पंढरपुरी भैंस (Pandharpuri Buffalo Breed) 15 लीटर तक दे सकती है दूध
पंढरपुरी भैंस की इस नस्ल को धारवाड़ी भी कहते हैं। आइए इस नस्ल की विशेषताओं के बारे में विस्तार से जानते हैं?
पंढरपुरी भैंस की इस नस्ल को धारवाड़ी भी कहते हैं। आइए इस नस्ल की विशेषताओं के बारे में विस्तार से जानते हैं?
खुशी लेपचा के गांव में अक्सर पशुपालकों को हरे चारे की कमी का सामना करना पड़ता था, लेकिन अजोला की खेती (Azolla Cultivation) ने इस समस्या को दूर कर दिया है। जानिए अजोला की खेती से कैसे बढ़ा गाँव में दूध का उत्पादन और पशुओं के स्वास्थ्य में हुआ सुधार।
अगर पशुओं को अच्छी देखरेख और सही आहार प्रबंधन न मिले तो इसे उनके दूध उत्पादन पर असर पड़ता है। कैसे मवेशियों के दूध उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है, कैसे सही रखरखाव करें? इसपर किसान ऑफ़ इंडिया की नरेन्द्र देव कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविश्वविद्यालय कुमार गंज अयोध्या के पशुचिकित्सा एंव पशुपालन महाविद्यालय के सहायक अध्यापक और पशु विशेषज्ञ डॉ. राजपाल दिवाकर से ख़ास बातचीत।
‘जीनस कैप्रिपोक्स’ वायरस से फैलने वाले इस रोग में मवेशियों की त्वचा पर बड़ी-बड़ी गांठें बन जाती हैं। दुधारू उत्पादन अचानक से घट जाता है। लम्पी त्वचा रोग किलनी मच्छर, मक्खी, पशुओं के लार, जूठे जल एवं पशु के चारे के द्वारा फैलता है। किलनी, मच्छर व मक्खी जैसे वाहकों द्वारा बीमार पशु से स्वस्थ पशु के शरीर में पहुंचता है।
किसी ने सच ही कहा है कि यदि दिल में कुछ करने की लगन हो तो कोई भी मुश्किल आपका रास्ता नहीं रोक सकती। उत्तराखंड के बागेश्वर ज़िले की महिला किसान लीला शाही ने इस बात को सच कर दिखाया है। अपनी शारीरिक अक्षमताओं को पीछे छोड़ते हुए वह कृषि क्षेत्र में पहचान बनाकर दूसरी महिलाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बन गई हैं। उन्होंने वैज्ञानिक तकनीक से खेती के तरीकों को अपनाया है।
मध्य प्रदेश के बैतूल ज़िले के रहने वाले प्रगतिशील किसान जयराम गायकवाड़ अपनी कुल 30 एकड़ ज़मीन में से 10 एकड़ ज़मीन पर परंपरागत यानी जैविक खेती करते हैं। आज वो जिस मुकाम पर हैं, वो उनकी 22 साल की मेहनत का परिणाम है। कैसे उन्होंने अपने फ़ार्म मॉडल को तैयार किया? क्या उनके अनुभव रहे? जानिए इस लेख में।
कुछ ही दिनों में नया साल (New Year 2022) नई उम्मीदों के साथ दस्तक देने वाला है, जानिए उन महिलाओं की कहानी जिन्होंने अपने बुलंद हौसलों से खुशहाली की दास्तां लिखी है।
उन्नत नस्ल की देसी गायों को पालने पर दूध का उत्पादन अन्य देसी गायों के मुक़ाबले अधिक होता है। ज़ाहिर है, इससे आपकी आमदनी भी बढ़ेगी। एक बात का ध्यान ज़रूर रखें। हर क्षेत्र के हिसाब से कौन सी देसी गाय उन्नत नस्ल की है, इसकी पूरी जानकारी लेने के बाद ही उस नस्ल को पालें।
भारत में बकरी पालन में नवाचारों का उद्देश्य किसानों की आजीविका को बढ़ाना, घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में बकरी उत्पादों की बढ़ती मांग को पूरा करना है।
वर्मीकम्पोस्ट जिसे केंचुआ खाद भी कहा जाता है, पोषक तत्वों से भरपूर जैविक खाद होती है। जिसे गोबर और केंचुए की मदद से तैयार किया जाता है। इस प्रक्रिया में केंचुए बहुत अहम होते हैं। इसलिए केंचुए की सही देखभाल करके बिज़नेस से अच्छा मुनाफ़ा कमाया जा सकता है।