वर्मीकम्पोस्ट व्यवसाय (vermicompost business): कई सालों तक देश की सेवा करने के बाद नोएडा के आलोक कुमार अब खेती को बेहतर करने की दिशा में वर्मीकम्पोस्ट व्यवसाय पर काम कर रहे हैं। 2018 में भारतीय वायुसेना से रिटायर होने के बाद आलोक कुमार ने वर्मीकम्पोस्ट व्यवसाय शुरू किया और तमाम उतार-चढ़ावों के बावजूद आज वो एक सफल वर्मीकम्पोस्ट यूनिट चला रहे हैं।
इतना ही नहीं, इच्छुक लोगों को मुफ़्त में ट्रेनिंग भी दे रहे हैं। वर्मीकम्पोस्ट व्यवसाय शुरू करने वाले लोगों को किन बातों का ध्यान रखने की ज़रूरत है और कैसे इससे मुनाफ़ा कमाया जा सकता है, इन सभी मुद्दों पर आलोक कुमार ने विस्तार से चर्चा की किसान ऑफ़ इंडिया के संवाददाता गौरव मनराल से।
क्यों चुना ये व्यवसाय?
आलोक कुमार कहते हैं कि फौज से रिटायर होने के बाद अधिकांश फौजी बैंक की नौकरी जॉइन कर लेते हैं, लेकिन वो कुछ अलग करना चाहते थें और चूंकि उनके दादा किसान थे इसलिए खेती में उनकी दिलचस्पी पहले से ही रही। यही वजह है कि उन्होंने वर्मीकम्पोस्ट व्यवसाय करने की सोची। इसके अलावा, उनका ये भी कहना है कि इसमें ज़्यादा नुकसान की या ठगे जानी की गुंजाइश नहीं रहती, इसलिए वो इसे सुरक्षित व्यवसाय मानते हैं।
बातचीत में वो कहते हैं कि वर्मीकम्पोस्ट व्यवसाय शुरू करने के लिए बहुत लागत की ज़रूरत नहीं होती और जो भी इनपुट चाहिए वो आसानी से मिल जाता है। अगर सही तरीके से इसे किया जाए तो मुनाफ़ा भी अच्छा होता है।
कैसे बनेगा लाभदायक व्यवसाय?
आलोक कुमार कहते हैं कि वर्मीकम्पोस्ट व्यवसाय एक फ़ायदेमंद क्षेत्र है। इसके लिए ज़रूरी है कि आप इसे पूरी तरह से समझकर करें। इनपुट और आउटपुट का बैलेंस बनाना ज़रूरी है और बाज़ार बहुत ज़रूरी है। यानी कि उत्पाद बनाने से भी ज़्यादा ज़रूरी है कि उसके बाज़ार को तलाशना। सबसे पहले तो आपको अपने उत्पाद की जानकारी होनी चाहिए कि ये यूरिया से बेहतर क्यों है।
साथ ही उत्पाद बनाने में किन चीज़ों की ज़रूरत होती है और क्यों होती है। किसानों को समझना होगा कि ये रासायनिक खाद से बेहतर क्यों है। साथ ही आपको अपने टारगेट कस्टमर की जानकारी होना भी ज़रूरी है।
वर्मीकम्पोस्ट में माइक्रो ऑर्गेनिज़्म (micro organism) भी होते हैं, जो कि रासायनिक खाद में नहीं होता है। इसलिए जब इसे मिट्टी में डाला जाता है तो ये उसे और उपजाऊ बनाती है। दरअसल, हर मिट्टी में पोटाश, फॉस्फोरस और नाइट्रोजन जैसी चीज़ें होती हैं, लेकिन समय के साथ ये मिट्टी के अंदर दब जाती हैं। ऐसे में जब वर्मीकम्पोस्ट का इस्तेमाल किया जाता है तो ये सब एक्टिवेट होकर मिट्टी को उपजाऊ बनाते हैं और अच्छी फसल होती है।
किसानों के लिए कैसे फ़ायदेमंद है वर्मीकम्पोस्ट व्यवसाय?
आलोक कुमार का कहना है कि अगर किसान वर्मीकम्पोस्ट का उत्पादन करते हैं, तो उनका इनपुट कॉस्ट कम होगा और लाभ बढ़ेगा। किसान पशुपालन से निकलने वाले गोबर का प्रबंधन करके वर्मीकम्पोस्ट का उत्पादन कर सकते हैं, जिससे उन्हें बाज़ार से खाद खऱीदने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। खाद और यूरिया का पैसा तो बचेगा ही साथ ही जैविक खाद के इस्तेमाल से फसल अच्छी होगी और वो आत्मनिर्भर भी बनेंगे।
कितनी आती है लागत?
आलोक कुमार बताते हैं कि वर्मीकम्पोस्ट उत्पादन (vermicompost production)
के लिए बेड बनाने पड़ते हैं। बेड की चौड़ाई 4 फुट रखते हैं और बेड की लंबाई ज़मीन की लंबाई के हिसाब से तय करते हैं। वर्मीकम्पोस्ट तैयार करने के लिए प्रति फुट 350 रुपए की लागत आती है।
अगर आप वर्मीकम्पोस्ट व्यवसाय करना चाहते हैं, तो 30 फुट के 25 बेड से शुरुआत कर सकते हैं। एक फुट लंबाई में 50 किलो गोबर और 1500 केंचुए डाले जाते हैं। एक महीने तक इन्हें छोड़ दिया जाता है और सिर्फ़ पानी डाला जाता है जिससे केंचुओं की संख्या डबल हो जाती है। इसके साथ ही आलोक कुमार कहते हैं कि कई जगहों पर चींटी की समस्या देखी जाती है, तो वहां पर चींटी को दूर रखने के लिए गुड़ के घोल का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।अगर आप गुड़ का इस्तेमाल करना ही चाहते हैं तो गुड़ की मात्रा कम रखें। इसके अलावा, दीमक की समस्या दूर करने के लिए बेड बनाते समय नीम की खली का इस्तेमाल करें।
नए लोगों को सलाह
जो लोग वर्मीकम्पोस्ट व्यवसाय शुरू करना चाहते हैं उन्हें आलोक कुमार सलाह देते हैं कि उनके पास जो भी पैसा है, उसको पूरा पहली बार में ही न लगाएं। बल्कि इसे तीन हिस्सों में बांटे। पहला भाग पहली बार में लगाएं, दूसरा हिस्सा वर्किंग कैपिटल के रूप में इस्तेमाल करें और तीसरे हिस्से को बैकअप के रूप में रखें। ऐसा इसलिए क्योंकि किसी भी बिज़नेस से तुरंत पैसा नहीं आता। इस व्यवसाय से लाभ कमाने के लिए बहुत ज़रूरी है कि आप अपने उत्पाद के बारे में जानकारी जुटाएं। दूसरे प्रतिस्पर्धियों से ये कैसे बेहतर है इस बारे में लोगों को बताएं और बेचने के लिए बाज़ार की तलाश बहुत अहम है।