देश के किसानों को फसलों की 35 नई किस्मों का तोहफा दिया गया है। पीएम मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए ये 35 नई किस्में देश के किसानों को समर्पित की। पीएम मोदी ने कृषि वैज्ञानिकों को खेती के लिए नई तकनीक को विकसित करने के लिए बधाई दी। पीएम मोदी ने कहा कि ये बीज जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से खेती को सुरक्षित बनाने और कुपोषण मुक्त भारत के अभियान में बहुत सहायक होने वाला हमारे वैज्ञानिकों की खोज का परिणाम है।
किसानों के उत्थान के लिए वैज्ञानिकों की बेहतरीन खोज
इन किस्मों को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) ने विकसित किया है। इसका उद्देश्य किसानों के सामने अधिक कमाई वाली फसलों के विकल्प उपलब्ध करवाने के साथ ही जलवायु अनुकूल प्रौद्योगिकियों को अपनाने के लिए जन जागरूकता पैदा करना भी है।
नई फसलों की किस्में मौसम की कई तरह की चुनौतियों से निपटने में सक्षम तो है ही, ये पौष्टिक तत्वों से भी भरपूर हैं। इनमें से कुछ किस्में कम पानी वाले क्षेत्रों के लिए भी सुरक्षित हैं। इन नई किस्मों में गेहूं, धान, अरहर, सोयाबीन, सरसों, मक्का, ज्वार, बाजरा, चना, कुटु, किनोवा, वाकला शामिल हैं।
जानिए कौनसी हैं 35 नई किस्में
सूखा प्रभावित क्षेत्र के लिए चने की किस्म पूसा चना 4005; कम अवधि में पकने वाली रोग रोधी अरहर की आई. पी. एच. 15-3, आई. पी. एच. 09-5; सोयाबीन एन. आर. सी. 138; जलवायु अनुकूल धान की किस्में पूसा बासमती 1847, पूसा बासम. 1885, पूसा बासमती 1979, 1985; और डी. आर. आर. धान 58 की किस्में विकसित की गई हैं, जो रोग और खरपतवार नाशक प्रतिरोधी है।
इसके अलावा प्रोटीन, आयरन, जिंक और विटामिन वाली गेंहू की डी.बी. डब्ल्यू-327, डी.बी. डब्ल्यू-332, एच. आई 1638, एच. आई. 8823, एच. यू. डब्ल्यू. 838, एम. पी. जे. डब्ल्यू 1358 किस्मों का भी विकास किया गया है।
बाजरा की पी. बी. 1877, एच. एच. बी. 67 उन्नत 2; मक्के की सी. एफ. एम. बी. 1, सी. एफ. एम. बी. 2; किनोवा की हिम सक्ति; कुटु की हिम फाफड़ा; विंग्डबीन पी. बी. डब्ल्यू 11-2; बाकला की एच. ई. बी. 2; सरसों की पूसा डबल सरसों 33, आर सी एच 1; सोयाबीन की एन. आर. सी. 142; करुने की उच्च गुणवत्ता वाली किस्में भी विकसित की गई हैं।
सूखा और भारी बरसात झेलने में ये नई किस्में
भारत में किसानों को सबसे ज़्यादा नुकसान बेमौसम बारिश और सूखे से होता है। ICAR द्वारा विकसित की गई फसल की ये किस्में काफ़ी अलग हैं। इस लिस्ट में कई ऐसी फसल हैं जो सूखा और भारी बरसात झेलने में भी सक्षम हैं। ऐसे में ये नई किस्में किसानों के लिए काफ़ी फायदेमंद हो सकती हैं और किसानों को हर साल होने वाले भारी नुकसान से बचा सकती हैं। यानी, न केवल ये फसलें किसानों का मुनाफ़ा देने में सहायक होंगी बल्कि सेहत के लिहाज़ से भी प्रभावी होंगी।