Poultry Management : गोवा के किसान ने कैसे की पोल्ट्री प्रबंधन से कमाई, पढ़ें उनकी सफलता की कहानी
गोवा के अरम्बोल गांव में रहने वाले सबाहत उल्ला खान पोल्ट्री प्रबंधन से कमाई (Earning from Poultry Management) करके अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दे रहे हैं।
गोवा के अरम्बोल गांव में रहने वाले सबाहत उल्ला खान पोल्ट्री प्रबंधन से कमाई (Earning from Poultry Management) करके अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दे रहे हैं।
अगरवुड पेड़ की खेती में एक एकड़ में 400 से 450 पौधे लग सकते हैं। 12 फ़ीट चौड़ाई और 10 फ़ीट लंबाई की दूरी पर पौधे को रोपना चाहिए। अगरवुड प्लांट की कीमत 200 रुपए होती है।
चित्तौड़गढ़ के आशीष ने बताया कि उन्होंने 2014 से नर्सरी की शुरुआत की थी। इस नर्सरी में अमरूद की उन्नत किस्मों पर काम करते हैं। अमरुद आज वर्तमान स्थिति में सबसे ज़्यादा बिकने वाला फल है। अमरूद की खेती किसी भी क्षेत्र में की जा सकती है। जानिए अमरूद की खेती से जुड़ी अहम बातों के बारे में।
ड्रैगन फ्रूट (Dragon Fruit) दक्षिणी मैक्सिको, मध्य अमेरिका और दक्षिण अमेरिका का स्वादिष्ट फल है। इसकी खेती दक्षिण-पूर्व एशिया, भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका, कैरेबियन द्वीप समूह, ऑस्ट्रेलिया में उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय इलाकों में की जाती है।
राजस्थान के जयपुर के रहने वाले अनिल थडानी ने अपनी मास्टर डिग्री हॉर्टिकल्चर के क्षेत्र में ली हुई है। इसके साथ ही उन्होंने विवेकानंद ग्लोबल यूनिवर्सिटी में बतौर असिस्टेंट प्रोफ़ेसर भी काम किया हुआ है। उन्होंने नौकरी छोड़ने के बाद ‘पौधशालम’ नाम से पौध नर्सरी शुरू की।अनिल ने Nursery Business की शुरुआत घर की छत से की।
इस विधि द्वारा मखाने की खेती 1 फ़ीट तक पानी से भरी कृषि भूमि में की जाती है। किसान अब मखाने की खेती कर, धान से ज़्यादा मुनाफ़ा कमा रहे हैं। छत्तीसगढ़ राज्य के किसान इस सुपर फ़ूड मखाने की खेती को लेकर काफ़ी जागरूक हो गए हैं।
झारखंड के आदिवासी इलाकों के किसान न सिर्फ़ टसर सिल्क का उत्पादन कर रहे हैं, बल्कि इसके ज़रिए उन्होंने एक ब्रांड भी खड़ा कर दिया है। इस सिल्क से साड़ियां, टेबल क्लॉथ, कवर और अन्य कई तरह के कपड़े बनाए जा रहे हैं। पलाश ब्रांड आज चारों तरफ अपनी धूम मचा रहा है।
यदि रोपण सामग्री उच्च गुणवत्ता वाली हो तो सब्ज़ी नर्सरी में सब्ज़ियों की फसल भी अच्छी होती है। अपने इलाके में लोगों को बेहतरीन रोपण सामग्री मुहैया कराने के लिए जयंती मेधी ने एक अनोखा प्रयोग किया और बिना मिट्टी के ही विभिन्न सब्ज़ियों की पौध तैयार कर सफल उद्यम स्थापित कर लिया।
कैलाश चौधरी पिछले 6 दशक से खेती कर रहे हैं। आंवले की खेती ने उन्हें देश-दुनिया में पहचान दी है। कैलाश चौधरी कहते हैं खेती से बड़ा और कोई काम नहीं है। इसमें अपार संभावनाएं हैं।
सब्जियों के बीज बहुत नाज़ुक होते हैं और उन्हें अधिक देखभाल की ज़रूरत होती है। इसलिए अधिकांश सब्जियों की पौध पहले नर्सरी में तैयार की जाती है, फिर खेत में उन्हें लगाया जाता है। मणिपुर के एक किसान ने नर्सरी में गुणवत्तापूर्ण सब्जियोंकी पौध तैयार करने के लिए एक नई तकनीक ईज़ाद की है, जिससे उनका मुनाफा बढ़ गया। सब्जियों की नर्सरी में कैसे ये तकनीक कारगर हो सकती है, जानिए इस लेख में।
नाज़िम ने मधुमक्खी पालन को एक शौक के तौर पर लिया था पर उनकी मेहनत के बलबूते पर ये शौक आज उनका पेशा बन चुका है। उन्होंने देश के कई राज्यों में अपनी मार्केट बनाई, साथ ही विदेशों में भी अपना शहद पहुंचाया है।
अगर आपके पास कम ज़मीन है या बिल्कुल भी ज़मीन नहीं है और कुछ नया बिज़नेस करने की सोच रहे हैं जिससे अच्छा मुनाफ़ा कमा सकें, तो मोती की खेती (Pearl Farming) एक अच्छा बिज़नेस है। हरियाणा के युवा किसान अंकुश गिरी इस बिज़नेस से अच्छी आमदनी ले रहे हैं।
साल 2023 को सरकार ने इंटरनेशनल ईयर ऑफ़ मिलेट्स घोषित किया है। मिलेट्स की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है, ताकि ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक स्वस्थ अनाज और इससे बने उत्पाद पहुंचे। किसान अगर फसल उगाने के साथ ही उसके उत्पाद बनाकर बेचें, तो उनकी आमदनी कई गुना बढ़ सकती है, जैसा कि जोधपुर के रावलचंद पंचारिया ने किया।
ज्वार, बाजरा जैसे पौष्टिक पारंपरिक अनाज की मांग धीरे-धीरे कम होने लगी थी। इससे किसानों और आम लोग दोनों का ही नुकसान हुआ। इसलिए तेलंगाना के वीर शेट्टी बिरादर ने न सिर्फ़ मोटे अनाज की खेती बड़े पैमाने पर की, बल्कि इसके मूल्य संवर्धन उत्पाद बनाकर इसे लोकप्रिय भी बना दिया।
एकीकृत पोल्ट्री और बकरी पालन से सीमित संसाधनों का बेहतर इस्तेमाल करके किसान अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं। बकरी के साथ मुर्गी पालन करने के कई फ़ायदे हैं। उत्तर प्रदेश के गोरखपुर ज़िले के रहने वाले राजेश कुमार इस एकीकृत प्रणाली का लाभ उठा रहे हैं।
पश्चिम बंगाल के सुंदरबन इलाके के कुछ गांव बहुत पिछड़े हुए हैं। यहाँ के किसान खेती से अपनी आजीविका नहीं कमा पाते। ऐसे में पशुपालन उनके लिए अतिरिक्त आमदनी का एक मुख्य ज़रिया बन सकता है। सुंदरबन के संदेलरबिल गाँव की रहने वाली दीपाली बिस्वास ने वैज्ञानिक तकनीक से बकरी पालन करके सफलता पाई है।
भारत में केसर की पैदावार का 90 फीसदी पुलवामा के पम्पोर इलाके में ही होता है और यहां के वर्तमान किसानों के पुरखे इसकी खेती करते रहे हैं।
कुछ फसलें ऐसी होती हैं, जिनकी खेती और बिक्री से अन्य फसलों की तुलना में अधिक लाभ होता है। उच्च मूल्य वाली सब्जियों की खेती से नगालैंड का एक युवा किसान लखपति बन गया।
बीज अच्छी गुणवत्ता का हो तो फसल भी अच्छी होती है और बीज उत्पादन के व्यवसाय से किसानों की अच्छी कमाई भी हो जाती है। गुजरात के सुरेंद्रनगर ज़िले के करमाड गांव के किसान यही कर हैं। काबुली चने की खेती में उन्नत किस्म का चयन कर कैसे आमदनी और कमाई में इज़ाफ़ा हुआ, जानिए इस लेख में।
ज़्यादा ज़मीन और सारी सुविधाओं के बावजूद भी किसानों को यदि खेती से पर्याप्त आमदनी नहीं हो पाती है, तो इसकी वजह है उन्नत तकनीक की कमी। उन्नत कृषि तकनीक के इस्तेमाल से ही राजस्थान के एक किसान ने सफलता की ऐसी मिसाल पेश की है, कि अब उनकी गिनती अपने इलाके के प्रगतिशील किसानों में होती है।