पुणे महानगर क्षेत्रीय विकास प्राधिकरण (PMRDA) द्वारा विकसित किए जा रहे हिंजेवाड़ी-शिवाजीनगर मेट्रो कॉरिडोर के निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण और पुनर्वास अधिनियम, 2013 में उचित मुआवजे और पारदर्शिता के अधिकार के तहत भूमि अधिग्रहीत की जानी है।
मेट्रो कॉरिडोर के लिए 75 फीसदी जमीन का अधिग्रहण किया जा चुका है।
शेष भूमि का अधिग्रहण करने के लिए राजस्व विभाग ने एक्ट में एक अनिवार्य भूमि अधिग्रहण उपनियम (क्लॉज) जोड़ा है। इसके तहत सरकार बुनियादी ढांचे के विकास के लिए एक निश्चित समयावधि में सार्वजनिक या निजी स्वामित्व की भूमि का अधिग्रहण उचित मुआवजा देकर कर सकेगी।
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नए कानून में भूमि मालिक को इस संबंध में नेगोशिएशन की अनुमति नहीं देता है, लेकिन यह सुनिश्चित करता है कि अधिग्रहण के बाद इससे प्रभावित होने वाले लोग अपनी सामाजिक और आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए उस विकास कार्य में भागीदार बन सके।
कुल 28 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण
23.3 किमी लंबे इस एलिवेटेड मेट्रो कॉरिडोर में डिपो, कार शेड, स्टेशन निर्माण और प्रवेश और निकास सुविधाओं के विकास के लिए केंद्र सरकार के सात और राज्य सरकार के 13 विभागों की मदद से कुल 28 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहीत की जाएगी। इसमें 23 स्टेशन होंगे।
निर्माण कंपनी (टाटा-सीमेंस) को परियोजना शुरू करने से पहले 90 फीसदी जमीन की आवश्यकता होगी। पीएमआरडीए के अधीक्षण अभियंता रीनाज पठान के मुताबिक हमें उम्मीद है कि दिसंबर के अंत तक कम से कम 90 फीसदी जमीन कंपनी को सौंप दी जाएगी।
आवागमन होगा आसान
हिंजेवाड़ी-शिवाजीनगर मेट्रो कॉरिडोर पुणे मेट्रो रेल परियोजना की तीसरी पंक्ति है। अन्य दो लाइनों का विकास महाराष्ट्र मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड करा रहा है। 16.59 किमी लंबी लाइन 1 पिंपरी को स्वारगेट से जोड़ेगी। इस कॉरिडोर को पिंपरी से रेंज हिल्स तक और इसके बाद शिवाजीनगर से स्वारगेट तक भूमिगत रूप से चलाया जाएगा, जबकि पूरी तरह से एलिवेटेड 14.67 मीटर लंबा दूसरा कॉरिडोर वंज में शुरू होगा और रामादेवी में समाप्त होगा।