नरेन्द्र मोदी सरकार देश के सभी किसानों को विशेष पहचान पत्र (किसान कार्ड) जारी करने की तैयारी कर रही है। इस कार्ड के माध्यम से हरेक किसान को तमाम कृषि योजनाओं से आसानी से जोड़ा जा सकेगा। प्रस्तावित ‘किसान कार्ड’ में न सिर्फ़ मौजूदा ‘आधार कार्ड’ की सारी ख़ूबियाँ रहेंगी, बल्कि ये उससे भी कहीं बढ़कर होगा। क्योंकि इसमें e-KYF (Know Your Farmer) वाली ऐसी विशेषताएँ जोड़ी जाएँगी, जो सत्यापन के हरेक फ़ीचर्स (तत्व) से परिपूर्ण होगा।
क्या होंगीं किसान कार्ड की ख़ूबियाँ?
- केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने किसान कार्ड की परिकल्पना के बारे में संसद को जानकारी दी है कि किसान कार्डधारकों को खेती-बाड़ी से जुड़ी विभिन्न योजनाओं का लाभ हासिल करते वक़्त किसी तरह के काग़ज़ी दस्तावेज़ों को बार-बार जमा करवाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
- किसान कार्ड की दूसरी ख़ासियत ये होगी कि इसके ज़रिये किसानों तक उनसे जुड़ी ख़ास जानकारी या सलाह पहुँचायी जा सकेगी और ज़रूरत पड़ने पर इसी कार्ड के ज़रिये खेती की मौजूदा स्थिति तक पहुँचा जा सकेगा। यानी, Access to field based & customised advisories.
- किसान कार्ड की तीसरी विशेषता ये होगी कि इसके ज़रिये प्राकृतिक आपदाओं या मौसमी प्रकोप की मार झेलने वाले किसानों तक पहुँचना आसान हो जाएगा। इससे फसलों को हुए नुकसान का जायज़ा लेने और किसानों तक मुआवज़ा जैसी सरकारी सहायता पहुँचने में भी आसानी होगी।
- किसान कार्ड में किसानों की ज़मीन के अलावा उनके बैंक खातों का भी ब्यौरा होगा। इसका इस्तेमाल किसानों को दी जाने वाली रक़म को सीधे उनके बैंक खाते में भेजने यानी Direct Benefit Transfer (DBT) के लिए हो सकेगा।
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कैसे आया किसान कार्ड का आइडिया?
दरअसल, केन्द्रीय कृषि मंत्रालय को किसान आईडी कार्ड जारी करने का आइडिया ख़ासतौर से PM-KISAN पोर्टल पर रजिस्टर्ड 11.64 करोड़ किसानों के ब्यौरे को देखकर आया है। किसान सम्मान निधि के रूप में प्रति माह 500 रुपये या सालाना 6,000 रुपये पाने के लिए इन किसानों ने PM-KISAN पोर्टल पर अपना विस्तृत ब्यौरा अपलोड किया है। इसे उनकी राज्य सरकार ने सत्यापित किया है। इसलिए किसानों को बार-बार अपना ब्यौरा अपलोड करने से बचाया जा सकता है। लिहाज़ा, हरेक किसान के लिए एक ऐसा विशिष्ट पहचान कार्ड जारी किया जाए जिसमें न सिर्फ़ उनका सारा ब्यौरा हो, बल्कि वो बहु-उपयोगी भी हो।
सरकार के इस प्रगतिशील रुख़ को देखते हुए लगता है कि भविष्य में एक ही कार्ड से कई अन्य विशिष्ट पहचानों जैसे पैन, वोटर कार्ड, किसान क्रेडिट कार्ड वग़ैरह को भी जोड़ने की कोशिश हो सकती है। बता दें कि वोटर कार्ड को आधार से जोड़ने वाला चुनाव आयोग का एक प्रस्ताव क़ानून मंत्रालय के विचाराधीन है। चुनाव आयोग ने सरकार से इस प्रस्ताव को संसद की मंज़ूरी दिलाने की गुज़ारिश की है। दरअसल, डिज़ीटल टेक्नोलॉज़ी की दुनिया में सरकार के लिए इस तरह की व्यवस्थाएँ करना मुश्किल नहीं हैं।
अभी 73.7% किसानों का ब्यौरा सरकार के पास है
इसी सिलसिले में लगे हाथ कुछ और तत्थ भी समझते चलें। मसलन, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना (PMKSNY) की शुरुआत तीन साल पहले यानी दिसम्बर 2018 में हुई थी। इसकी नौ किस्तों के रूप में मोदी सरकार अब तक किसानों के बैंक खातों में 1,61,290 करोड़ रुपये भेज चुकी है। PM-KISAN पोर्टल पर 11.64 करोड़ (9 दिसम्बर 2021 तक) किसान रजिस्टर्ड हैं। हालाँकि, PM-KISAN पोर्टल पर रजिस्टर्ड किसानों की कुल संख्या को एक अन्य जगह 11,79,28,275 (7 दिसम्बर 2021 तक) बताया गया है। दोनों ही आँकड़ों में एक करोड़ से ज़्यादा ऐसे किसान शामिल नहीं हैं जो प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के लाभार्थी बनने के लिए अयोग्य हैं।
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बहरहाल, ये देश के कुल किसानों की संख्या नहीं है। कृषि जनगणना, 2015-16 के मुताबिक, देश में किसानों की कुल संख्या 15.8 करोड़ है। इनमें से लघु और सीमान्त किसानों की संख्या क़रीब 12.6 करोड़ है। इनकी औसत जोत 1.1 हेक्टेयर से कम है। ज़ाहिर है, जब किसान पहचान पत्र बनाने के फ़ैसले को पूरी तरह से ज़मीन पर उतारने की दिशा में आगे बढ़ा जाएगा तब सभी 15.8 करोड़ किसानों के ब्यौरे के बारे में सोचना पड़ेगा। अभी तक लघु और सीमान्त श्रेणी के ही एक करोड़ से ज़्यादा किसान ऐसे हैं जो PM-KISAN पोर्टल पर रजिस्टर्ड नहीं हैं। लेकिन कुल 15.8 करोड़ में से 11.64 करोड़ किसानों यानी 73.7 फ़ीसदी किसानों का ब्यौरा तो सरकार के पास मौजूद ही है। किसान आईडी कार्ड के लिए बाक़ी बचे 26 प्रतिशत किसानों का भी ब्यौरा जुटाना सरकार के लिए मुश्किल नहीं होगा।
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