उत्तर प्रदेश के लखीमपुर जिले के तिकुनिया गाँव में हुई हिंसा और आगजनी में आठ लोगों की मौत हो गई। इसमें चार किसान और चार अन्य लोग शामिल हैं। इनके अलावा 12 से 15 लोगों के घायल होने की भी खबर है। उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में बवाल के बीच प्रशासन और किसानों के बीच कुछ बातों को लेकर समझौता भी हुआ है।
मृतक किसानों के परिवार और घायलों को मिलेगा मुआवजा
लखीमपुर हिंसा से जुड़े आरोपियों की 8 दिनों के अंदर गिरफ्तारी का भरोसा दिया गया है। वहीं मृतक किसानों के परिवारवालों को 45-45 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाएगा। साथ ही प्रशासन ने घटना की न्यायिक जांच का भरोसा भी दिया है। मृतकों के परिवार में से एक सदस्य को नौकरी का आश्वासन भी दिया गया है। इस मामले की जांच हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज करेंगे। वहीं घायलों के परिजन को 10-10 लाख रुपये का मुआवजा मिलेगा। किसान नेता राकेश टिकैत और एडीजी (लॉ एंड ऑर्डर) ने संयुक्त रूप से मीडिया को इसकी जानकारी दी।
किसान संगठनों ने राष्ट्रपति को लिखा पत्र, रखी अपनी मांगें
उधर इस मसले पर किसान संगठनों की ओर से राष्ट्रपति को पत्र लिखा गया है। संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिखकर केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा को बर्खास्त करने की मांग की है। पत्र में लिखा गया है कि केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा को उनके पद से बर्खास्त किया जाना चाहिए और उनके खिलाफ़ हिंसा भड़काने तथा सांप्रदायिक नफरत फैलाने का मामला दर्ज किया जाना चाहिए। पत्र में आगे केंद्रीय मंत्री के बेटे आशीष मिश्रा और उनके साथियों पर भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या) के तहत मामला दर्ज और तुरंत गिरफ़्तार करने की मांग की गई है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में एक विषेश जांच दल (SIT) से घटना की जांच कराने की मांग रखी गई है।
लखीमपुर घटना पर सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी
तीन अक्टूबर को हुई इस घटना को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने भी सख्त टिपण्णी की है। सुप्रीम कोर्ट में किसान महापंचायत की ओर से जंतर-मतर पर सत्याग्रह करने की अनुमति मांगी गई है। इसी मामले पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने लखीमपुर घटना का ज़िक्र किया। सर्वोच्च अदालत ने कहा कि जो कुछ भी हुआ आखिर उसकी ज़िम्मेदारी कौन लेगा। सुप्रीम कोर्ट की ओर से कहा गया कि प्रदर्शनकारी तो दावा करते है कि उनका प्रदर्शन शांतिपूर्ण है, लेकिन जब हिंसा होती है तो कोई ज़िम्मेदारी लेने के लिए तैयार नहीं होता।
साथ ही अदालत ने कहा कि जब सुप्रीम कोर्ट की ओर से तीन कृषि कानूनों पर रोक लगी हुई है, तो सड़कों पर प्रदर्शन क्यों किया जा रहा है। इसके जवाब में किसान महापंचायत के वकील ने कहा कि प्रदर्शन कर रहे किसानों ने किसी सड़क को ब्लॉक नहीं कर रखा है। वहीं केंद्र की ओर से कोर्ट में पेश जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि लखीमपुर खीरी जैसी घटनाओं को रोकने के लिए किसानों के विरोध प्रदर्शन पर तुरंत रोक लगाने की ज़रूरत है।
नेताओं ने की लखीमपुर जाने की कोशिश, हिरासत में लिया गया
लखीमपुर बवाल के बाद कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी, यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और आम आदमी पार्टी के संजय सिंह समेत कई नेताओं ने लखीमपुर जाने की कोशिश की। पुलिस की ओर से उन्हें रोका गया और हिरासत में ले लिया गया।
तैनात 500 से अधिक जवान
लखीमपुर खीरी में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए सेंट्रल आर्म्ड पुलिस फोर्स की चार कंपनियां लखीमपुर में तैनात रहेंगी। 500 से अधिक जवानों की तैनाती 24 घंटे बनी रहेगी, साथ ही ज़रूरत पड़ने पर तैनाती और कई दिनों के लिए बढ़ाई जा सकती है।
3 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य तय कार्यक्रम के तहत लखीमपुर खीरी के दौरे पर थे। यहां वो कई सरकारी योजनाओं का शिलान्यास करने पहुंचे थे। इस कार्यक्रम के लिए पहले वो हवाई मार्ग से आने वाले थे, लेकिन फिर वो सड़क के रास्ते लखीमपुर पहुंचे।
केशव प्रसाद मौर्य लखीमपुर जिला मुख्यालय से योजनाओं का शिलान्यास कार्यक्रम ख़त्म करके तिकुनिया के एक प्राइमरी स्कूल में पुरस्कार वितरण समारोह के लिए रवाना हुए। इस कार्यक्रम में लखीमपुर खीरी के ही रहने वाले और यहीं से सांसद केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा भी शामिल होने वाले थे। केशव प्रसाद मौर्य को रिसीव करने के लिए गाड़ियां जा रही थीं। रास्ते में तिकुनिया इलाके में किसानों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। आरोप है कि इन गाड़ियों में से एक गाड़ी आशीष मिश्रा चला रहे थे। आरोप लगा है कि आशीष मिश्रा ने किसानों के ऊपर गाड़ी चढ़ा दी, जिससे 4 लोगों की मौत हो गई। किसानों की मौत के बाद मामला बढ़ गया। हिंसा में बीजेपी नेता के ड्राइवर समेत चार अन्य लोगों की मौत हो गई। हालांकि, अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा ने इन आरोपों का खंडन किया है। उन्होंने कहा कि वो अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए सबूत पेश करेंगे।
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