मध्यप्रदेश के मुरैना जिले के किसानों को सरसों की खेती के साथ शहद उत्पादन फायदे का सौदा साबित हो रहा है। यही वजह है कि यहां राजस्थान, उत्तरप्रदेश, बिहार तक के किसान मधुमक्खी पालन के लिए आ रहे हैं। इसकी बड़ी वजह यहां बड़ी मात्रा में होने वाली सरसों की खेती है। यहां सरसों की खेती के साथ मधुमक्खी पालन से हर साल 28 करोड़ तक का कारोबार हो रहा है। यहां हर साल 30 हजार टन तक शहद का उत्पादन हो रहा है।
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मुरैना कृषि विज्ञान केन्द्र ने साल 2007-08 में खेतों के आसपास मधुमक्खी पालन के बॉक्स लगाकर शहद उत्पादन शुरू करवाया था, उस वक्त सिर्फ इससे 10 किसान जुड़े थे। इसके बाद किसान इससे जुड़ते गए और आज करीबन 5 हजार से ज्यादा किसान 65 हजार बॉक्सों से मधुमक्खी का पालन कर रहे हैं। इसमें राजस्थान, बिहार, उत्तरप्रदेश तक के किसान शामिल हैं, जो हर साल सरसों की फसल के सीजन में शहद उत्पादन के लिए मुरैना आते हैं। केन्द्र सरकार ने मुरैना में फार्मर प्रोड्यूशर ऑर्गेनाइजेशन शुरू कर इस काम को और आगे बढ़ाया। अब इस शहद को सरकारी एजेंसी द्वारा खरीदा जाएगा।