दलहनी फसलें शाकाहारी लोगों के प्रोटीन का सस्ता और बेहतरीन स्रोत है, इसलिए देश में दाल और इससे बनी चीज़ों की खपत अधिक है। मूंग में प्रोटीन भरपूर मात्रा में होता है। इसकी बाज़ार में अच्छी मांग भी है, लेकिन देश में गुणवत्तापूर्ण मूंग बीज की कमी है। इसे देखते हुए कृषि कल्याण मंत्रालय ने भारत सरकार के कृषि अनुसंधान परिषद के तहत सीड हब केंद्रों की स्थापना की, जिससे बीजों का उत्पादन बढ़े। इस परियोजना के तहत चुने गए बीज हबों में से कृषि विज्ञान केंद्र, व्यारा भी एक है। यहां खरीफ़, रबी और गर्मी के मौसम में तुअर, चना और मूंग के बीजों का उत्पादन किया जाने लगा। बीज उत्पादन पर कृषि विज्ञान केंद्र, व्यारा ने कई प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन भी किया, जिससे किसानों को फ़ायदा पहुंचा।
गुजरात के इस किसान ने शुरू किया बीज उत्पादन
कृषि विज्ञान केंद्र, व्यारा की ओर से आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम में हिस्सा लेने के बाद गुजरात के तापी ज़िले के किसान दिगंबरभाई ने मूंग बीज का उत्पादन शुरू किया। उन्हें कृषि विज्ञान केंद्र की ओर से मूंग की उन्नत किस्म जीएम-6 के 95 किलो बीज मुहैया कराए गए। उन्हें बीज उत्पादक के रूप में खुद को किस तरह रजिस्टर्ड करना है, इस बारे में भी बताया गया। दरअसल, कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों ने दिगंबरभाई के खेत का दौरा करने के बाद उन्हें बीज हब योजना के बारे में बताया और मूंग बीज उत्पादन करने के लिए प्रेरित किया।
वैज्ञानिक तकनीक से हुआ भरपूर मूंग बीज उत्पादन
KVK की ओर से मिले उन्नत बीज़ों की बुवाई के बाद फसल उत्पादन के लिए दिगंबरभाई ने वैज्ञानिक तकनीक का इस्तेमाल किया। इससे उन्हें अच्छी उपज प्राप्त हुई और रोग व कीटों का भी प्रकोप नहीं दिखा। बीज उत्पादक के रूप में खुद को रजिस्टर्ड करवाने में उन्हें परेशानी नहीं हुई, क्योंकि गुजरात बीज प्रमाणन एजेंसी ने इस काम में उनकी मदद की।
बीज उत्पादन में कितना हुआ मुनाफ़ा?
दिगंबरभाई को 2888 किलो मूंग बीज प्राप्त हुए, जिसे KVK व्यारा ने बीज हब योजना के तहत 9 हज़ार रुपये प्रति क्विंटल की दर से खरीदा। इस तरह उन्हें लगभग 2,59,920 रुपये की आमदनी हुई, जिसमें से 29,100 रुपये लागत घटाने पर 2,30,280 रुपये का शुद्ध लाभ हुआ। अगर वह मूंग को अनाज के रूप में बाज़ार में बेचते तो उन्हें सिर्फ़ 1,73,060 रुपये की ही आमदनी होती।
दिगंबरभाई बीज उत्पादन योजना से पूरी तरह संतुष्ट हैं और आसपास के गाँवों के अन्य किसानों को भी इसके लिए प्रेरित कर रहे हैं। दिगंबरभाई एक प्रगतिशील किसान हैं, जो हमेशा खेती में नई तकनीक का इस्तेमाल करने में विश्वास रखते हैं। इसके अलावा, वह खेती में नए प्रयोग करने से भी पीछे नहीं हटते।
दलहनी फसलों में मूंग में प्रोटीन की मात्रा सबसे अधिक होती है, इसलिए इसे सेहत के लिए बहुत लाभकारी माना जाता है। हरी मूंग की माग लोगों के बीच दिनों दिन बढ़ती जा रही है और इस बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए अधिक उत्पादन करने की ज़रूरत है, जिसके लिए अच्छी किस्म के बीजों की ज़रूरत होगी। इसलिए मूंग बीज उत्पादन एक फ़ायदे का सौदा है, जिससे किसानों को अच्छी कमाई भी हो रही है।
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