वो दिन दूर नहीं जब ट्रैक्टर, थ्रेसर जैसी मशीनों की तरह किसानों को कृषि-ड्रोन की सुविधा भी किराये पर मिलने लगेगी। कृषि-ड्रोन का इस्तेमाल करके किसान अपनी फसल या खेत की मिट्टी के लिए होने वाले तरह-तरह के उपचार या छिड़काव के गतिविधि को आसान बना सकेंगे। केन्द्रीय कृषि मंत्रालय ने तय किया है कि ‘कृषि मशीनीकरण पर उप मिशन’ (SMAM) के तहत देश भर में फैले कृषि संस्थानों को कृषि-ड्रोन खरीदने के लिए 10 लाख रुपये तक अनुदान दिया जाएगा। इसके लिए सरकार ने SMAM की गाइडलाइंस में बदलाव किये हैं, जो कम से कम 31 मार्च 2023 तक प्रभावी रहेंगे।
कृषि-ड्रोन को किफ़ायती बनाने का एलान
ये बदलाव खेती-किसानी से जुड़े लोगों के लिए कृषि-ड्रोन की तकनीक को किफ़ायती बनाने के लिए किये गये हैं। केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय का इरादा है कि सब्सिडी की बदौलत किसानों और खेती-बाड़ी के लिए देश में ज़्यादा से ज़्यादा कृषि-ड्रोन उपलब्ध हो सके तथा साधारण किसानों तक भी इस तकनीक की पहुँच हो। ज़ाहिर है, यदि खेती-बाड़ी में कृषि-ड्रोन की माँग बढ़ेगी तो इसका घरेलू उत्पादन भी प्रोत्साहित होगा, इसकी उत्पादन लागत भी घटेगी तथा धीरे-धीरे ये सस्ता होता जाएगा।
कृषि संस्थानों से सबसे ज़्यादा अपेक्षा
इसमें कोई शक़ नहीं कि इंसानों या पशुओं के मुक़ाबले मशीनें ज़्यादा कुशलता और तेज़ी से काम करती हैं और इसीलिए किफ़ायती साबित होती हैं। कृषि-ड्रोन, एक छोटे विमान जैसा उपकरण है जो खेती में होने वाले तरह-तरह के छिड़काव के काम को बहुत कुशलता और किफ़ायत से कर सकता है। लेकिन महँगा होने की वजह से कृषि-ड्रोन ख़रीदना सबसे बूते की बात नहीं। इसीलिए सरकार ने सबसे पहले कृषि शिक्षण और शोध संस्थाओं से अपेक्षा की है कि वो कृषि-ड्रोन ख़रीदने के लिए आगे आएँ। वो ख़ुद भी इसका इस्तेमाल करें तथा किसानों से भी किफ़ायती फ़ीस लेकर उन्हें इसकी सेवाएँ मुहैया करवाएँ।
भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद यानी ICAR के अन्तर्गत देश के 111 वैज्ञानिक और शोध संस्थान तथा 71 कृषि विश्वविद्यालय खेती-बाड़ी के हरेक पहलू को उन्नत बनाने के लिए काम करते हैं। ICAR – कृषि क्षेत्र में दुनिया के सबसे बड़े वैज्ञानिक नेटवर्क में से एक है। इसी नेटवर्क के तहत देश के 742 में से 727 ज़िलों में अब तक कृषि विज्ञान केन्द्र (KVK) स्थापित हो चुके हैं। इन सभी को प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से कृषि-ड्रोन की ख़रीदारी पर मिलने वाली रियायत से अवश्य प्रोत्साहन मिलेगा।
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कैसे मिलेगी कृषि-ड्रोन ख़रीदने के लिए सब्सिडी?
(i) 10 लाख रुपये का श्रेणी: कृषि मशीनीकरण से सम्बन्धित उप-मिशन (SMAM) की नयी गाइडलाइंस या दिशा-निर्देशों के अनुसार, कृषि संस्थानों को कृषि-ड्रोन का पूरा दाम या 10 लाख रुपये तक सब्सिडी मिलेगी। इतनी राशि ही कृषि मशीनरी प्रशिक्षण और परीक्षण संस्थानों, ICAR संस्थानों, कृषि विज्ञान केन्द्रों और हरेक तरह के कृषि विश्वविद्यालयों को भी कृषि-ड्रोन ख़रीदने के लिए दी जाएगी, ताकि ये संस्थान ज़मीनी स्तर पर कृषि-ड्रोन तकनीक का प्रदर्शन करके खेती-बाड़ी में इसके इस्तेमाल को लोकप्रिय बनाने में मददगार बन सकें।
(ii) 4 लाख रुपये का अनुदान: इन्हीं उद्देश्यों के लिए ग़ैर सरकारी क्षेत्र के कृषक उत्पादक संगठनों या (Farmer Producer Organisation (FPOs) को भी कृषि-ड्रोन की कुल लागत में से 75 फ़ीसदी तक का अनुदान पाने का हक़दार बनाया गया है। जबकि किराये पर कृषि उपकरण मुहैया करवाने वाले मौजूदा कस्टम हायरिंग सेंटर्स (CHCs), किसान सहकारी समितियों और hi-tech hubs (हाई-टेक हब्स) के लिए भी कृषि-ड्रोन और इससे जुड़े सामानों की ख़रीदारी पर कुल लागत का 40 प्रतिशत या 4 लाख रुपये तक सब्सिडी देने की नीति लागू की गयी है।
(iii) 5 लाख रुपये का अनुदान: नये कस्टम हायरिंग सेंटर की स्थापना करने वाले कृषि स्नातकों और ग्रामीण उद्यमियों को कृषि-ड्रोन और इससे जुड़े सामान की कुल लागत का 50 प्रतिशत या 5 लाख रुपये तक अनुदान मिलेगा। लेकिन ग्रामीण उद्यमियों के लिए शर्ते ये है कि वो 10वीं पास हों और उनके पास नागर विमानन महानिदेशालय (DGCA) से मान्यता प्राप्त ‘दूरस्थ पायलट लाइसेंस’ (remote pilot license) होना चाहिए।
(iv) कृषि-ड्रोन को किराये पर देने वालों की श्रेणी: केन्द्र सरकार ऐसी संस्थाओं या कार्यान्वयन एजेंसियों को भी 6,000 रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से आकस्मिक व्यय (contingency expenditure) उपलब्ध करवाएगी जो कृषि-ड्रोन को ख़रीदना तो नहीं चाहते लेकिन इसे कस्टम हायरिंग सेंटर्स, hi-tech hubs, ड्रोन निर्माता या अन्य start-up कम्पनियों से इन्हें किराये पर लेकर इस्तेमाल करना चाहते हैं। इतना ही नहीं यदि कार्यान्वयन एजेंसियों कृषि-ड्रोन को सिर्फ़ प्रदर्शन के लिए भी इस्तेमाल करेंगी तो भी उन्हें 3,000 रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से आकस्मिक व्यय की भरपाई की जाएगी। उम्मीद है कि इससे कृषि-ड्रोन को तेज़ी से लोकप्रिय बनाने में मदद मिलेगी।
कृषि-ड्रोन के इस्तेमाल के लिए SOP
कृषि-ड्रोन के व्यावहारिक इस्तेमाल और प्रदर्शन के लिए कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की ओर से ऐसी मानक संचालन प्रक्रियाएँ या standard operating procedure (SOP) अथवा क़ायदे-क़ानून भी बनाये गये हैं जिनका बुआई से पहले मिट्टी के उपचार और खड़ी फसल के संरक्षण के लिए दवाईयों या पोषक तत्वों के छिड़काव के वक़्त पालन करना अनिवार्य होगा। ये SOP, कृषि-ड्रोन का किसी भी तरह से इस्तेमाल करने सरकारी या ग़ैर-सरकारी संगठनों अथवा संस्थाओं पर एक समान रूप से लागू होंगे।
बता दें कि कृषि-ड्रोन भी एक विमान या Unmanned Aerial Vehicle (UAV) है। इसे ‘ड्रोन नियम 2021’ के दायरे में रहकर ही उड़ा सकते हैं, जिसे नागर विमानन महानिदेशक (DGCA) ने 25 अगस्त 2021 को प्रकाशित किया तथा कृषि मंत्रालय ने 21 दिसम्बर 2021 को जारी किया। SOP में कृषि-ड्रोन सम्बन्धी क़ानून (statutory provisions), उड़ान की अनुमति (flying permissions) और इससे जुड़ी शर्तों, ड्रोन का वर्गीकरण (classification), सुरक्षा बीमा, पायलट प्रमाणन (piloting certification), हवाई उड़ान क्षेत्र, मौसम की दशा जैसे हरेक पहलू का ब्यौरा शामिल हैं। कृषि-ड्रोन से जुड़े SOP के लिए यहाँ क्लिक करें
SMAM के दायरे में आने वाली खेती की मशीनें
कृषि मशीनीकरण को बढ़ावा देने के लिए बनाये गये Sub-Mission on Agricultural Mechanization (SMAM) के तहत सरकार की ओर से निम्न मशीनों की खरीदारी पर अनुदान मिलता है। इस लिस्ट में अब कृषि-ड्रोन का नाम भी जुड़ गया है।
- कृषि-ड्रोन (Agri Drone),
- सुपर स्ट्रॉ मैनेजमेंट सिस्टम (Super Straw Management System (SMS) for Combine Harvesters),
- हैप्पी सीडर्स (Happy Seeders),
- हाइड्रॉलिकली रिवर्सेबल एमबी प्लो (Hydraulically Reversible MB Plough),
- पैडी स्ट्रॉ चॉपर / श्रेडर (Paddy Straw Chopper/Shredder),
- मुल्चर (Mulcher),
- श्रब मास्टर (Shrub Master),
- रोटरी स्लेशर (Rotary Slasher),
- ज़ीरो टिल सीड ड्रिल (Zero Till Seed Drill),
- रोटावेटर (Rotavator),
- सुपर सीडर (Super Seeder),
- क्रॉप रीपर / रीपर बाइंडर (Crop Reaper/Reaper Binder),
- स्ट्रॉ बेलर और रेक (Straw Baler and Rakes).
सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।