मोदी ने कहा कि इन सालों में फसल बीमा योजना को मजबूत बनाया गया। ज़्यादा से ज़्यादा किसानों को इससे जोड़ा गया। आज छोटे किसानों को फसल बीमा का फ़ायदा मिल रहा है।
- किसान हित के लिए कई पुराने कानून खत्म किए गए हैं। छोटे किसानों को ताक़त देने के लिए सरकार हर संभव प्रयास कर रही है।
- यह सुनिश्चित करने के लिए कि किसानों को उनकी मेहनत के लिए सही राशि मिले, कई कदम उठाए गए। ग्रामीण बुनियादी ढांचे के बाज़ार को मजबूत किया।
- एमएसपी बढ़ाया बल्कि रिकॉर्ड सरकारी खरीद केंद्र भी स्थापित किए। सरकार ने किसानों से रिकॉर्डतोड़ खरीदारी की है।
- आपदा के समय ज़्यादा से ज़्यादा किसानों को आसानी से मुआवज़ा मिल सके, इसके लिए पुराने नियमों में बदलाव किया गया। बीते चार साल में एक लाख करोड़ रुपये से अधिक का मुआवज़ा सीधा किसानों के बैंक खाते में दिया गया।
- देश की एक हज़ार से ज़्यादा मंडियों को e-NAM योजना से जोड़ा। किसानों को कहीं पर भी अपनी उपज बेचने का एक प्लेटफॉर्म दिया। इसके साथ ही देशभर की कृषि मंडियों के आधुनिकीकरण पर भी करोड़ों रुपये खर्च किये गए ।
- कृषि बजट में 5 गुना की बढ़ोतरी गई। सालाना 1.25 लाख करोड़ रुपये से ज़्यादा का खर्च किया जा रहा है।
- ज़ीरो बजट खेती यानि प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए, देश की बदलती आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर क्रॉप पैटर्न को वैज्ञानिक तरीके से बदलने के लिए, MSP को और अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाने के लिए, ऐसे सभी विषयों पर, भविष्य को ध्यान में रखते हुए, निर्णय लेने के लिए, एक कमेटी का गठन किया जाएगा। इस कमेटी में केन्द्र सरकार, राज्य सरकारों के प्रतिनिधि होंगे, किसान होंगे, कृषि वैज्ञानिक होंगे, कृषि अर्थशास्त्री होंगे।