Natural Farming: कैसे प्राकृतिक खेती में मददगार है देसी केंचुआ?
कृषि विशेषज्ञ और पद्मश्री से सम्मानित सुभाष पालेकर के मुताबिक जीवामृत के इस्तेमाल से ज़मीन में देसी केंचुओं की संख्या बढ़ाई जा सकती है।
कृषि विशेषज्ञ और पद्मश्री से सम्मानित सुभाष पालेकर के मुताबिक जीवामृत के इस्तेमाल से ज़मीन में देसी केंचुओं की संख्या बढ़ाई जा सकती है।
केमिकल युक्त खाद और कीटनाशकों के इस्तेमाल से खेती की लागत दिनों-दिन बढ़ती जा रही है लेकिन किसानों का मुनाफा घटता जा रहा है। किसान अगर प्राकृतिक खेती को अपना लें, तो उनकी समस्या काफी हद तक हल हो सकती है।
प्राकृतिक खेती आज के समय की ज़रूरत है, क्योंकि इससे पर्यावरण का संतुलन बिगड़ने से बचाया जा सकता है, साथ ही मिट्टी के स्वास्थ्य को हानी पहुंचने से भी बचाया जा सकता है। प्राकृतिक खेती को सही तरीके से अपनाकर किसान अपनी लागत कम करके अच्छा मुनाफ़ा कमा सकते हैं जैसा कि आंध्र प्रदेश की महिला किसान हनुमन्थु मुथ्यालम्मा ने किया।
प्राकृतिक खेती न सिर्फ किसानों, बल्कि आम लोगों और पर्यावरण के लिए भी फ़ायदेमंद होती है। सही जानकारी के अभाव में किसान केमिकल युक्त खाद और कीटनाशकों का इस्तेमाल यह सोचकर करते हैं कि फ़ायदा अधिक होगा, जबकि आंध्र प्रदेश के एक किसान ने प्राकृतिक खेती अपनाकर न सिर्फ खेती की लागत कम की, बल्कि मुनाफ़ा भी अधिक कमाया।
निजी अनुभवों से सीखने और चुनौतियों का नया समाधान तलाशने की उनकी आदत ने 1998 के बाद से ऐसा क़माल करना शुरू किया कि आज इनके पास चार प्रोसेसिंग यूनिट्स हैं और ये ख़ुद निर्यातक भी हैं। कंवल सिंह चौहान के बिज़नेस मॉडल की सबसे बड़ी ख़ासियत है कि ये किसानों को खेती से पहले उनकी उपज ख़रीदने की गारंटी देते हैं।
प्राकृतिक या जैविक तरीके से खेती कर रहे किसानों को इन अस्त्रों के बारे में जानकारी होगी, लेकिन कइयों को इसके बारे में शायद ही पता हो। इन तीन अस्त्रों पर राजस्थान के प्रगतिशील किसान रावलचंद पंचारिया ने किसान ऑफ़ इंडिया से विस्तार में बात की।
लखनऊ स्थित उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद (UPCAR) के 33वें स्थापना दिवस के अवसर पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित कार्यक्रम में प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी वर्चुअली उपस्थित रहे।
प्राकृतिक खेती को केंद्रीय बजट में भी शामिल किया गया है। इसके ज़रिए देश के 80 फ़ीसदी छोटे किसानों को लाभ पहुंचाने की संभावना है।
आज केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सितारमण ने केन्द्रीय बजट 2022 पेश किया। इस बजट में कृषि क्षेत्र को लेकर कई ऐलान किये गए हैं। इन्हीं में से एक है प्राकृतिक खेती। जानिए इसके बारे में।
सरकार प्राकृतिक खेती (Natural Farming) के महत्व को समझाते हुए इसे अपनाने की लगातार अपील कर रही है। आज के समय में किस तरह से किसान की लागत कम कर उसे मुनाफ़ा मिले, इस कड़ी में सरकार प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देते हुए कई कदम उठा रही है। केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने 15 जनवरी को प्राकृतिक खेती के विषय पर किसानों से सीधा संबोधन किया।
देसी गाय का गोबर और गौमूत्र फसल की उच्च गुणवत्ता के लिए सबसे उपयुक्त माना गया है। जानिए कहाँ से विकसित हुई आज की हमारी देसी गाय।
प्राकृतिक खेती यानी ज़ीरो बजट खेती (Natural Farming or Zero Budget Farming) के फ़ायदों को समझते हुए राष्ट्रीय स्तर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी इसे अपनाने की अपील कर चुके हैं। किसान ऑफ़ इंडिया आपके लिए ऐसे की किसानों की स्पेशल स्टोरीज़ लेकर आया है, जो कई दशकों से जैविक खेती को बढ़ावा दे रहे हैं।