रबी की फसल की कटाई के खेतों में हरियाली घट जाती है। इसी समय गर्मी का मौसम परवान चढ़ने लगता है। इससे भारतीय के प्रायद्वीपीय इलाकों में कहीं ज़्यादा और कहीं थोड़ा कम तापमान होने की वजह से दोनों इलाकों के बीच हवाओं के वायुमंडलीय में बदलाव आने लगता है। इससे तेज़ और गर्म हवाएँ ज़्यादा हैं, जो इसी वक़्त बंगाल की खाड़ी में मॉनसून की नमी वाले हवाओं को अपनी आगे आकर्षित करती हैं।
इसी से मॉनसून, उत्तर-पश्चिम दिशा की ओर बढ़ते हुए अपनी नमी को बारिश के रूप में बरसाता जाता है। इसी प्रक्रिया के तहत हम लोग धीरे-धीरे गर्मी से बरसात के मौसम तक पहुँच जाता हैं। लेकिन इसी गर्मी के दौरान यदा-कदा और अनियमित ढंग से पश्चिम की ओर ठंडी हवाओं के तीब्र प्रवाह का झोंका आता रहता है। मौसम विज्ञान की भाषा में इन्हीं झोकों को पश्चिमी विक्षोभ या western disturbance कहते हैं। ऐसे ही दो पश्चिमी विक्षोभ इन दिनों सक्रिय हैं।
24 घंटे का पूर्वानुमान
इसे देखते हुए मौसम का अध्ययन करने वाली निजी एजेंसी ‘स्काइमेट वेदर’ का अनुसार है कि अगले 24 घंटों में पश्चिम बंगाल, ओडिशा, बिहार के कुछ हिस्सों, छत्तीसगढ़, केरल और लक्षद्वीप के कुछ हिस्सों में हल्की से मध्यम बारिश के साथ कुछ स्थानों पर भारी वर्षा हो सकती है। जम्मू-कश्मीर, गिलगित बाल्टिस्तान, मुज़फ़्फ़ाराबाद, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, कर्नाटक के कुछ हिस्सों, असम, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश और त्रिपुरा, झारखंड के कुछ हिस्सों में हल्की से लेकर मध्यम दर्जे की बारिश हो सकती है।
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एक के पीछे दूसरा पश्चिमी विक्षोभ
‘स्काइमेट वेदर’ का कहना है कि तीन-चार दिनों से भारत की ओर बढ़ रहे पश्चिमी विक्षोभ ने अब पूर्वी लद्दाख का रुख़ कर लिया है। लेकिन इसी वक़्त एक अन्य पश्चिमी विक्षोभ फ़िलहाल पूर्वी ईरान और उससे सटे अफ़ग़ानिस्तान पर सक्रिय है। इसके प्रभाव की वजह से दक्षिणी पाकिस्तान और इससे सटे राजस्थान के हिस्सों में तूफ़ानी हवाएँ पैदा करने वाला मौसमी तंत्र यानी ‘साइक्लोनिक सर्कुलेशन’ विकसित हो रहा है।
इसकी वजह से अरब सागर से उठी नमी वाली हवाओं ने महाराष्ट्र के विदर्भ और आसपास के इलाकों में भी एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र बना दिया है। इसके निम्न वायुमंडलीय दबाव की वजह से मराठवाड़ा, भीतरी कर्नाटक से लेकर केरल तक तेज़ हवाओं के चलने और छिटपुट बारिश होने की सम्भावना विकसित हुई है।
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बिहार में भारी बारिश, ओले गिरने के आसार
बिहार में पटना, भोजपुर, मुज़फ़्फ़रपुर समेत कई ज़िलों में सुबह से ही बादल छाये थे। इसकी वजह से दिन चढ़ते-चढ़ते आँधी के साथ ज़ोरदार बारिश हो गयी। इससे लोगों को भीषण गर्मी से तो काफ़ी राहत मिली, लेकिन आम और लीची की फसल को ख़ासा नुकसान हुआ।
उधर, बिहार के ऊपर भी एक चक्रवाती क्षेत्र पनप रहा है। इसकी वजह से अगले 24 घंटों के दौरान पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के कुछ हिस्सों में हल्की से मध्यम बारिश के साथ धूल भरी आँधी, बादल गरजने और एकाध जगह पर ओले गिरने के आसार हैं। उत्तर और पूर्वी मध्य प्रदेश, तेलंगाना, तटीय आन्ध्र प्रदेश और अंडमान और निकोबार द्वीप के कुछ हिस्सों में हल्की से मध्यम बारिश हो सकती है।
उत्तराखंड में भी भारी बारिश की चेतावनी
मौसम विभाग ने उत्तराखंड के उत्तरकाशी, चमोली, रुद्रप्रयाग, पिथौरागढ़, पौड़ी गढ़वाल, बागेश्वर और नैनीताल ज़िलों में भारी से बहुत भारी यानी मूसलाधार बारिश की चेतावनी जारी की है। वहाँ 13 मई तक के लिए ऑरेंज एलर्ट जारी किया गया है। उत्तराखंड के देवप्रयाग शहर में 11 मई को बादल फटने की वजह से भारी तबाही हो चुकी है।
राजस्थान में ओले बरसने का खतरा
पश्चिमी विक्षोभ की वजह से राजस्थान के विभिन्न इलाकों में पिछले 24 घंटे में बारिश हुई है। पश्चिमी राजस्थान में धूल भरी आँधी आयी तो जयपुर में 10 मई को भी बूँदाबाँदी हुई थी। वहाँ 11 मई को भी बादल छाये रहे और बारिश हुई और आगामी दो दिनों तक भी बादल छाये रहने और बारिश का पूर्वानुमान है।
केरल में भारी बारिश की चेतावनी
मौसम विभाग का अनुमान है कि केरल के कुछ ज़िलों और लक्षद्वीप में अगले पाँच दिनों तक भारी से बहुत भारी बारिश हो सकती है, क्योंकि 14 मई को अरब सागर के दक्षिण-पूर्वी हिस्से में वायुमंडल के कम दबाव वाले ऐसे क्षेत्र के बनने की सम्भावना है जो चक्रवाती तूफ़ान में बदल सकता है।
ऐसी चेतावनी को देखते हुए केरल सरकार ने राज्य आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण को ज़रूरी तैयारी रखने और मछुआरों को गहरे समुद्र से लौटने की सलाह दी है। कोल्लम, पठानमथिट्टा, अलाप्पुझा, कोट्टायम, एर्नाकुलम और इडुक्की के लिए ऑरेंज़ अलर्ट जारी किया गया है। इसके तहत 24 घंटे के भीतर बहुत भारी बारिश की चेतावनी दी जाती है।
मॉनसून की प्रगति
इस बीच, भारतीय मौसम विभाग ने उत्तर पश्चिम मॉनसून की प्रगति को सामान्य बताया है। आमतौर पर ये 1 जून को केरल पहुँचता है। इससे पहले 20 मई के आसपास ये अंडमान और निकोबार द्वीप समूह को अपने आगोश में ले लेता है।