वैज्ञानिकों ने कम पानी में भी अधिक रकबे में सिंचाई के लिए ऑटो ड्रिप इरिगेशन फर्टीगेशन तकनीक ईज़ाद की हुई है। पानी के साथ ही फ़र्टिलाइज़र का सही इस्तेमाल कर कम लागत में अधिक उत्पादन लिया जा सकता है। ऑटोमेटिक ड्रिप इरिगेशन और फर्टिगेशन सिस्टम क्या है? इसको लेकर बिहार स्थित कृषि विज्ञान केन्द्र किशनगंज के वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक और प्रमुख ई. मनोज कुमार राय ने इस तकनीक को लेकर विस्तार से किसान ऑफ़ इंडिया से ख़ास बातचीत की।
कम दबाव और नियंत्रण के साथ सीधे फसलों की जड़ में उनकी आवश्यकतानुसार पानी देना ही ड्रिप इरिगेशन कहलाता है। ड्रिप सिंचाई में पानी के साथ ही उर्वरकों को भी पौधों तक पहुंचना फर्टिगेशन कहलाता है।
कृषि वैज्ञानिक ई. मनोज कुमार राय ने कहा कि इस तकनीक की मदद से पानी, ऊर्जा और मज़दूरी की बचत होती है। किसान ऑटोमेटिक तरीके से संचालित ऑटोमेटिक ड्रिप इरिगेशन और फर्टिगेशन सिस्टम का इस्तेमाल कर अपनी खेती से भरपूर पैदावार ले सकते हैं।
कृषि वैज्ञानिक आगे बताते हैं कि ड्रिप सिंचाई में जैसे ड्रिपर्स द्वारा ड्रिप सिंचाई की जाती है, वैसे ही फर्टिगेशन तकनीक में सिंचाई के पानी में उर्वरकों को मिलाया जाता है। फिर इंटरसेप्टर की मदद से ड्रिपर्स द्वारा उर्वरकों को सीधे पौधों तक पहुंचाया जाता है।
कंप्यूटर से संचालित होता है ऑटोमेटिक ड्रिप इरिगेशन और फर्टिगेशन सिस्टम
ई. मनोज राय ने बताया कि ऑटोमेटिक ड्रिप इरिगेशन और फर्टिगेशन सिस्टम कंप्यूटर से संचालित किया जाता है। इस सिस्टम के साथ वॉल्व लगे होते हैं। वॉल्व के ज़रिए कितने समय तक, कितना पानी देना है, इसकी सेटिंग कंम्प्यूटर से कर दी जाती है। किसान बिना फ़ार्म पर रहे भी पूरे सिस्टम को कंट्रोल कर सकता है। इंटरनेट के ज़रिए इसको कहीं से भी संचालित किया जा सकता है।
ऑटोमेटिक ड्रिप इरिगेशन और फर्टिगेशन सिस्टम में मेन पाइप लगा होता है। इसमें पानी तालाब या ज़मीन से आता है। फिर पानी फिल्टर टैंक से होते हुए आउटलेट पाइपों में जाता है। ये पाइप फ़ील्ड के अनुसार लगे होते हैं। इसी फ़ील्ड पाइप पर वॉल्व लगे होते हैं, जो कंट्रोलर से कंट्रोल होता है। कंट्रोलर से किस खेत और किस फसल को कितना और कब पानी देना है, इस बात का निर्धारण किया जाता है। इसके लिए कंट्रोलर में प्रोगाम सेट कर दिया जाता है, जिससे वॉल्व को ऑटोमेटिक तरीके से संचालित किया जाता है। फसल को जब सिंचाई की ज़रूरत होती है तो ऑटोमेटिक तरीके से मशीन चालू हो जाती है। फसलों की ज़रूरत के हिसाब से खेत की सिंचाई हो जाती है। सिंचाई का कार्य होने के बाद मशीन ऑटोमेटिक बंद भी हो जाती है। फसल, पानी और फ़र्टिलाइज़र के अनुसार सिस्टम ऑटोमेटिक खुलता और बंद होता है।
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सटीक उर्वरक प्रबंधन के लिए बेहतर तकनीक
कृषि वैज्ञानिक ई. मनोज राय ने बताया कि इसी तरह फसलों के लिए फर्टिगेशन यूनिट लगे होते हैं। ऑटोमेटिक तरीके से फसलों को उर्वरक दिया जाता है यानि फर्टिगेशन किया जाता है, जिसमें नाइट्रोजन ,फास्फोरस, पोटाश और माइक्रोन्यूट्रिएंट्स के घोल के लिए टैंक होते हैं जो फ़र्टिलाइज़र डोजिंग पाइप से जुड़े होते हैं। फर्टिगेशन के लिए डोजिंग पाइप वॉल्व लगे होते हैं, जो कंट्रोलर से कंटोल किया जाते हैं। इससे फसलों की ज़रूरत के अनुसार फ़र्टिलाइज़र दिया जाता हैं। इसमें भी कंटोलर में प्रोगाम सेट में कर दिया जाता है कि किस फसल को कितना फ़र्टिलाइज़र किस समय दिया जाना है। कंट्रोलर से सारी जानकरी मिलती रहती है। कंट्रोलर यह भी जानकारी देता है कि कब कितना फ़र्टिलाइजर दिया है और किस फसल को दिया गया है।
कृषि विज्ञान केन्द्र किशनगंज के प्रमुख ई. मनोज कुमार राय आगे बताया कि इस सिस्टम की इन्हीं खूबियों के कारण आप अपने अलग-अलग बगीचे या खेतों में लगी अलग-अलग फ़सलों को उनकी ज़रूरत के मुताबिक कम या ज़्यादा पानी की सप्लाई दे सकते हैं। इस सिस्टम के ज़रिए नियमित समय पर संतुलित मात्रा में पानी पौधों तक पहुंच जाएगा। इसके लिए आपको न मज़दूर लगाने की ज़रूरत होगी, न खेत का निरीक्षण करने की और कम पानी में ही पूरी सिंचाई हो जाएगी।
सही मात्रा और सही समय पर मिलता फसलों को पानी और उर्वरक
आमतौर पर फर्टिगेशन में केवल घुलनशील उर्वरकों का प्रयोग किया जाता है, लेकिन दानेदार उर्वरक से भी फर्टिगेशन किया जा सकता है। आज के समय में घुलनशील उर्वरक बाज़ार में उपलब्ध हैं। इनका उपयोग ड्रिप माध्यम से किया जा सकता है।
इस तकनीक के ज़रिए आसानी से फसलों को सही मात्रा में सही समय पर उर्वरको के माध्यम से पोषक तत्व मिल जाते हैं। फसलों की गुणवत्ता और उपज दोनों बेहतर होती हैं। पानी, ऊर्जा और मज़दूरी की बचत कर उन्नत सिंचाई करने वाली ऑटोमेटिक ड्रिप इरिगेशन और फर्टिगेशन सिस्टम यूनिट का खर्च 7 से 8 लाख रुपये पड़ता है।
ऐसी कई कंपनियां हैं, जो इसका निर्माण करती हैं। किसान इस सिस्टम को खरीदकर अपनी खेती में प्रयोग कर भरपूर फ़ायदा ले सकते हैं। इस पर केन्द्र सरकार और राज्य सरकारों द्वारा सब्सिडी की सुविधा भी है। सब्सिडी को अधिक जानकारी के लिए आप अपने ज़िले के कृषि विभाग और उद्यान विभाग से संपर्क कर सकते हैं।
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