कोल्ड स्टोरेज और कोल्ड चेन नेटवर्क बनाने के लिए कैसे उठाएँ सरकारी मदद का फ़ायदा?

परम्परागत खेती के जाल से निकलने की चाहत रखने वाले उद्यमी किसानों और उनके संगठनों को अपने बूते पर कोल्ड स्टोरेज और कोल्ड चेन नेटवर्क बनाने की कोशिश करनी चाहिए। इसके लिए सरकार की ओर 35 से लेकर 75 फ़ीसदी तक की वित्तीय सहायता दी जाती है। खेती में क्रान्तिकारी बदलाव लाने के लिए इन योजनाओं का भरपूर दोहन किया जाना चाहिए, क्योंकि भारत में केन्द्र हो या राज्यों की सरकारें, कोई भी अपने कोल्ड स्टोरेज स्थापित नहीं करती।

कोल्ड स्टोरेज और कोल्ड चेन नेटवर्क बनाने के लिए कैसे उठाएँ सरकारी मदद का फ़ायदा?

देश में कोल्ड स्टोरेज और कोल्ड चेन नेटवर्क की समुचित व्यवस्था नहीं होने की वजह से किसानों की कम से कम 30 फ़ीसदी फसल सड़कर बर्बाद हो जाती है। फल-फूल और सब्ज़ियों का उत्पादन करने वाले किसानों पर इसकी ज़बरदस्त मार पड़ती है। इसकी कमी की वजह से दूर-दराज़ के इलाकों में रहने वाले किसान चाहकर भी परम्परागत खेती के जाल से निकल नहीं पाते। इसीलिए उद्यमी किसानों और उनके संगठनों को अपने बूते पर कोल्ड स्टोरेज और कोल्ड चेन नेटवर्क बनाने की कोशिश करनी चाहिए। इसके लिए सरकार की ओर 35 से लेकर 75 फ़ीसदी तक की वित्तीय सहायता दी जाती है। खेती में क्रान्तिकारी बदलाव लाने के लिए इन योजनाओं का भरपूर दोहन किया जाना चाहिए, क्योंकि भारत में केन्द्र हो या राज्यों की सरकारें, कोई भी अपने कोल्ड स्टोरेज स्थापित नहीं करती।

क्या है कोल्ड स्टोरेज सहायता योजना?

केन्द्रीय कृषि मंत्रालय के मातहत काम करने वाले कृषि सहयोग और किसान कल्याण विभाग (DAC&FW) और नेशनल हॉर्टिकल्चर बोर्ड (NHB) की ओर से बागवानी विकास मिशन (MIDH) चलाया जा रहा है। इसके तहत ‘बाग़वानी से जुड़े कोल्ड स्टोरेज और भंडारण क्षमता के निर्माण/विस्तार/आधुनिकीकरण के लिए पूँजी निवेश में सब्सिडी’ यानी ‘Capital Investment Subsidy for Construction/Expansion/Modernization of Cold Storages and Storages for Horticulture Products’ दी जाती है। ये ‘क्रेडिट लिंक्ड बैक-एंडेड सब्सिडी’ (credit linked back-ended subsidy) कहलाती है। इसके तहत कोल्ड स्टोरेज की लाग़त पर मैदानी इलाकों में 35% और पहाड़ी तथा अन्य पिछड़े इलाकों के लिए 50% की दर से मदद मुहैया करवायी जाती है।

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क्या है मदद पाने की प्रक्रिया?

MIDH के तहत बनाये जाने वाले कोल्ड स्टोरेज को प्रोजेक्ट को राज्य और केन्द्रीय स्तर की समितियाँ स्वीकृत करती हैं। योजना के लाभार्थियों को अपने राज्य के बाग़वानी मिशन को अपने प्रोजेक्ट का प्रस्ताव देना पड़ता है। आगे की कार्रवाई वही सुनिश्चित करता है। मैदानी इलाकों में 5000 से लेकर 10,000 मीट्रिक टन की क्षमता वाले कोल्ड स्टोरेज सब्सिडी पाने के हक़दार हैं तो पहाड़ी और उत्तर पूर्वी राज्यों के मामले में 1000 मीट्रिक टन से अधिक क्षमता वाले प्रोजेक्ट्स सरकारी रियायत के हक़दार बनाये गये हैं। इसमें 5 करोड़ रुपये तक की लागत वाले कोल्ड स्टोरेज को राज्य स्तरीय कार्यकारी समिति (SLEC) मंज़ूरी दे सकती है। हालाँकि, उसे भी इसे DAC&FW की अधिकार प्राप्त निगरानी समिति (EMC) के पास अन्तिम मंज़ूरी के लिए भेजना पड़ता है।

कोल्ड स्टोरेज प्रोजेक्ट के लिए आवेदक को NHB की सैद्धान्तिक मंज़ूरी यानी इन-प्रिंसिपल अप्रूवल (IPA) लेनी पड़ती है। इसके लिए ऑनलाइन आवेदन किया जाता है। IPA हासिल होने के बाद आवेदक को बैंक या वित्तीय संस्थान से सावधि कर्ज़ मंज़ूर करवाना पड़ता है। कर्ज़ की मंज़ूरी मिल जाने के बाद काम शुरू करने के लिए NHB की ओर से अनुदान जारी कर दिया जाता है। फिर कोल्ड स्टोरेज का निर्माण पूरा होने का प्रमाणपत्र बैंक जारी करता है। इसके बाद आवेदक सब्सिडी के जारी किये जाने का दावा NHB के समक्ष रखता है, जहाँ से सब्सिडी बैंक को भेजी जाती है।

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कैसे पाएँ कोल्ड चेन नेटवर्क के लिए मदद?

अब बात एकीकृत कोल्ड चेन के निर्माण की। ये प्रधान मंत्री किसान सम्पदा योजना यानी Pradhan Mantri Kisan Sampada Yojana (PMKSY) के घटक के रूप में केन्द्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग (MOFPI) मंत्रालय की ओर से चलायी जा रही एक ख़ास योजना है। इसका मकसद बाग़वानी और ग़ैर-बागवानी वाली फसलों में होने वाले नुकसान को घटाने के लिए एकीकृत कोल्ड चेन, मूल्य संवर्धन और संरक्षण से जुड़े बुनियादी ढाँचे के निर्माण वाले प्रोजेक्ट के लिए सब्सिडी देना है। ताकि ऐसे प्रोजेक्ट्स किसानों को उपज बढ़िया दाम दिलवाने में मददगार बन सकें।

कितनी मिलेगी मदद?

इस योजना के तहत सामान्य श्रेणी वाले इलाके के प्रोजेक्ट की लागत पर 35% सब्सिडी दी जाती है। जबकि पूर्वोत्तर के राज्यों, हिमालयी राज्यों, आदिवासी क्षेत्रों (ITDP areas) और द्वीपों के लिए 50% की दर से भंडारण और परिवहन के बुनियादी ढाँचे में होने वाले निवेश के लिए अनुदान दिया जाता है। फसल में मूल्य वृद्धि करने वाली योजनाओं के लिए रियायत पाने की सीमा 50 फ़ीसदी है तो फूड प्रोसेसिंग के लिए ढाँचागत प्रोजेक्ट्स बनाने के लिए 75% तक सरकारी सहायता दी जाती है। इस अनुदान की अधिकतम सीमा 10 करोड़ रुपये तक हो सकती है।

कौन बन सकते हैं लाभार्थी?

एकीकृत कोल्ड चेन, मूल्य संवर्धन और संरक्षण से जुड़े बुनियादी ढाँचे के निर्माण के लिए व्यक्तियों, उद्यमियों, सहकारी समितियों, स्वयं सहायता समूहों (SHGs), किसान उत्पादक संगठनों (FPOs), ग़ैर सरकारी संगठनों, केन्द्रीय और राज्य सरकार के सार्वजनिक उपक्रमों को सब्सिडी पाने के क़ाबिल माना गया है। लेकिन एक शर्त ये भी है कि प्रोजेक्ट जिस इलाके में लगाया जाने वाला हो, उसके लिए कोल्ड स्टोरेज कवरेज़ उपलब्ध नहीं हो। कोल्ड चेन प्रोजेक्ट लगाने के इच्छुक संगठन को समय-समय पर MOFPI की ओर से जारी EOI (Expression of Interest) के जवाब में अपने प्रोजेक्ट का आवेदन करना होता है।

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