नैनो यूरिया का कमर्शियल उत्पादन शुरू करने वाला भारत दुनिया का पहला देश बन गया है। गुजरात के भावनगर में नैनो लिक्विड यूरिया का ड्रोन से छिड़काव कर ट्रायल किया गया। ट्रायल के दौरान बड़ी संख्या में किसान भी मौजूद रहे। देश की सबसे बड़ी उर्वरक विक्रेता और सहकारी कंपनी IFFCO ने ये नैनो लिक्विड यूरिया विकसित किया है।
केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री मनसुख मंडाविया भी इस ट्रायल के दौरान मौजूद रहे। उन्होंने इस ट्रायल को भारत के लिए एक बड़ी उपलब्धि बताया। परीक्षण में भाग लेने आए किसानों ने छिड़काव की तकनीक और नैनो लिक्विड यूरिया के बारे में IFFCO के विशेषज्ञों से विस्तार से जानकारी ली।
जानिए क्या है नैनो यूरिया
किसान अपने खेतों में जो पारंपरिक यूरिया डालते हैं, उससे उनकी सेहत के खराब होने का खतरा रहता है। दानेदार यूरिया के इस्तेमाल से किसान की सेहत पर असर पड़ने का खतरा तो रहता ही है, इसका नकारात्मक असर पर्यावरण पर भी पड़ता है। दानेदार यूरिया पर्यावरण को प्रदूषित करता है, लेकिन नैनो लिक्विड यूरिया एक तरह का तरल प्रोडक्ट है, जो तकनीक की सहायता से न सिर्फ़ पानी, मिट्टी और पर्यावरण को सुरक्षित रखेगा बल्कि किसान को अच्छी उपज भी देगा।
प्रतिदिन नैनो यूरिया की एक लाख बोतलों का उत्पादन
जून, 2021 में नैनो लिक्विड यूरिया के उत्पादन की शुरुआत हुई। तब से लेकर अब तक नैनो यूरिया की 50 लाख से ज़्यादा बोतलों का उत्पादन हो चुका है। प्रतिदिन नैनो यूरिया की एक लाख बोतलों का उत्पादन हो रहा है। केन्द्रीय मंत्री मंडाविया ने कहा कि नैनो लिक्विड यूरिया बेहद कम समय में पारंपरिक यूरिया के एक प्रभावशाली विकल्प के तौर पर उभरा है। उन्होंने यह भी कहा कि नैनो लिक्विड यूरिया के इस्तेमाल से किसानों को आर्थिक बचत होगी, उत्पादक क्षमता बढ़ेगी और यूरिया आयात पर भारत की निर्भरता में भी कमी आएगी।
कम समय में ज़्यादा से ज़्यादा क्षेत्र में छिड़काव संभव
उर्वरक और कीटनाशकों के पारंपरिक छिड़काव को लेकर किसानों के मन में कई तरह की शंकाएं रहती हैं। इससे स्वास्थ्य को होने वाले संभावित नुकसान के बारे में भी चिंता व्यक्त की जाती रही है। ऐसे में ड्रोन के इस्तेमाल से किसानों के स्वास्थ्य से जुड़ी समस्या हल होगी, बल्कि ड्रोन से कम समय में ज़्यादा से ज़्यादा क्षेत्र में छिड़काव किया जा सकना संभव होगा। इससे न सिर्फ़ किसानों के समय की बचत होगी, बल्कि छिड़काव की लागत में भी कमी आएगी।
500 मिलीलीटर की बोतल 40 से 50 किलो की एक बोरी के बराबर
IFFCO की 500 मिली लीटर की एक बोतल का इस्तेमाल एक बोरी बैग के बराबर ही है। IFFCO के अनुसार, नैनो लिक्विड यूरिया बेहतर पोषण गुणवत्ता के साथ फसलों की उत्पादन क्षमता में वृद्धि करेगा।
औसतन भारत में एक किसान प्रति फसल मौसम में एक एकड़ में यूरिया के दो बैग डालता है, जिसकी मात्रा अलग-अलग फसलों पर निर्भर करती है। IFFCO के अनुसार, नैनो यूरिया की 500 मिलीलीटर की बोतल पारंपरिक यूरिया के एक बैग की जगह ले सकती है क्योंकि इसमें 40,000 पीपीएम नाइट्रोजन है, जो पारंपरिक यूरिया के एक बैग द्वारा प्रदान किए जाने वाले नाइट्रोजन पोषक तत्व के बराबर है।
पारंपरिक यूरिया की तुलना में सस्ता
किसानों को ये पारंपरिक यूरिया की तुलना में सस्ती भी पड़ेगी। नैनो लिक्विड यूरिया की 500 मिलीलीटर की बोतल की कीमत 240 रुपये होगी। पारंपरिक यूरिया के 45 किलोग्राम के बैग की कीमत 267 रुपये तक होती है।
नैनो लिक्विड यूरिया 80 प्रतिशत से भी ज़्यादा असरदार
IFFCO के नैनो लिक्विड यूरिया का इस्तेमाल खेतों में प्रति एकड़ के हिसाब से प्रति 15 लीटर स्प्रे टैंक में 30 एमएल के बराबर करना होता है।पारंपरिक यूरिया पौधों को नाइट्रोजन देने में केवल 30-50 प्रतिशत ही प्रभावी है, जबकि नैनो लिक्विड यूरिया 80 प्रतिशत से भी ज़्यादा असरदार है। इस कारण फसल की पैदावार अच्छी होगी। IFFCO ने बताया कि नैनो लिक्विड यूरिया फसलों को बेहतर पोषण तो देगा ही, साथ ही कृषि उपज की गुणवत्ता में सुधार के साथ-साथ फसल की उपज में औसतन 8 प्रतिशत की वृद्धि करेगा।
IFFCO के मुताबिक, नैनो यूरिया 21वीं सदी का एक उत्पाद है और मिट्टी, हवा और पानी को भविष्य की पीढ़ियों के लिए सुरक्षित रखना और सभी के लिए भोजन सुरक्षित रखना समय की ज़रूरत है। ऐसे में ये उत्पाद विश्व कृषि में क्रांति ला सकता है। नैनो लिक्विड यूरिया का उद्देश्य पारंपरिक यूरिया के मुकाबले फसल की उपज और उत्पादकता में वृद्धि करने के अलावा लागत के पैसे में कटौती कर किसानों की आय में बढ़ोतरी करना भी है।